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राजस्थान : राजस्थान में अब तेरहवीं भोज पर लगा प्रतिबन्ध, करवाया तो होगी एक वर्ष की जेल !

सरपंच-पटवारी पर भी होगी कार्रवाई – कांग्रेस के गहलोत सरकार का निर्णय

हिंदू धर्म में मरणोपरांत गतिविधियों का विशेष महत्त्व है। पुलिस और संबंधित कांग्रेस सरकार का यह तुगलकी निर्णय है । धर्मग्रंथों को जाने बिना मृत्युभोज पर प्रतिबंध लगाया जाना हिन्दू संस्कारों पर आघात ही है । क्या इस तरह का निर्णय लेने से पहले संबंधित लोगों ने हिंदू धर्म के संतों के साथ चर्चा की है ? – सम्पादक, हिन्दुजागृति

हिंदू धर्म की किसी परंपरा को चलने या चलाने का अधिकार हिंदू साधु संतों व धर्म आचार्यों को है। हिंदुओं के मठ और मंदिर यह तय करते थे कि किस परंपरा का आरंभ और किस परंपरा का समापन किस तिथि किस मुहूर्त किस समय के अनुसार किया जाना है। लेकिन हिंदुओं की एक परंपरा को राजस्थान की सरकार ने शासकीय नियमों को लगाकर प्रतिबंधित किया है और मृत्यु उपरांत होने वाले तेरहवीं संस्कार भोज पर प्रभावी रोक लगा दी है।

अब राजस्थान में मृत्युभोज अधिनियम 1960 का कानून लागू कर दिया गया है और यह कानून इतनी सख्ती से लागू कर दिया गया है कि अब कहीं भी तेरहवी पर भोज आयोजित करने वाले परिवार तथा उस भोज को खाने वाले भी कानूनी दंड के लिए पात्र होगे ।

सरकार के अनुसार, मृत्युभोज की परंपरा से सबसे ज्यादा नुकसान मध्यम और गरीब तबके के लोगों को हो रहा है। इससे कई लोग कर्ज तले दब गए। कई लाेगों की जमीन-जायदाद बिक गई।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मृत्यु भोज अर्थात तेरहवीं संस्कार को एक कुप्रथा घोषित किया है और इस पर इतने सख्त नियम बनाए हैं कि अब किसी भी प्रकार से मृत्यु भोज आयोजित करने वाले क्षेत्र के प्रधान और पटवारी भी यदि पुलिस को सूचना नहीं देते तो वह कानूनी अपराध की श्रेणी में आएंगे।

मृत्यु भोज अमूमन हिंदुओं की तेरहवीं संस्कार का एक हिस्सा है । बच्चे के जन्म के समय अभी भी अधिकांश हिंदुओं में 12वीं संस्कार आयोजित किया जाता है और मृत्यु के उपरांत तेरहवीं संस्कार भी लागू होते हैं। कुल मिलाकर के यह एक लंबे समय से चली आ रही परंपरा का कानूनी रूप से समापन राजस्थान प्रदेश में होगा।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने इस निर्णय पर पूरी तरीके से दृढ़ नजर आ रहे हैं और शासन द्वारा जारी सख्त निर्देशों को जिला स्तर क्षेत्र स्तर के प्रशासनिक अधिकारियों को बताया जा चुका है जिसका सख्ती से पालन कराने के स्पष्ट निर्देश जारी हो चुके हैं।

स्त्रोत : डेली एनवी

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