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नवम ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ के दूसरे दिन हिन्दुओं पर हो रहे आघातों संबंधी विचारमंथन !

(ऑनलाइन) ‘नवम अखिल भारतीय हिन्‍दू राष्‍ट्र अधिवेशन’ के दूसरे दिन के पहले सत्र में मान्‍यवरों के विचार !

पहले सत्र में ‘हिन्‍दू जनजागृति तथा हिन्‍दू समाज की सहायता करना’ विषय पर मान्‍यवरों ने अपने विचार रखे । नई देहली स्‍थित ‘प्रज्ञता’ संस्‍था के सहसंस्‍थापक श्री. आशिष धर ने ‘हिन्‍दू समाज को जागृत करने हेतु किए गए प्रयास’; ‘शरणार्थी पाकिस्‍तानी हिन्‍दुओं के पुनर्वास हेतु किए गए प्रयास’ विषय पर मीनाक्षी शरण, तो ‘शरणार्थी पाकिस्‍तानी हिन्‍दुओं की वर्तमान स्‍थिति तथा उसके उपाय’ विषय पर राजस्‍थान के जयपुर की ‘निमित्तेकम’ संस्‍था के अध्‍यक्ष श्री. जय आहुजा ने मार्गदर्शन किया ।

पाकिस्‍तान के हिन्‍दुओं को भारतीय नागरिकता दिलाने के कार्य में प्रत्‍येक हिन्‍दू को अपना योगदान देने की आवश्‍यकता ! – श्री. जय आहुजा, अध्‍यक्ष, निमित्तेकम, जयपुर, राजस्‍थान

‘निमित्तेकम’ संस्था के अध्यक्ष श्री. जय आहूजा

‘निमित्तेकम’ संस्‍था शरणार्थी पाकिस्‍तानी हिन्‍दुओं को भारतीय नागरिकता दिलाने में सहायता करती है । अभीतक संस्‍था की ओर से पाकिस्‍तान के २ सहस्र से भी अधिक हिन्‍दुओं को भारतीय नागरिकता दिलाई गई है । पाकिस्‍तान के हिन्‍दुओं को भारतीय नागरिकता दिलाने के कार्य में प्रत्‍येक हिन्‍दू को अपना योगदान देने की आवश्‍यकता है । राजस्‍थान की ‘निमित्तेकम’ संस्‍था के अध्‍यक्ष श्री. जय आहुजा ने ऐसा प्रतिपादित किया ।

वर्ष २०१६ में केंद्र सरकार ने पाकिस्‍तान से विस्‍थापित हुए हिन्‍दुओं को भारतीय नागरिकता देने की अनुमति दी । भारत की ऐतिहासिक चूक के कारण आज भी ७० लाख हिन्‍दू पाकिस्‍तान में फंसे हुए हैं । वहां के हिन्‍दुओं को प्रतिदिन अमानुषिक अत्‍याचार सहन करने पड रहे हैं । कोरोना महामारी के समय वहां के हिन्‍दुओं को कोई काम नहीं था । उन्‍हें भोजन नहीं मिल रहा था । ऐसी स्‍थिति में भोजन की पैकेट्‍स के बदले वहां के १५ लाख हिन्‍दुओं का धर्मांतरण किया गया । वहां की हिन्‍दू युवतियां जिहादियों की बलि चढ रही हैं । उनके अभिभावक राजनेता और न्‍यायालय के दरवाजे खटखटा रहे हैं; परंतु कोई उनकी सुन नहीं रहा है । उनका यही दोष है कि उनका जन्‍म पाकिस्‍तान में हुआ है । तब भी वहां के हिन्‍दुओं में यह विश्‍वास है कि एक ना एक दिन उन्‍हें भारत की नागरिकता मिलेगी ।

पाकिस्‍तानी हिन्‍दुओं को उनके झुकाव और कौशल के आधार पर काम मिले ! – मीनाक्षी शरण, सामाजिक कार्यकर्त्री, मुंबई

पाकिस्तानी हिन्दुओं के लिए कार्य करनेवाली श्रीमती मीनाक्षी शरण

पाकिस्‍तान के हिन्‍दुओं की स्‍थिति दयनीय है । पाकिस्‍तान में राजनीतिक, शैक्षिक, सामाजिक आदि क्षेत्रों में हिन्‍दुओं के साथ अन्‍यायपूर्ण व्‍यवहार किया जाता है । वहां हिन्‍दू लडकियों का अपहरण अथवा उनके साथ बलात्‍कार की घटनाएं भी हुईं, तो न्‍यायालयों से अपराधियों के पक्ष में ही निर्णय मिलता है । उसके कारण वहां के पीडित हिन्‍दू भारत में शरण लेते हैं; परंतु वे यहां के प्रवाह में अभीतक नहीं घुल-मिल पाए हैं, यह वास्‍तविकता है । पाकिस्‍तानी हिन्‍दुओं को थोडा-बहुत कौशल सिखाकर उनके लिए छोटे-बडे व्‍यवसाय खोलकर दिए जाते हैं; परंतु उनका झुकाव कृषि की ओर है । वे खेती और बागवानी के काम में कुशल हैं । पाकिस्‍तानी हिन्‍दू महिलाएं हस्‍तकला में कुशल हैं । लगभग समाप्‍त होने की कगार पर आई कुछ प्राचीन कलाओं में वे निपुण हैं । पाकिस्‍तानी हिन्‍दुओं को उनका झुकाव और कुशलता के आधार पर काम उपलब्‍ध कराया गया, तो वे यहां के वातावरण में शीघ्र घुल-मिल जाएंगे । मैं उस दिशा में प्रयास कर रही हूं । पाकिस्‍तानी हिन्‍दू ‘हमारे अपने’ हैं । वे श्रमजीवी हैं, उन्‍हें भारतीय हिन्‍दुओं के आश्रय की आवश्‍यकता है ।

समाजजागृति कर काशी विश्‍वनाथ मंदिर में बंद की गई आरती को पुनः आरंभ करने के लिए सरकार को बाध्‍य किया ! – श्री. आशीष धर, सहसंस्‍थापक, प्रज्ञता, नई देहली

‘प्रज्ञता’ संस्था के सहसंस्थापक श्री. आशिष धर

काशी विश्‍वनाथ मंदिर में पिछले १ सहस्र वर्ष से प्रतिदिन ‘सप्‍तर्षि’ आरती उतारने की परंपरा है । कोरोना महामारी के काल में नियुक्‍त सरकारी कर्मचारियों ने इस प्रथा को रद्द करने का निर्णय लिया । जो प्रथा औरंगजेब के काल में भी खंडित नहीं हुई थी, वह सरकारी नियंत्रण के कारण रद्द हुई । इस संदर्भ में हमने वीडियो प्रसारित किया । उससे समाजजागृति होने की बात ध्‍यान में आते ही सरकार ने यह प्रतिबंध हटाया और मंदिर में पुन: आरती आरंभ हुई । नई देहली स्‍थित ‘प्रज्ञता’ संस्‍था के सहसंस्‍थापक श्री. आशीष धर ने यह प्रश्‍न उठाया कि सरकार की ओर से केवल मंदिरों को ही सरकारीकृत किया गया । मस्‍जिदों और चर्चों को क्‍यों नहीं ? (ऑनलाइन) नवम अखिल भारतीय हिन्‍दू राष्‍ट्र अधिवेशन के दूसरे दिन के पहले उद़्‍बोधन सत्र में वे ऐसा बोल रहे थे ।

उन्‍होंने आगे कहा, ‘‘हमारी संस्‍था की ओर से समाज के सर्वसामान्‍य व्‍यक्‍ति तक राष्‍ट्र एवं धर्म पर हो रहे आघातों की जानकारी पहुंचाने के उद्देश्‍य से वीडियो प्रसारित किए जाते हैं । अभीतक हमने ‘विस्‍थापित कश्‍मीरी पंडित’, ‘राममंदिर का निर्माण’, ‘बांगला देशी हिन्‍दुओं का दुख’, ‘जोगेंद्रनाथ मंडल (पाकिस्‍तान के पहले विधिमंत्री) की जीवनयात्रा’, ‘काशी विश्‍वनाथ मंदिर में आरती पर लगाया गया प्रतिबंध’ आदि विषयों पर वीडियो बनाकर सामाजिक माध्‍यमों से उनका प्रसारण किया है और उसका उत्‍स्‍फूर्त प्रत्‍युत्तर भी प्राप्‍त हो रहा है ।’’ दूसरे दिन के पहले सत्र में सामाजिक कार्यकर्त्री मीनाक्षी शरण, साथ ही राजस्‍थान की ‘निमित्तेकम’ संस्‍था के अध्‍यक्ष जय आहुजा ने मार्गदर्शन किया । दूसरे सत्र में ‘तमिलनाडु में जिहादी एवं ईसाई शक्‍तियों का बढता हुआ वर्चस्‍व’ विषय पर हिन्‍दू मक्‍कल कत्‍छी के अध्‍यक्ष अर्जुन संपथ ने मार्गदर्शन किया ।

(ऑनलाइन) ‘नवम अखिल भारतीय हिन्‍दू राष्‍ट्र अधिवेशन’ के दूसरे दिन के दूसरे सत्र में मान्‍यवरों के विचार !

हिन्‍दू जनजागृति समिति की ओर से चल रहे ‘ऑनलाइन’ नवम अखिल भारतीय हिन्‍दू राष्‍ट्र अधिवेशन’ के दूसरे दिन के उद़्‍बोधन सत्र में ‘जिहादी आतंकवाद का प्रतिकार’ विषय पर ‘तमिलनाडु के ‘हिन्‍दू मक्‍कल कत्‍छी’ के संस्‍थापक-अध्‍यक्ष श्री. अर्जुन संपथ ने भी संबोधित किया ।

तमिलनाडु में हिन्‍दूद्वेषियों द्वारा हो रहे आघातों के विरुद्ध सडक पर उतरेंगे ! – जी. राधाकृष्‍णन, शिवसेना राज्‍य अध्‍यक्ष, तमिलनाडु

तमिलनाडु के शिवसेना राज्यप्रमुख जी. राधाकृष्णन्

तमिलनाडु में पेरियार, साथ ही द्रमुक के कार्यकर्ताओं ने भाषण की स्‍वतंत्रता के नाम पर हिन्‍दू धर्म, परंपरा, संस्‍कृति, स्‍तोत्र, साथ ही ब्राह्मण समुदाय को अपमानित कर हिन्‍दूद्वेष बढाया । आज भी तमिलनाडु में हिन्‍दू धर्म पर आघात हो रहे हैं; परंतु अब स्‍थिति पहले जैसी नहीं रही । अब हिन्‍दू जागृत होकर हिन्‍दू धर्म पर हो रहे आघातों का विरोध कर रहे हैं । कोरोना महामारी के काल में तमिलनाडु सरकार ने कोरोना के विरुद्ध संघर्ष के लिए हिन्‍दू मंदिरों को १० करोड रुपए देने का आदेश दिया; परंतु यह आदेश मस्‍जिद और चर्चेस को लागू नहीं था । इसके विरुद्ध धर्मप्रेमियों ने मद्रास उच्‍च न्‍यायालय में याचिका प्रविष्‍ट की । उस पर न्‍यायालय ने सरकार के आदेश को अवैध प्रमाणित किया । तमिलनाडु शिवसेना अध्‍यक्ष जी. राधाकृष्‍णन ने ऐसा प्रतिपादित किया कि जहां हिन्‍दू धर्म पर आघात होंगे, वहां हम सडक पर उतरेंगे और न्‍यायालयीन संघर्ष भी करेंगे । ‘तमिलनाडु में जिहादी एवं धर्मांध ईसाईयों का बढता हुआ वर्चस्‍व’ विषय पर बोलते हुए उन्‍होंने उक्‍त विचार व्‍यक्‍त किए ।

नास्‍तिकतावादियों का केवल हिन्‍दू धर्म को ही विरोध क्‍यों ? – जी. राधाकृष्‍णन, शिवसेना राज्‍य अध्‍यक्ष, तमिलनाडु

तमिलनाडु में द्रमुक कार्यकर्ता स्‍वयं को नास्‍तिकतावादी कहलाते हैं; परंतु उनका विरोध केवल हिन्‍दू धर्म को ही क्‍यों है ? वे अन्‍य पंथों की आलोचना करने का साहस नहीं दिखाते; क्‍योंकि उसके परिणामों से भलीभांति परिचित हैं । अतः वे केवल हिन्‍दू धर्म को ही अपना लक्ष्य बनाते हैं ।

हलाल प्रमाणपत्र व्‍यवस्‍था के माध्‍यम से भारत का इस्‍लामीकरण करने का षड्‍यंत्र ! – श्री. रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति

श्री. रमेश शिंदे

हलाल अर्थात इस्‍लाम की दृष्‍टि से खाने के लिए वैध मांस ! इसके अंतर्गत ‘कसाई का मुसलमान होना’, ‘पशु पर छुरा चलाने से पहले कसाई द्वारा कुरआन की आयतें बोलना, ‘पशु की गर्दन मक्‍का की दिशा मेें होना’ आदि नियम हैं । पश्‍चिमी देशों में अनेक पशुप्रेमी संगठन ‘हलाल’ संकल्‍पना का विरोध कर रहे हैं । आज यह संकल्‍पना केवल मांसतक सीमित नहीं है, अपितु सौंदर्यप्रसाधन, औषधियां, गृहनिर्माण परियोजनाएं आदितक उसकी व्‍यापकता बढ गई है । हलाल की अर्थव्‍यवस्‍था लगभग २.४ ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर्स (१ ट्रिलियन का अर्थ १ के आगे १२ शून्‍य अर्थात १ सहस्र अरब) अर्थात आज के भारत की अर्थव्‍यवस्‍था जितनी बडी है । इस माध्‍यम से भारत पुनः एक बार गुलामी की दिशा में अग्रसर है । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ वर्ष पूर्व शरिया विधि के अनुसार संचालित बैंकों पर प्रतिबंध लगाया था । आजकल हलाल प्रमाणपत्र के माध्‍यम से भारत का हो रहा इस्‍लामीकरण और जिहाद के लिए आर्थिक बल प्रदान करने का षड्‍यंत्र चल रहा है । संवैधानिक पद्धति से इसका विरोध होना चाहिए । ‘सेक्‍युलर’ भारत में इस्‍लामी अर्थकारण को गति प्रदान करने हेतु हलाल प्रमाणपत्र की व्‍यवस्‍था का कार्यरत होना ‘सेक्‍युलर’वाद की पराजय है । हिन्‍दू जनजागृति समिति के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता श्री. रमेश शिंदे ने ऐसा प्रतिपादित किया ।

श्री. रमेश शिंदे ने आगे कहा कि

१. मुसलमान देशों ने उनके देश में व्‍यापार चलाने हेतु हलाल प्रमाणपत्र लेना अनिवार्य किया है । भारत में ‘जमियत उलेमा-ए-हिन्‍द’, ‘हलाल इंडिया’ जैसी मुसलमानों की निजी संस्‍थाएं यह प्रमाणपत्र देती हैं ।

२. भारत के अनेक प्रतिष्‍ठान आज अपना व्‍यापार चलाने हेतु पैसे देकर हलाल प्रमाणपत्र ले रहे हैं । इससे मिलनेवाला पैसा इस्‍लाम के प्रसार हेतु उपयोग किया जाता है ।

३. हलाल प्रमाणपत्र तो इस आधुनिक काल का ‘जिजिया कर’ ही है । आश्‍चर्य की बात यह कि ‘एयर इंडिया’, ‘अपेडा’ (कृषि और प्रकियाकृत अन्‍न निर्यात विकास प्राधिकरण), ‘आईआरसीटीसी’ (भारतीय रेल) जैसे सरकारी संगठन भी हलाल मांस को मान्‍यता प्रदान करते हैं ।

४. खाद्यान्‍नों को प्रमाणपत्र देने हेतु ‘एफएसएसएआइ’ (भारतीय अन्‍न सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण), ‘एफडीए’ (अन्‍न एवं औषधीय प्रशासन) जैसी सरकारी संस्‍थाएं होते हुए भी हलाल प्रमाणपत्र की समानांतर व्‍यवस्‍था किसलिए ?

५. हलाल प्रमाणपत्र के कारण हिन्‍दू खटक समुदाय का व्‍यापार संकट में आ गया है । इसके कारण मांस का व्‍यापार पूर्णतया मुसलमानों के नियंत्रण में चला गया है । एक प्रकार से यह हिन्‍दू ‘खटक’ समुदाय का बहिष्‍कार करने की ही योजना है । ‘अनुसूचित जाति-जनजाति अत्‍याचार निवारण शोध संशोधन अधिनियम’ के अनुसार यह अपराध प्रमाणित होता है ।

६. हलाल के कारण ‘सेक्‍युलर’ भारत में हिन्‍दुओं के साथ अन्‍याय होकर इस्‍लामी अर्थव्‍यवस्‍था को बल मिल रहा है । इसके विरुद्ध सभी को आवाज उठानी चाहिए ।’’

तामिलनाडु सरकार की ओर से मुसलमानों का तुष्‍टीकरण और हिन्‍दुओं के साथ भेदभाव ! – श्री. अर्जुन संपथ, संस्‍थापक-अध्‍यक्ष, हिन्‍दू मक्‍कल कत्‍छी, तमिलनाडु

तमिलनाडु स्थित हिन्दू मक्कल कत्छी के संस्थापक अध्यक्ष श्री. अर्जुन संपथ

‘कोरोना वाहक’ की भूमिका निभानेवाले तबलीगी जमात के कार्यक्रम में तमिलनाडु से २ सहस्र ५०० से भी अधिक लोग सहभागी थे । उनके राज्‍य लौटने पर उन्‍हें अनेक चिकित्‍सकीय सुविधाएं दी गईं । कोरोना से स्‍वस्‍थ होने पर प्रशासनिक अधिकारियों ने चिकित्‍सालय जाकर उनका स्‍वागत किया । उन्‍हें कुरआन का वितरण किया गया । यह कृत्‍य आंकलन से बाहर है । इसके विपरीत हिन्‍दुओं को चिकित्‍सकीय सुविधाएं देने में भेदभाव किया जा रहा है । मंदिरों की भूमि तथा तमिलनाडु के सभी मंदिर वहां की सरकार ने अपने नियंत्रण में ले लिए हैं । इन मंदिरों में लूट चल रही है । दूसरी ओर तमिलनाडु सरकार ने मुसलमानों का तुष्‍टीकरण करते हुए उन्‍हें रमजान के समय में ४ सहस्र ५०० मेट्रिक टन चावल का वितरण किया । इसका वितरण सरकारी विभागों से नहीं, अपितु मस्‍जिदों में किया गया ।

तमिलनाडु में ईसाई लगभग ६ प्रतिशत, तोे मुसलमान १० प्रतिशत हैं । राज्‍य में हिन्‍दू बहुसंख्‍यक होते हुए भी वहां की राजनीति में ईसाई और मुसलमानों का वर्चस्‍व है । वहां हिन्‍दू देवताओं की मूर्तियां और भारतमाता की मूर्ति का खुलेआम विरोध किया जाता है । हिन्‍दू नेताओं की हत्‍याएं की जाती हैं । वहां नक्‍सली गतिविधियां भी हो रही हैं । जिहादी, धर्मांध ईसाई, वामपंथी और नक्‍सलियों की कार्यपद्धतियां भले ही अलग-अलग हों; परंतु ‘हिन्‍दूद्वेष और भारतविरोध’ का धागा उनमें समान है । आज तमिलनाडु में कश्‍मीर की भांति जिहादी आतंकवाद बढ रहा है । राज्‍य में शिक्षा एवं चिकित्‍सकीय सहायता के माध्‍यम से भी धर्मांतरण की घटनाएं हो रही हैं । हिन्‍दुओं को संगठित होकर तमिलनाडु में हो रही इन आतंकी गतिविधियों का वैधानिक पद्धति से विरोध करना चाहिए ।

अधिवेशन में ‘ऑनलाइन’ उपस्‍थित कुछ धर्मप्रेमियों की प्रतिक्रियाएं

१. ‘हिन्‍दू जनजागृति समिति का धर्मजागृति का कार्य अत्‍यंत प्रशंसनीय है । सभी हिन्‍दुओं को एकत्रित होकर हिन्‍दू राष्‍ट्र की मांग को समर्थन देना आवश्‍यक ।’- श्री. विवेक मित्तल

२. अखिल भारतीय हिन्‍दू राष्‍ट्र अधिवेशन में वक्‍ताओं द्वारा दी जानेवाली जानकारी अत्‍यंत यथार्थ है । हिन्‍दुओं में जागृति लाना आवश्‍यक है ।’- श्री. भरत तोमर

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