आपातकाल में जीवित रहने के लिए साधना करें !
‘गुरुपूर्णिमा सनातन संस्कृति को प्राप्त गौरवशाली गुरुपरंपरा को कृतज्ञतापूर्वक स्मरण करने का दिन है । जिस प्रकार गुरु का कार्य समाज को आध्यात्मिक उन्नति के लिए मार्गदर्शन करना है, उसी प्रकार समाज को कालानुसार मार्गदर्शन करना भी गुरुपरंपरा का कार्य है ।
वर्तमान में भारत सहित संपूर्ण पृथ्वी संकटकाल से गुजर रही है । इस पूरे वर्ष में बाढ स्थिति, दंगे, महामारी, आर्थिक मंदी आदि संकटों का परिणाम देश को भुगतना पडा है । वर्ष २०२० से २०२३ तक की अवधि भारत ही नहीं, अपितु संपूर्ण संसार के लिए आपदाओं का काल रहनेवाला है । इस अवधि में सामान्य जनता को आर्थिक मंदी, गृहयुद्ध, सीमापार युद्ध, पृथ्वी पर युद्ध और प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पडेगा । ऐसे आपातकाल में जीवित रहना और सुसह्य जीवन जीना एक चुनौती सिद्ध होनेवाली है ।
श्रीमद्भगवद्गीता में कहा गया है कि ‘न मे भक्तः प्रणश्यति ।’, अर्थात ‘मेरे भक्त का नाश नहीं होता ।’ साधारणतः सामान्य लोग साधना नहीं करते । अतः आपातकाल में बडी मात्रा में जीवहानि होती है । आपातकाल में स्वयं भगवान साधना करनेवाले भक्त की रक्षा करते हैं । वर्तमान में चल रहे आपातकाल से पार होने के लिए प्रत्येक व्यक्ति के लिए साधना आवश्यक है ।
गुरु केवल देहधारी रूप में ही नहीं, अपितु तत्त्व रूप में भी कार्यरत रहते हैं । साधना करनेवाले व्यक्ति पर प्रत्यक्ष रूप से देहधारी गुरु अथवा अप्रत्यक्ष रूप से गुरुतत्त्व की कृपा होती रहती है । साधना आरंभ करने पर प्रत्येक व्यक्ति गुरुतत्त्व की कृपा का अनुभव कर पाएगा । केवल आपातकाल से पार होने के लिए नहीं, अपितु अनेक जन्मों की परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को साधना करनी चाहिए ।
‘गुरुपूर्णिमा से आप सभी को साधना करने की बुद्धि हो’, इसलिए मैं मेरे गुरु प.पू. भक्तराज महाराजजी के चरणों में प्रार्थना करता हूं ।’
– (परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक, सनातन संस्था.