केरल के तिरुवनंतपुरम स्थित श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर में वित्तीय गड़बड़ी को लेकर प्रबंधन और प्रशासन के बीच सालों से चल रहे कानूनी विवाद पर आज (जुलाई 13, 2020) सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। शीर्ष अदालत ने ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रशासन में त्रावणकोर राजपरिवार के अधिकार को बरकरार रखा है।
Supreme Court upholds the rights of Travancore royal family in the administration of Sree Padmanabhaswamy Temple at Thiruvananthapuram in Kerala pic.twitter.com/3Ih9V1czIl
— ANI (@ANI) July 13, 2020
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मंदिर के मामलों के प्रबंधन वाली प्रशासनिक समिति की अध्यक्षता तिरुवनंतपुरम के जिला न्यायाधीश करेंगे और मुख्य कमिटी के गठन तक यही व्यवस्था रहेगी। कोर्ट ने आदेश में यह स्पष्ट कहा कि मुख्य कमिटी में राजपरिवार की अहम भूमिका रहेगी।
LIVE THREAD {Supreme Court verdict in the Shree Padmanabhaswamy Temple Treasure Case }
A two bench of SC headed by J. UU Lalit will decide whether the Vault B of the ancient temple could be opened despite tales of "danger" surrounding it?#SupremeCourt#Padmanabhaswamytemple pic.twitter.com/bLfO0iCjfa
— Bar & Bench (@barandbench) July 13, 2020
गौरतलब है कि मंदिर प्रबंधन को लेकर पिछले 9 साल से विवाद चल रहा था। इससे पहले केरल हाईकोर्ट ने 31 जनवरी 2011 को इस संबंध में फैसला सुनाया था। इसमें श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का नियंत्रण लेने के लिए न्यास गठित करने को कहा गया था।
इसके बाद त्रावणकोर के राजपरिवार ने केरल हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और SC ने 2 मई, 2011 को केरल HC के फैसले पर रोक लगा दी थी।
पिछले साल करीब 3 महीने तक दलीलें सुनने के बाद जस्टिस यू यू ललित और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की बेंच ने 10 अप्रैल को इस मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है।
सोशल मीडिया पर कई लोग इसे पुन: धर्म की विजय बता रहे हैं। स्वयंसेवक सत्येंद्र त्रिपाठी लिखते हैं, “श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर का पुनः अधिकार हुतअधिकारी परिवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया जाना पुनः धर्म की विजय है। और यह भी ध्यान में लाने की ज़रूरत है कि आए दिन जो अलग-अलग प्रदेश में देवस्थानम ट्रस्ट बना कर मंदिरों की सम्पत्ति पर नज़र है उसे बदलने की ज़रूरत है। धर्मों रक्षति रक्षित:।”
यहां बता दें कि केरल के तिरुवनंतपुरम में 18वीं सदी में त्रावणकोर राजकुल ने भगवान विष्णु के इस भव्य मंदिर का निर्माण करवाया था और स्वतंत्रता के बाद तक भी मंदिर का संचालन पूर्ववर्ती राजपरिवार के नियंत्रण वाला ट्रस्ट ही करता रहा।