मोहम्मद फैज खान हिन्दुओं की भावनाओं का आदर करें तथा अयोध्या में मिट्टी लाने का आग्रह छोडकर वापस जाएं ! – हिन्दू जनजागृति समिति
अनेक हिन्दुओं द्वारा दी गई प्राणों की आहुति, सैकडों वर्षों का कठोर संघर्ष और पूरे ५०० वर्षों की प्रतीक्षा के उपरांत प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माणकार्य का शुभारंभ ५ अगस्त को श्रीरामजन्मभूमि अयोध्या में हो रहा है । यह क्षण संपूर्ण हिन्दू समाज के लिए अतिशय आनंद का है । आक्रमणकारी बाबर के प्रतीकों को तिलांजली देकर, भारतीय मुसलमान यदि पहले ही प्रभु श्रीराम मंदिर के निर्माण हेतु सहयोग करते, तो यह संघर्ष टाला जा सकता था । इसके विपरीत मुसलमान समाज ने विरोध की ही भूमिका अपनाई । इसके उपरांत भी अब सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के पश्चात लोकतांत्रिक प्रक्रिया से मंदिर निर्माण हो रहा है । अब पुनः मुसलमान समाज के व्यक्ति द्वारा श्रीराम मंदिर के शिलान्यास हेतु मिट्टी लाने के आग्रह के कारण विवाद उत्पन्न हो रहा है । आज तक राम मंदिर का मुसलमानों द्वारा विरोध किए जाने के कारण, इस कृत्य के विषय में हिन्दुओं के मन में विरोध की भावना निर्माण होना स्वाभाविक है । यदि एक बार के लिए हम यह मान भी लें कि मोहम्मद फैज खान की भावनाएं पवित्र हैं, वे रामभक्त हैं; तब भी उन्हें इस समय सर्वप्रथम हिन्दू समाज की भावनाओं का आदर करना चाहिए । मोहम्मद फैज खान को इस ओर ध्यान देना चाहिए कि उनके कारण श्रीरामजन्मभूमि स्थित भूमिपूजन के महत्कार्य में किसी भी प्रकार का व्यवधान उत्पन्न न हो । इसके लिए फैज खान भूमिपूजन हेतु मिट्टी लाने का आग्रह छोड दें और वापस लौट जाएं, ऐसा आवाहन हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने किया है ।
प्रभु श्रीराम को ‘इमाम-ए-हिन्द’ कहना, उनका अपमान ही है !
मोहम्मद फैज खान की सोशल मीडिया की ‘पोस्ट’ में प्रभु श्रीराम को ‘इमाम-ए-हिन्द’ कहा गया है । ‘इमाम’ अर्थात ‘जो नमाजपठन करते हैं, इस्लाम मानते हैं और उसके अनुसार आचरण करते हैं’ ! प्रभु श्रीराम न नमाजपठन करते थे, न ही वे इस्लाम के अनुयायी हैं । इस्लाम की स्थापना होने के लाखों वर्ष पूर्व त्रेतायुग में प्रभु श्रीराम का अवतार हुआ । इसलिए इस्लाम के ‘इमाम’ का अर्थ कुछ भी हो, प्रभु श्रीराम के लिए उसका उपयोग करना, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, धार्मिक आदि सभी दृष्टि से अनुचित है । इसके विपरीत अयोध्या स्थित श्रीराम मंदिर सहित भारत के सहस्रों मंदिरों को ध्वस्त करनेवाले इस्लामी आक्रमणकारियों के, मूर्तिपूजा न माननेवाले पंथ के ‘इमाम’ कहकर फैज खान ने प्रभु श्रीराम का अपमान ही किया है । इस कारण फैज खान इस विषय में संपूर्ण हिन्दू समाज से, श्रीरामभक्तों से सार्वजनिक रूप से क्षमायाचना करें, ऐसी मांग भी श्री. रमेश शिंदे ने की है ।