Menu Close

पूर्व AAP नेता ताहिर हुसैन से ED ने की पूछताछ: फर्जी कम्पनियों के जरिए जुटाया था दिल्ली दंगों के लिए फंड

पूर्व AAP नेता ताहिर हुसैन, जो इस साल की शुरुआत में राष्ट्रीय राजधानी में हुए भीषण हिंदू-विरोधी दंगों के प्रमुख अभियुक्त हैं, से प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पूछताछ की है। टाइम्स नाउ द्वारा प्रकाशित एक विशेष रिपोर्ट के अनुसार, ताहिर हुसैन से दिल्ली हिंसा की फंडिंग को लेकर पूछताछ की जा रही है। इसके साथ ही, निजामुद्दीन मरकज और दिल्ली दंगों के बीच सम्बन्ध की भी अब जाँच की जा रही हैं।

दिल्ली दंगों में प्रमुख अभियुक्त निकल आने पर ताहिर हुसैन को आम आदमी पार्टी से निलंबित कर दिया गया था और वर्तमान में वह दिल्ली पुलिस की न्यायिक हिरासत में हैं। इससे पहले, प्रवर्तन निदेशालय यह जाँच कर रहा था कि ताहिर और उसके सहयोगियों द्वारा नियंत्रित की जाने वाली कंपनियाँ किस तरह से सीएए प्रदर्शनकारियों और दंगाइयों को फंड प्रदान करती थीं। ईडी ने जनवरी में लेनदेन को ट्रैक करने के लिए हुसैन के बैंक खातों की भी जाँच की है।

प्रवर्तन निदेशालय ने ताहिर हुसैन के खिलाफ दिल्ली दंगों में शामिल होने के लिए मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है। टाइम्स नाउ की रिपोर्ट में ईडी के सूत्रों का हवाला दिया गया है कि हुसैन ने दिसंबर, 2019 से फरवरी, 2020 तक दंगा करने वालों और दंगाइयों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वालों को 1.02 करोड़ रुपए ट्रांसफर करने के लिए कई शेल कंपनियाँ बनाई थीं।

इससे पहले, प्रवर्तन निदेशालय ने AAP के पूर्व पार्षद हुसैन के खिलाफ प्रोडक्शन वारंट जारी करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने से पहले ताहिर हुसैन के ठिकानों और अड्डों पर भी छापा मारा था। हुसैन के अलावा, दिल्ली दंगों का एक अन्य आरोपित फैजल फारूक भी प्रवर्तन निदेशालय की जाँच के दायरे में हैं। एजेंसी को संदेह है कि वह फरवरी, 2020 में दिल्ली में कई लोगों के लिए सक्रिय रूप से दंगों के लिए फंडिंग का मोर्चा संभाले हुए था।


दिल्ली हिंसा के आरोपी ताहिर हुसैन ने पूछताछ में किया बडा खुलासा, पीएफआई के दफ्तर में रची गई थी साजिश

August 2, 2020

अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली हिंसा के आरोपी ताहिर हुसैन ने दिल्ली पुलिस से पूछताछ में बड़ा खुलासा किया है। ताहिर ने कबूलनामे में कहा कि उसमें खालिद सैफी और पीएफआई के साथ मिलकर हिंसा की साजिश रची।

ताहिर ने पूछताछ में बताया कि उसके जानकार खालिद सैफी ने उसे कहा कि तुम्हारे पास राजनीतिक पावर और पैसा दोनों है। ताहिर ने बताया कि खालिद उसे उकसाता था। कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद भी खालिद, ताहिर के पास आया था। उसने कहा कि इस बार अब हम चुप नहीं बैठेंगे। इसके बाद राम मंदिर और सीएए कानून पर भी फैसला आ गया। जिसके बाद ताहिर को लगा कि पानी सिर से ऊपर जा चुका है और कुछ कदम उठाना पड़ेगा।

ताहिर ने बताया कि 8 जनवरी को खालिद सैफी ने उसे जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद से शाहीन बाग में पीएफआई के दफ्तर में मिलवाया। जहां उमर ने बोला कि वो मरने मारने को राजी है। वहीं खालिद सैफी ने कहा कि पीएफआई का एक सदस्य हिंसा के लिए आर्थिक मदद करेगा। ताहिर ने आगे बताया कि इसके बाद पीएफआई के दफ्तर में बैठकर सब ने प्लान बनाया। दफ्तर में तय किया गया कि दिल्ली में कुछ ऐसा किया जाएगा, जिससे सरकार हिल जाए। ताकि सरकार सीएए कानून वापस ले। ताहिर बताया कि लोगों को सड़क पर उतारने में अहम भूमिका खालिद सैफी ने निभाई।


दिल्ली दंगो के आरोपित ताहिर हुसैन को बेल नहीं देने से पहले जज ने दिए 6 महत्वपूर्ण बयान

July 14, 2020

उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए हिंदू विरोधी दंगों में मारे गए आईबी के अंकित शर्मा की हत्या के आरोपित व आम आदमी पार्टी के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन की जमानत याचिका को कल (जुलाई 13, 2020) दिल्ली कोर्ट ने खारिज कर दिया।

ताहिर हुसैन ने अपनी बेल याचिका इस आधार पर मांगी थी कि अंकित शर्मा की हत्या में उससे जुड़े कोई सबूत नहीं मिले हैं। मगर, इस याचिका को खारिज करते हुए अतिरिक्त सत्र के न्यायाधीश विनोद यादव ने कई बिंदुओं को मद्देनजर रखा और 6 महत्वपूर्ण बातें कहीं:

ताहिर हुसैन ने समुदाय विशेष के लोगों को भड़काया

ताहिर हुसैन की याचिका को खारिज करते हुए दिल्ली कोर्ट ने सुनिश्चित किया उनके पास इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि आरोपित घटनास्थल पर था और समुदाय विशेष के दंगाइयों को उकसा रहा था।

ताहिर ने दंगाइयों को ‘मानव हथियार’ की तरह प्रयोग किया

कोर्ट ने ताहिर के लिए कहा, “इसने भले ही अपने हाथों का इस्तेमाल नहीं किया हो लेकिन इसने दंगाइयों को ‘मानव हथियार’ की तरह प्रयोग किया। जो इसके भड़काने पर किसी को भी मार सकते थे।”

गवाहों को धमका सकता है ताहिर

कोर्ट ने आगे अपना फैसला सुनाते वक्त प्रत्यक्षदर्शियों की सुरक्षा का भी हवाला दिया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले के गवाह उसी इलाके के हैं, जहाँ ताहिर रहता हैं। ऐसे में मुमकिन है अगर ताहिर बेल पर छूटे तो वह उन्हें धमकाए, क्योंकि वह वहाँ की ताकतवर शख्सियत रह चुका है।

CCTV फुटेज न होने के बावजूद ताहिर के ख़िलाफ़ कई सबूत

कोर्ट ने इस फैसले को सुनाते हुए उन गवाहों के बयान को भी ध्यान में रखा, जिन्होंने कहा था कि हुसैन उस दिन घटनास्थल पर मौजूद था जब अंकित शर्मा को दंगाइयों ने मारा। कोर्ट ने इन बयानों को आधार रखते हुए और सीसीटीवी फुटेज की अनुपलब्धता पर कहा, “भले ही इस संबंध में कोई सीसीटीवी फुटेज नहीं है, जो साबित करे कि याचिकाकर्ता घटना पर था। लेकिन इसके अतिरिक्त बहुत से सबूत ऑन रिकॉर्ड हैं।”

प्राथमिक दृष्टया में ताहिर की भूमिका संदिग्ध

दिल्ली कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में दंगे गहरी साजिश के नतीजे थे और इन्हें बहुत ही सुनियोजित ढंग से अंजाम दिया गया। प्राथमिक दृष्टया में इस साजिश में AAP के निलंबित पार्षद की भूमिका संदिग्ध है।

पिंजरा तोड़ जैसे कई संगठनों के साथ ताहिर हुसैन की भूमिका पर जाँच

इसके बाद दिल्ली कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए ताहिर से जुड़े अन्य मामलों में चल रही जाँच का हवाला दिया। कोर्ट ने कहा कि अभी पिंजरा तोड़, जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी और यूनाइटिड अगेंस्ट हेट ग्रुप आदि के साथ ताहिर की भूमिका में जाँच की जा रही है।


ताहिर हुसैन की जमानत याचिका खारिज, कोर्ट ने कहा – ‘दिल्ली दंगों की साजिश की जड़ें काफी गहरी’

July 13, 2020

दिल्ली के एक सेशन कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन की जमानत याचिका खारिज कर दी है। ताहिर हुसैन पर कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी भी की है।

सेशन कोर्ट ने कहा कि दिल्ली मे हुए दंगों को काफ़ी संगठित तरीके से अंजाम दिया गया था और इसके पीछे एक ऐसी साजिश थी, जिसकी जड़ें काफ़ी गहरी हैं। ताहिर हुसैन कि जमानत याचिका खारिज होने के साथ ही उसे बड़ा झटका लगा है।

दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट ने गुरुवार (जुलाई 9, 2020) को ही इस मामले में ऑर्डर रिजर्व कर लिया था। अडिशनल सेशन जज विनोद यादव ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद ये फैसला सुनाया। ये मामला आईबी में कार्यरत रहे अंकित शर्मा की हत्या से जुड़ा हुआ है।

अंकित के पिता रवींद्र कुमार द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर पर ताहिर हुसैन के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। वो नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली दंगों का मुख्य आरोपित भी है।

चार्जशीट में ताहिर हुसैन ने कबूल किया है कि सीएए के समर्थन में भी रैलियां होने वाली थीं, इसीलिए उसने ‘हिन्दुओं को सबक सिखाने’ के लिए दंगों की साजिश रची। इसी क्रम में उसने अपने घर को इस्लामी भीड़ के लिए लॉन्चपैड बनाया, ताकि हिन्दुओं को निशाना बनाया जा सके।

ताहिर हुसैन ने ईंट-पत्थर व अन्य हथियार जमा करने की बात भी कबूल की थी। उसने बताया कि उसके समर्थक ‘अल्लाहु अकबर’ और ‘काफिरों को मारो’ चिल्ला रहे थे।

अंकित शर्मा वाला चार्जशीट में कहा गया है कि अंकित शर्मा की हत्या चाँदबाग़ में 10 लोगों ने मिल कर की थी। इनमें ताहिर हुसैन के साथ-साथ हलील सलमान और समीर नामक आरोपित भी शामिल हैं।

नाजिम और कासिम नाम के दो कुख्यात अपराधी भी इस जघन्य हत्याकांड में शामिल थे। चार्जशीट में कुचल 96 गवाहों के बयान पेश किए गए हैं। बता दें कि इसी तरह का दो अन्य चार्जशीट दिल्ली दंगों के मामले में पेश किया जा चुका है।


ताहिर हुसैन ने कबूला- हिन्दुओं को सबक सिखाना चाहता था, घर को बनाया था लॉन्चपैड

July 12, 2020

फ़रवरी के अंत में हुए दिल्ली में हुए हिन्दू विरोधी दंगों में मुस्लिम भीड़ ने जम कर कहर बरपाया था। सीएए विरोध के नाम पर भड़काए गए इन दंगों में 53 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए। इनमें से एक ताहिर हुसैन भी है, जो आम आदमी पार्टी का निलंबित निगम पार्षद है। करावल नगर में दंगे भड़काने में उसकी भूमिका सबसे अहम थी। यहां हम दिल्ली दंगों में फाइल की गई चार्जशीट में ताहिर हुसैन की करतूतों का खुलासा करेंगे।

सबसे पहले आपको ले चलते हैं अमन इ-रिक्शा की दुकान पर, जो हर्ष ट्रेडिंग कम्पनी द्वारा संचालित किया जाता था। इसे फ़रवरी 25, 2020 को जला दिया गया। चार्जशीट की एफआईआर नंबर 114 में ताहिर हुसैन और उसके गुर्गों द्वारा हिन्दुओं की दुकानें जलाने के डिटेल्स हैं। इसमें बताया गया है कि ताहिर हुसैन ने कैसे दिल्ली में हुए हिन्दू विरोधी दंगों में हिन्दुओं की संपत्ति को जम कर नुकसान पहुँचाया और इसके लिए साजिश रची।

अमन इ-रिक्शा दुकान को जला दिया गया। शिकायतकर्ता के अनुसार, उसे कुल 30 लाख का रुपए नुकसान हुआ क्योंकि दुकान में जो भी था उसे जला डाला गया। उससे पहले दुकान को पूरी तरह लूट भी लिया गया था। चाँदबाग़ पुलिया के पास स्थित मस्जिद से ताहिर हुसैन ख़ुद मुस्लिम भीड़ का नेतृत्व कर रहा था। इस दौरान वो कह रहा था कि शेरपुर चौक पर एक भी हिन्दू को बख्शा नहीं जाना चाहिए।

दुकानें लूट ली गईं, उन्हें जला डाला गया, हिन्दुओं पर पत्थरबाजी की गई और पेट्रोल बम फेंके गए। चार्जशीट में स्पष्ट लिखा है कि ताहिर हुसैन ने ही मुस्लिम भीड़ को ये कह कर को भड़काया था कि हिन्दुओं ने मुसलमानों की दुकान को आग लगाया है, इसीलिए उन्हें छोड़ा नहीं जाना चाहिए। दरअसल, ताहिर हुसैन ने उमर खालिद और खालिद सैफी के साथ मिल कर 8 जनवरी को ही दंगों की साजिश रच ली थी।

इन सबके अलावा शेल कंपनियों के माध्यम से भी पैसों का भारी लेनदेन किया गया था। फर्जी कंपनियों के माध्यम से हुए लेनदेन और ताहिर हुसैन के अकाउंट में आए संदिग्ध रुपयों से पता चलता है कि दंगे कराने के लिए उसके पास कई संगठनों द्वारा धनराशि प्रदान की गई थी। जेएनयू के छात्र नेता रहे उमर खालिद ने ताहिर हुसैन को आश्वस्त किया था कि ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ उसे दंगों के लिए वित्त मुहैया कराएगा।

दंगों से पहले 22 फ़रवरी को ताहिर हुसैन ने थाने से अपने 100 राउंड्स वाली पिस्टल भी छुड़ा ली थी, जो जनवरी से ही थाने में जमा रखी हुई थी। चार्जशीट के अनुसार, दंगों से ठीक पहले पिस्तौल ले जाने के सम्बन्ध में उसने कोई संतुष्ट करने वाला जवाब नहीं दिया। उसके पास से 64 लाइव कारतूस मिले थे और 22 खाली कारतूस जब्त किए गए थे। बाकी कारतूसों को कहां प्रयोग में लाया गया था, इस सम्बन्ध में उसके पास कोई जवाब नहीं था।

24-25 फ़रवरी की रात ताहिर हुसैन ने अपने परिवार की ‘सुरक्षा’ के बहाने मुस्तफाबाद स्थित अपने घर पर रखा था लेकिन वो खुद अपनी इमारत में मौजूद रहा। चार्जशीट के अनुसार, हिन्दुओं के खिलाफ मुस्लिम भीड़ का नेतृत्व करने और ‘स्थिति पर नज़र रखने के बहाने’ वो वहां मौजूद रहा। उसने पुलिस को कई कॉल्स किए, ताकि उसकी दंगों में भागीदारी पर किसी को शक न हो। मई 5 को उसने अपने कबूलनामे पर साइन किया, जिसमें उसने इलाक़े के सारे कैमरों को तोड़ डालने की बात स्वीकार की है।

ताहिर हुसैन ने कबूल किया है कि सीएए के समर्थन में भी रैलियां होने वाली थीं, इसीलिए उसने ‘हिन्दुओं को सबक सिखाने’ के लिए दंगों की साजिश रची। इसी क्रम में उसने अपने घर को इस्लामी भीड़ के लिए लॉन्चपैड बनाया, ताकि हिन्दुओं को निशाना बनाया जा सके। उसने ईंट-पत्थर व अन्य हथियार जमा करने की बात भी कबूल की। उसने बताया कि उसके समर्थक ‘अल्लाहु अकबर’ और ‘काफिरों को मारो’ चिल्ला रहे थे।

हालाँकि, यहां ताहिर हुसैन की ये बात विश्वास लायक नहीं है कि अफवाह के बाद मुस्लिमों ने हिंसा की क्योंकि जाँच में पता चल चुका है कि दंगों की तैयारी लम्बे समय से हो रही थी, इसीलिए इस्लामी भीड़ ही इसके लिए जिम्मेमदार थी। ये लोग इसकी साजिश लम्बे समय से रच रहे थे और तैयार भी बैठे थे। अब आते हैं वामपंथी मीडिया पर, जिसने ताहिर हुसैन को बचाने के लिए उसके द्वारा पुलिस को कॉल्स करने का बहाना बनाया।

‘द वायर’ ने तो ताहिर हुसैन का इंटरव्यू तक लिया था, जिसमे उसने पुलिस को ‘बचाव के लिए’ कई कॉल्स करने का दावा किया था। एनडीटीवी ने भी किया था। उसी वीडियो में इसने कोर्ट में सरेंडर करने की बात करते हुए न्यायपालिका में भरोसा जताया था। इसके अलावा उसके ट्वीट्स को भी मीडिया ने बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया था, जिसमे उसने खुद के ‘फँसे होने’ और दंगों का शिकार होने की बात कही थी।

जहां ताहिर हुसैन पहले कह रहा था कि दंगों से 2 दिन पहले ही पुलिस ने उसे बचाया था, कबूलनामे में वो साफ़ बताता है कि वो अपने परिचितों के यहां छिपता फिर रहा था और उसने अपने घर पर अर्धसैनिक बलों को तैनात देख कर वापस भीड़ को भड़काने का काम किया था। आम आदमी पार्टी के कई नेताओं ने ताहिर हुसैन का बचाव किया था। अमानतुल्लाह खान ने तो अब भी ताहिर के बचाव में मोर्चा खोल रखा है।

बाद में ताहिर हुसैन ने ख़ुद एक वीडियो जारी कर दावा किया कि भीड़ ने उसके घर पर कब्जा कर के उसे हमले का लॉन्चपेड बना दिया है और वो खुद दंगों का शिकार है क्योंकि 2 दिन पहले ही पुलिस ने उसे बचाया था। ‘द वायर’ ने इन्हीं तर्कों की बात करते हुए उसके द्वारा पुलिस को बार-बार कॉल किए जाने का मुद्दा बनाया था। ताहिर ने ख़ुद अपने कबूलनामे में बताया दिया है कि वो ख़ुद को निर्दोष दिखाने के लिए ऐसा कर रहा था।

क्या ये वामपंथी मीडिया पोर्टल अब इसके लिए माफ़ी मांगेंगे? उसने ख़ुद को ‘दंगों में फँसा हुआ’ दिखाने के लिए और अपने पक्ष में सबूत बनाने के लिए ये ड्रामा रचा था, ऐसा उसने ख़ुद स्वीकार किया है। साथ ही उसने कहा कि उसे पता था कि हथियारों से लैस मुस्लिम भीड़ पुलिया के पास से ही पुलिस को भगा देगी। एक और आश्चर्यजनक बात उसने ये कही है कि उसने 24-25 फरवरी की रात पुलिस के साथ क्षेत्र में घूम कर लोगों से ‘शांति की अपील’ भी की थी।

यानी उसने ‘काफिरों को मारने’ और ‘हिन्दुओं को सबक सिखाने’ के लिए ये सब किया। आपको पता है कि अपने बयान के अंत में ताहिर हुसैन ने क्या कहा- ‘मुझसे गलती हो गई। मुझे माफ़ कर दीजिए।‘ ऑपइंडिया ने आईबी में कार्यरत रहे अंकित शर्मा हत्याकांड में भी ताहिर हुसैन की संलिप्तता को लेकर कई लेख और ख़बरें प्रकाशित की थी। अब चार्जशीट के बाद इसकी एक के बाद एक परत खुल रही है।

दिल्ली में हुए हिन्दू-विरोधी दंगों के मुख्य आरोपित ताहिर हुसैन ने न्यायिक हिरासत के दौरान पुलिस के समक्ष अपना बयान दर्ज कराया था, जिसमें उसने जानकारी दी है कि वो मूल रूप से उत्तर प्रदेश के अमरोहा का निवासी है। उसके तीन और भाई हैं, जिनके नाम हैं- नजर अली, शाह आलम और शाने आलम। 8वीं तक पढ़ा ताहिर हुसैन 1993 में अपने पिता के साथ दिल्ली आया था और दोनों पिता-पुत्र बढ़ई का काम करते थे।

ताहिर हुसैन ने जानकारी दी कि उसने मुस्लिम भीड़ को अपनी छत पर खड़े होकर गोलीबारी और पत्थरबाजी करने को कहा क्योंकि उसे लगता था कि उसका घर ऊंचा है तो वो हिंदुओं को आसानी से निशाना बना सकता है। उसने कबूल किया है कि भीड़ पेट्रोल बम लेकर आई थी। उसने बताया कि उसके भाई शाह आलम ने समर्थकों संग मिल कर महक सिंह की पार्किंग में आग लगाई थी।

संदर्भ : OpIndia

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *