‘ऑनलाइन’ नवम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के चौथे दिन मान्यवरों के उद़्बोधक विचार
फोंडा (गोवा) : देहली दंगा, साथ ही शाहीन बाग का आंदोलन तो शहरी नक्सली और जिहादी आतंकियों द्वारा देश में अराजकता फैलाने हेतु किया गया प्राथमिक स्तर (पाईलट एक्सपेरिमेंट) का प्रयोग था । भारत की संसद से केवल १० किमी दूरी पर आंदोलन कर भारत में ‘खिलाफत’ अर्थात भारत में इस्लामी शासन लागू करने की नारेबाजी की गई । इस समय भडकाऊ भाषण दिए गए । विदेशी पैसों के बल पर पुलिसकर्मियों को लक्ष्य बनाया गया । ‘सीएनजी’ की बसें जलाकर विस्फोट किया गया । हिन्दुओं की हत्याएं की गईं; परंतु ऐसे दंगाईयों का उदात्तीकरण करने का प्रयास किया गया । दंगा भडकानेवाले व्यक्तियों को सत्ताधारी ‘आप’ दल की ओर से विधानसभा प्रत्याशी बनाया गया । आतंकियों के समर्थक तथाकथित विचारक, पत्रकार, अधिवक्ता, साथ ही सडक पर बैठकर आंदोलन करनेवालों का एक देशद्रोही जाल है । नक्सली, वामपंथी और आतंकी असत्य की रट लगाकर लोकतंत्र को ही अपने हाथ में लेते हैं । ऐसे समय में हिन्दुओं को स्वयं में शौर्य का जागरण कर संगठितरूप से राष्ट्रविरोधी लोगों की पोल खोलनी चाहिए, साथ ही राष्ट्ररक्षा हेतु तैयार हो जाना चाहिए । नई देहली के भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने यह आवाहन किया ।
हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से चल रहे ‘ऑनलाइन’ नवम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में २ अगस्त को ‘आनेवाले समय की चुनौतियां’ विषय पर उद़्बोधन सत्र का आयोजन किया गया था, उसमें वे ऐसा बोल रहे थे । इस अवसर पर मुंबई के ‘लष्कर-ए-हिंन्द’ संगठन के संस्थापक-अध्यक्ष अधिवक्ता ईश्वर प्रसाद खंडेलवाल, हिन्दू जनजागृति समिति के पूर्व तथा पूर्वोत्तर भारत मार्गदर्शक पू. नीलेश सिंगबाळजी ने भी मार्गदर्शन किया ।
आतंकवादियों का पक्ष लेकर हिन्दुओं की व्यथाओं की उपेक्षा करनेवाले पत्रकार पत्रकारिता के लिए कलंक !
देहली दंगे के समय हिन्दूद्वेषी समाचारवाहिनियां, साथ ही समाचार संकेतस्थलों द्वारा की गई एकतरफा पत्रकारिता के प्रति क्षोभ व्यक्त करते हुए श्री. कपिल मिश्रा ने कहा, ‘‘१४, १५ और १६ दिसंबर २०१९ को हुए देहली दंगे में आप विधायक अमानतुल्लाह खान ने जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के सामने भडकाऊ भाषण दिया । तत्पश्चात विश्वविद्यालय से बाहर निकल रही धर्मांधों की भीड ने बसें जला दीं । दूसरी एक घटना में बांगला देशी घुसपैठियों ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी से सडक पर मारपीट की; परंतु इस संदर्भ में कांग्रेस और तथाकथित पत्रकारों ने एक शब्द भी नहीं बोला । वामपंथी समाचार संकेतस्थल ‘वायर’ की महिला पत्रकार आप का पार्षद ताहिर हुसैन से चलितभाष पर भेंटवार्ता कर रही थीं । ताहिर हुसैन को गिरफ्तार किए जाने पर ‘अब उसके बच्चे ईद कैसे मनाएंगे ?’, इस प्रकार का वृत्तांकन करनेवाले पत्रकारों के मन में ‘अब अंकित शर्मा की बहन रक्षाबंधन कैसे मनाएगी ?’, यह प्रश्न नहीं उठ रहा था । ऐसी दोहरी नीतिवाले पत्रकार पत्रकारिता के लिए कलंक ही हैं ।’’
चौखट
अधिवेशन के माध्यम से हिन्दुओं को जोडकर रखने तथा विचारों का आदान-प्रदान करने का सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति का कार्य प्रशंसनीय ! – कपिल मिश्रा
कोरोना महामारी के काल में भी ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ के माध्यम से सनातन संस्था और हिन्दू जनजागृति समिति हिन्दुओं को जोडकर रखने और विचारों का आदानप्रदान करने का जो कार्य कर रही हैं, वह सचमुच प्रशंसनीय है । इस अधिवेशन का सुंदर तरीके से आयोजन करनेवाले आयोजकों को अनेक शुभकामनाएं !
मानवाधिकार के ठेकेदार आतंकी और नक्सलियों को प्राणवायु की आपूर्ति करने का काम करते हैं ! – ईश्वर प्रसाद खंडेलवाल, संस्थापक अध्यक्ष, ‘लष्कर-ए-हिन्द’, मुंबई
मानवाधिकार संगठन में कार्य करनेवाले अनेक लोग नक्सली विचारधारावाले हैं । वे आतंकी और नक्सलियों को प्राणवायु की आपूर्ति करने का काम करते हैं । किसी घटना में आतंकी और नक्सलियों को गिरफ्तार किए जाने पर वे तुरंत ही ‘मानवाधिकारों का हनन होने’ की शिकायतें करते हैं । न्यायतंत्र में स्थित तथा उनके पक्षधर वामपंथी लोग तुरंत ही ऐसे प्रकरणों की सुनवाई कर आतंकी और नक्सलियों को बचाने का कार्य करते हैं । न्यायतंत्र, प्रसारमाध्यम, सामाजिक संस्था आदि क्षेत्रों में वामपंथी, धर्मांध मुसलमान और ईसाई योजनाबद्ध पद्धति से भारतीय संस्कृति को ध्वस्त करने का षड्यंत्र सफल होने हेतु कार्यरत हैं । इसके विरुद्ध संघर्ष करने के लिए हिन्दुओं को जागृत होना चाहिए । नक्सली विचारधारावाली संस्थाओं पर ध्यान रखना चाहिए । देशविरोधी गतिविधियां चलानेवाले संगठनों के विरुद्ध कार्यवाही होने हेतु शासन-प्रशासन से पत्राचार कर तथा ज्ञापन प्रस्तुत कर इसकी समीक्षा करनी चाहिए । आज हमारे देश को इसकी आवश्यकता है । राष्ट्ररक्षा हेतु जागृत होना हमारा कर्तव्य है ।
देशद्रोही संगठनों के विरुद्ध कार्यवाही करने की मांग करनेवाली संस्था की ही जांच !
‘मैंने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को पत्र भेजकर ‘पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया’, साथ ही अन्य जिहादी संगठनों की देशद्रोही गतिविधियों की जानकारी देकर ऐसे संगठनों के विरुद्ध कार्यवाही करने की मांग की थी; किंतु उन संगठनों के विरुद्ध कार्यवाही करने के स्थान पर प्रशासन ने मेरा संगठन पंजीकृत है अथवा नहीं, इसकी जांच की । प्रशासन में वामपंथियों का कितना प्रभाव है, इससे यह प्रत्यक्ष ध्यान में आता है ।’, ऐसा श्री. ईश्वर प्रसाद खंडेलवाल ने बताया ।
प्रत्येक अधिवक्ता को हिन्दू राष्ट्र स्थापना के कार्य में शिलान्यास की शिला अर्थात पत्थर बनना आवश्यक ! – अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस, देहली
एक ओर देश को धर्मनिरपेक्ष ’ कहते हैं, तो दूसरी ओर धारा २९ और ३० के अनुसार अल्पसंख्यकों के पुनरुत्थान के लिए अलग-अलग योजनाएं चलाई जाती हैं, यह कैसी धर्मनिरपेक्षता है ? केंद्र सरकार केवल मुसलमानों के लिए ५ सहस्र करोड रुपए खर्च कर रही है । क्या यह धारा २९ और ३० का उल्लंघन नहीं है ?; क्योंकि ‘अल्पसंख्यकों में जैन, सिक्ख और पारसी भी आते हैं, उनका क्या ? संविधान की मूल अवधारणा परिवर्तित किए बिना संविधान में परिवर्तन किए जा सकते हैं । अब प्रत्येक अधिवक्ता को हिन्दू राष्ट्र स्थापना के इस कार्य में शिलान्यास की शिला अर्थात पत्थर बनना चाहिए । सर्वोच्च न्यायालय में हिन्दू महासभा के पक्ष में राममंदिर का पक्ष रखनेवाले अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने ऐसा प्रतिपादित किया । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से आयोजित ‘ऑनलाइन’ नवम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन के द्वितीय सत्र में ‘हिन्दू राष्ट्र स्थापना की आवश्यकता एवं दिशा’ विषयपर ‘ऑनलाइन’ विचारगोष्ठी का आयोजन किया गया था । इस अवसरपर अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने उक्त विचार प्रस्तुत किए ।
उन्होंने आगे कहा कि,
१. वर्ष २०१५ में सर्वोच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने मद्रास बार एसोसिएशन की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में यह मत व्यक्त करते हुए कहा था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा संविधान की प्रस्तावना में घुसाए गए ‘धर्मनिरपेक्षता’ और ‘समाजवाद’ दोनों शब्द अनावश्यक थे ।
२. राजनैतिक दल की स्थापना करते समयसंबंधित दल के प्रमुख को ‘हम ‘समाजवाद’ और ‘धर्मनिरपेक्षता’ इन तत्त्वों के अनुसार आचरण करेंगे’, यह घोषणापत्र प्रस्तुत करना पडता है; परंतु ऐसा होते हुए भी ‘ऑल इंडिया मजलीस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन’ (AIMIM) दल के संविधान में ‘हमारा दल केवल मुसलमानों के हित में ही कार्य करेगा’, यह स्पष्टता से उल्लेख है ।
३. डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने अपने ग्रंथ ‘थॉट्स ऑन पाकिस्तान’ में लिखा है कि ‘देश को पराधीनता की छाया से मुक्त होने के उपरांत हमें सर्वप्रथम पराधीनता के चिन्ह हटाने चाहिए ।’
४. जो मंदिर तोडे गए हैं, उनका पुनरुत्थान करना संवैधानिक अधिकार है ।
‘धर्मनिरपेक्ष’ देश में हिन्दुओं के साथ अलग और अन्य धर्मियों के साथ अलग न्याय क्यों ? – श्री. विकास सारस्वत, लेखक, आगरा, उत्तर प्रदेश
१. ईसाई और मुसलमान उनके विद्यालयों में धार्मिक शिक्षा देते हैं; परंतु हिन्दुओं को उनके ही विद्यालयों में धर्मशिक्षा देने की अनुमति नहीं है; क्योंकि देश धर्मनिरपेक्ष है ।
२. हिन्दुओं के मंदिर सरकारीकृत कर उनको नियंत्रण में लिया जाता है, तो मस्जिदों और चर्चों का क्या ?
३. देश यदि धर्मनिरपेक्ष है, तो हिन्दुओं के साथ अलग और अन्य धर्मियों के साथ अलग न्याय क्यों ?
४. अखलाख की हत्या होनेपर उसकी जितनी चर्चा होती है, उतनी चर्चा हिन्दुत्वनिष्ठ चंदन गुप्ता और प्रशांत पुजारी की हत्याएं होनेपर होते हुए दिखाई नहीं देती ।
हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना के कार्य में छत्रपति शिवाजी महाराज की सहायता करनेवाले मावलों की भांति धर्माचरणी और त्यागी होना आवश्यक ! – रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति
१. संविधान की प्रस्तावना में न्याय एवं समानता के तत्त्वों का उल्लेख है; परंतु ऐसा होते हुए भी भारत सरकार मुसलमानों को हज यात्रा के लिए अनुदान देती है, आंध्र प्रदेश की सरकार ईसाईयों को जेरुसलेम जाने के लिए अनुदान देती है; परंतु देश कि किसी भी राज्य की सरकार हिन्दुओं को तीर्थयात्रा करने के लिए अनुदान नहीं देती ।
२. मस्जिद और चर्च का नहीं, अपितु केवल हिन्दुओं के मंदिरों का सरकारीकरण किया जाता है । यह तो सीधे-सीधे भेदभाव है । ऐसी पाखंडी धर्मनिरपेक्षता किस काम की ?
३. वेब सीरीज के माध्यम से हिन्दू धर्म और हिन्दुओं की देवताओं का खुलेआम अनादर किया जा रहा है; परंतु इसके विपरीत ‘मोहम्मद : द मेसेंजर ऑफ गॉड’ फिल्म के प्रसारण के लिए मुंबई के दंगे भडकाने के आरोपी संगठन ‘रजा अकादमी’ द्वारा विरोध दर्शाए जानेपर महाराष्ट्र सरकार इस फिल्मपर प्रतिबंध लगाती है ।
४. कुल मिलाकर कहा जाए, तो देश में गोरक्षा, धर्मांतरण, लव जिहाद, मंदिर सरकारीकरण जैसी अनेक समस्याएं हैं; परंतु इन सभी समस्याओं का एकमात्र उपाय है ‘हिन्दू राष्ट्र’ !
५. संतों के वचन के अनुसार वर्ष २०२३ में हिन्दू राष्ट्रआने ही वाला है । उसके लिए आवश्यकता है हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना के कार्य में छत्रपति शिवाजी महाराज की सहायता करनेवाले मावलों की भांति धर्माचरणी और त्यागी वृत्ति की !
क्षणिका : व्याख्यान के आरंभ में श्री. ईश्वर प्रसाद खंडेलवाल ने ‘भारत हिन्दू राष्ट्र की दिशा में अग्रसर है । गुरुजी की (सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी द्वारा) इस भविष्यवाणी के अनुसार वर्ष २०२३ में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होने ही वाली है ।’, यह विश्वास व्यक्त किया ।
हिन्दुओं में जागृति लानेवाली हिन्दू जनजागृति समिति के कार्यक्रमों में सम्मिलित हों ! – पू. नीलेश सिंगबाळजी, धर्मप्रसारक, हिन्दू जनजागृति समिति
हिन्दू राष्ट्र की अवधारणा के संदर्भ में जागृति लाने के उद्देश्य से हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से ‘हिन्दू राष्ट्र संपर्क अभियान’ चलाया जाता है । युवा धर्मप्रेमियों को प्रशिक्षित करने हेतु ‘हिन्दू राष्ट्र संगठक कार्यशालाएं’ आयोजित की जाती हैं । संचार बंदी की अवधि में डॉक्टरों, पत्रकारों, अधिवक्ताओं , उद्योगपतियों, शिक्षकों, मंदिर के न्यासी आदि घटकों के लिए समिति द्वारा ‘ऑनलाइन’ बैठकों का आयोजन किया जा रहा है । ‘फेसबुक’, ‘वॉट्स एप’, ‘टव्ीटर’, ‘इन्स्टाग्राम’ आदि माध्यमों से प्रतिमाह ‘ऑनलाइन राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन’ किया जा रहा है । साथ ही ‘ऑनलाइन’ विचारगोष्ठी ‘चर्चा हिन्दू राष्ट्र की’का आयोजन किया गया । इन उपक्रमों में, साथ ही उसके प्रसार में अधिकाधिक हिन्दू सम्मिलित हों ।