यदि इस प्रकार का विधान किसी हिन्दु नेता या साधू-संत ने किया होता तो तथाकथित सेक्युलर मीडिया, लिबरल गैंग, वामपंथी उनपर टूट पडते । लेकिन ये लोग शफीकुर्रहमान के इस बयान पर चुप क्यों है ? – संपादक, हिन्दुजागृति
उत्तर प्रदेश स्थित संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क (Shafiqur Rahman Barq) ने नमाज़ को लेकर कहा है कि कोरोना कोई बीमारी नहीं बल्कि अल्लाह द्वारा हमारे गुनाहों की सजा है और हुकूमत द्वारा मस्जिद और ईदगाह में मुस्लिमों के नमाज़ करने पर लगी पाबंदी को हटाया जाना चाहिए क्योंकि जब मुल्क के सभी मुस्लिम मस्जिदों में नमाज पढ़ेंगे तभी ये मुल्क बचेगा।
सपा सांसद का कहना है कि कि ईद-उल-अज़हा के मौके पर मस्जिदों और ईदगाह में मुस्लिमों की इजतेमाई नमाज़ पर पाबंदी लगाना गलत है क्योंकि हम सबको सामूहिक रूप से अल्लाह से अपने गुनाहों की माफ़ी माँगनी चाहिए।
समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने कहा – “कोरोना वायरस का कोई इलाज अब तक नहीं पाया गया है, जिसका मतलब है कि कोरोना वायरस एक बीमारी नहीं है, बल्कि हमारे पापों के लिए अल्लाह द्वारा दंडित किया गया है। कोरोना का सबसे अच्छा इलाज यह है कि हम सभी अल्लाह से दुआ करें।”
No cure of Coronavirus has been found so far, which means Coronavirus is not a disease but punishment by God for our sins. The best cure of Corona is that we all pray to God: Shafiqur Rahman Barq, Samajwadi Party MP from Sambhal https://t.co/5lq2gZZhYe
— ANI UP (@ANINewsUP) July 21, 2020
शफीकुर्रहमान बर्क ने यह भी दावा किया है कि जब तक मुल्क के सारे मुस्लिम मस्जिदों में नमाज अदा नहीं करेंगे और अपने गुनाहों की माफ़ी नहीं माँगेंगे, तब तक कोरोना वायरस महामारी को नहीं भगाया जा सकता है।
इसके साथ ही सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने ईद के मौके पर लगने वाले पशुओं के बाजार पर पाबंदी के लिए भी जिला प्रसासन से भी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि ईद-उल-अज़हा मुस्लिमों का बड़ा त्यौहार है, जब मुस्लिम जानवरों की खरीदारी नहीं कर सकेंगे तो त्यौहार कैसे मनाएँगे?
इस सम्बन्ध में उन्होंने जिलाधिकारी से मुलाकात कर बकरीद के अवसर पर पहले की तरह पशु बाजार लगाए जाने की माँग की है, जिससे मुस्लिम समुदाय के लोग कुर्बानी के लिए जानवरों को खरीद कर सकें।
सपा सांसद ने कहा, “मस्जिद में पाँच लोगों की जमात से नमाज थोड़े ही हो जाएगी? सारे मुसलमानों को नमाज पढ़वाइए, तभी यह मुल्क बचेगा। ईद पर मुसलमान गिड़गिड़ाकर अल्लाह से गुनाहों की माफी माँगेंगे और हमें उम्मीद है हमारी भीड़ से नुकसान नहीं, बल्कि अल्लाह की रहमत होगी।”