चैत्र पूर्णिमा , कलियुग वर्ष ५११५
हिंदुओ यह बात ध्यानमें रखें कि आपको कानूनका मार्ग दिखानेवाली पुलिस ईसाई तथा मुसलमानोंके अपराधोंकी ओर अनदेखा कर रही है !
नई मुंबई – चमत्कारद्वारा व्याधि ठीक कर सकते हैं, सानपाडा परिसरमें ईसाई मिशनरियोंद्वारा इस प्रकारके पत्रक वितरित किए गए । इस सदंर्भमें ३ दिनोंके पश्चात भी पुलिसद्वारा अपराध प्रविष्ट नहीं किया गया, इसलिए सानपाडाके रहिवासियोंमें असंतोष वयाप्त है । इस संदर्भमें २३ अप्रैलको कुछ रहिवासी तुर्भें पुलिस थानेमें गए तथा उन्होंने पुलिस अधिकारी सांवतसे भेंट कर अपराध प्रविष्ट न होनेके कारण तीव्र संताप व्यक्त किया । (यदि हिंदुओंपर हुए अन्यायके विरोधमें हिदुओंद्वारा आवाज उठाई गई, तो पुलिसद्वारा उन्हें कानूनका मार्ग दिखाया जाता है, किंतु ईसाई तथा मुसलमानोंद्वारा बडे अपराध किए जानेपर भी उनपर कार्यवाही करनेकी अपेक्षा पुलिस उनकी ओर अनदेखा करती है । इस प्रकारकी अन्यायकारी पुलिस कभी हिंदुओंको न्याय दे सकती है ? क्या पुलिसकी यह अपेक्षा है कि न्याय प्राप्त करनेके लिए हिंदू भी मुसलमान तथा ईसाईयोंके मार्गका अनुकरण करें ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) सानपाडामें सेक्टर १० के रेयान पाठशालामें ‘येशु बुलाता है ’ यह कार्यक्रम वहांके रहिवासियोंके तीव्र संतापके कारण ही बंद किया गया । इस कार्यक्रमके ‘चमत्कारद्वारा व्याधि ठीक कर सकते हैं’, सानपाडा तथा नेरूल परिसरमें इस आशयके पत्रक भारी मात्रामें लगाए गए थे । इस विषयमें सानपाडाके नागरिक, हिंदुनिष्ठ संगठन एवं राजनीतिक दलद्वारा यह मांग की गई, ईसाई मिशनरियोंके विरोधमें औषधि द्रवपर आपत्ति उठानेवाले तथा चमत्कार जाहिरात प्रतिबंधक अधिनियमके अनुसार अपराध प्रविष्ट करें । उस समय अन्य स्थानोंपर किए गए मिशनरियोंके विरोधके परिवादपत्र तथा कानूनकी प्रत परिवादके साथ एकत्रित की गई थी । तत्पश्चात नागरिकोंके विरोधके कारण कार्यक्रम निरस्त हुआ; किंतु मिशनरियोंके विरोधमें अपराध प्रविष्ट नहीं किया गया । अतः मिशनरियोंके विरोधमें अपराध प्रविष्ट कब करेंगे, इस प्रकारकी पूछताछ नागरिकोंद्वारा की जा रही थी । इस संदर्भमें हिंदुनिष्ठ संगठनोंद्वारा तुर्भें पुलिस थानेमें जाकर पुलिस अधिकारी सांवतसे भेंट करनेपर उन्होंने उत्तर दिया कि इस संदर्भमें प्रक्रिया चल रही है । (मिशनरियोंके विरोधमें अपराध प्रविष्ट करनेके लिए विलंब करनेकी भूमिका अपनानेवाले पुलिसकर्मियोंका बहुसंख्यक हिंदू अपने कररूपी धनसे मुफ्तमें पालन क्यों करें ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात