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हिंदुओंको ‘लुटेरा’ संबोधित करनेवाले करुणानिधिके विरोधमें उच्च न्यायालयमें याचिका प्रविष्ट

 चैत्र पूर्णिमा , कलियुग वर्ष ५११५

 

चेन्नई – तमिळनाडूके भूतपूर्व प्रमुखमंत्री एम.के. करुणानिधिने अपने एक भाषणमें हिंदू अर्थात लुटेरा इस प्रकारका वक्तव्य देनेके संदर्भमें मद्रास उच्च न्यायालयमें उनके विरोधमें याचिका प्रविष्ट की गई है । वैदिक संशोधन केंद्रके श्री. बी. आर. गौतमनद्वारा यह याचिका प्रविष्ट की गई है । उस याचिकामें यह परिवाद किया गया है कि हिंदुओंको लुटेर संबोधित कर करुणानिधिने हिंदुओंकी भावना आहत की है । (हिंदुओंद्वारा कभी किसीको लुटेरा कहनेका उल्लेख इतिहासमें कहीं भी नहीं हैं । इसके विरुद्ध व्यापारीके रूपमें भारतमें आए ईसाईयोंने ही भारतको लूटा है, यह बात जगप्रसिद्ध है । यह बात इस हिंदुबहुल भारतमें ही सत्ताका उपभोगनेवाले करुणानिधि भूल गए हैं ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) उच्च न्यायालयद्वारा ये आदेश दिए गए हैं कि  इस संदर्भमें करुणानिधि ४ दिनोंके अंदर ही स्पष्टीकरण दें ।

१. करुणानिधिने २४ अक्तूबर २००२ को यह विधान किया था । उन्होंने बताया था कि इस वक्तव्यके लिए हिंदू विश्वकोषका आधार है । उस समय हिंदुनिष्ठोंद्वारा उनका विरोध किया गया, तो श्री. गौतमजीद्वारा इस वक्तव्यके विरोधमें फौजदारी दंडविधान प्रविष्ट किया गया । (हिंदुओंके विरोधमें विधान करनेवाले इस राजनीतिक नेताके विरोधमें वैध मार्गसे कृत्य करनेवाले श्री. बी.आर.गौतमनका अभिनंदन ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

२. १७ नवम्बर २००५ में न्यायालयद्वारा पुलिसको परिवाद प्रविष्ट करनेके आदेश दिए गए । ६ जनवरी २००६ में पुलिसद्वारा अपराध प्रविष्ट किया गया । २०११ में करुणानिधिके सत्तामें आनेके कारण यह विषय दबा दिया गया । अतः श्री. गौतमनने उच्च न्यायालयमें पुनः याचिका प्रविष्ट की । (जनतंत्र निरर्थक निश्चित करनेवाले राजनेता ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

३. इस विषयकी सुनवाई हाल ही में हुई । उस समय न्यायमूर्तिने बताया, करुणानिधिको हिंदुओंके विरोधमें वक्तव्य देनेकी आदत हो गई है । करुणानिधि प्रसिद्ध राजनीतिक नेता हैं । अतः उनके समर्थक भी उसी प्रकारके वक्तव्य देते हैं । इन्हीं बातोंसे हिंदुओंकी भावना आहत होती है ।

४. न्यायालयद्वारा पुलिसकी ओर अपराधके संदर्भमें पूछताछ किए जानेपर पुलिसने उत्तर दिया कि पूछताछ आरंभ (जारी) है । पुलिसके इस उत्तरपर न्यायालयने सीधे करुणानिधिपर उपर्युक्त प्रकारका विज्ञापन दर्ज किया । (जनताकी यह अपेक्षा है कि पूछताछमें विलंब लगानेवाली पुलिसपर न्यायालयद्वारा कार्रवाई करनेके आदेश  प्राप्त होने चाहिए । इससे अन्य पुलिसकर्मियोंपर भी धाक जमेगा । – संपादक)

 स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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