कम्युनिस्ट नेता वृंदा करात ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिख आईपीएस अधिकारी एम नागेश्वर राव पर कार्रवाई की मॉंग की है। उन्होंने दिल्ली पुलिस से भी शिकायत की है। राव ने पिछले दिनों भारतीय शिक्षा-व्यवस्था के अब्राहमीकरण (इस्लाम और ईसाइयत का प्रभुत्व) और मुस्लिम शासकों के खूनी इतिहास को मिटाने के संदर्भ में ट्वीट किया था।
केंद्रीय गृह मंत्री को लिखे पत्र में करात ने आरोप लगाया है कि राव ने सर्विस नियमों का उल्लंघन किया है। उनकी टिप्पणियाँ संविधान के खिलाफ हैं और ‘सांप्रदायिक भावनाओं को उकसाती हैं।
करात ने राव के ट्वीट को अल्पसंख्यकों पर हमला बताते हुए कहा है कि मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने भारतीय शिक्षा प्रणाली को सॅंभाला था, लेकिन उन पर हिंदुत्ववादी विद्वानों को दरकिनार करने का आरोप राव ने मढ़ दिया।
उन्होंने कहा है कि मौलाना आजाद के खिलाफ अपमानजनक भाषा का प्रयोग कर राव दो समुदायों के बीच द्वेष को उकसा रहे हैं। साथ ही उन्होंने राव को विश्व हिन्दू परिषद और आरएसएस की विचारधारा से प्रेरित भी बताया है।
कम्युनिस्ट नेता ने यह भी आरोप लगाया कि राव 31 जुलाई को रिटायर हो रहे है। उन्होंने यह विवादित टिप्पणी इसलिए कि ताकि वे आसानी से बीजेपी और आरएसएस में शामिल हो सके। उन्होंने कहा कि राव ने सेवा में रहते हुए यह ट्वीट किया है जो आईपीएस के नियमों के उल्लंघन है। राव के खिलाफ आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत मुकदमा भी चलाया जाना चाहिए।
करात ने इस संबंध में दिल्ली पुलिस को भी पत्र लिख कर राव के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 ए और 295 ए के तहत प्राथमिकी दर्ज करने को कहा। दिल्ली पुलिस आयुक्त, डीसीपी, और मंडी मार्ग पुलिस स्टेशन के एसएचओ को संबोधित पत्र में कहा गया है, “राव समुदायों के बीच दुश्मनी और मुसलमानों के खिलाफ नफरत की भावनाएं को भड़काने का काम कर रहे है।”
गौरतलब है कि, कुछ दिनों पहले IPS अधिकारी एम नागेश्वर राव ने वामपंथियों द्वारा भारतीय इतिहास से किए गए छेड़छाड़ के संबंध में ट्वीट किया था। जिसमें उन्होंने शिक्षा मंत्री रह चुके मौलाना अबुल कलाम आजाद के खिलाफ इस्लामिक आक्रांताओं और मुस्लिम शासकों के खूनी इतिहास को छिपाने और उनका महिमामंडन करने का आरोप लगाया था।
राव ने बताया था कि भारत के इतिहास को बड़ी सफाई से ‘विकृत’ किया गया। ऐसा करने वाले को शिक्षा मंत्री का नाम दिया गया। शिक्षा मंत्री रहते हुए मुस्लिम नेता 1947-1977 के बीच 20 साल भारतीय मन-मस्तिष्क के प्रभारी बने बैठे थे।
एम नागेश्वर राव ने ट्वीट किया था कि, “मौलाना अबुल कलाम आजाद के 11 साल (1947-58) के बाद, हुमायूँ कबीर, एमसी छागला और फकरुद्दीन अली अहमद- 4 साल (1963-67), फिर नुरुल हसन- 5 साल (1972-77)। शेष 10 साल अन्य वामपंथी जैसे वीकेआरवी राव… ने ये जिम्मेदारी सँभाली।”