‘वफ्क बोर्ड’ के नाम पर संपूर्ण देश में ‘लैंड जिहाद’ चल रहा है ! – पू. (अधिवक्ता) हरि शंकर जैनजी, अध्यक्ष, हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस
फोंडा : संपूर्ण देश में वफ्क बोर्ड के नाम पर ‘लैंड जिहाद’ चल रहा है । यह ‘लव जिहाद’ से भी बडा और घातक जिहाद है । ‘लव जिहाद’ में हिन्दुओं की नारीशक्ति के साथ धोखाधडी की जाती है, तो ‘लैंड जिहाद’ में हिन्दुओं की संपत्ति लूटी जा रही है । वर्तमान की कुछ विधियों के माध्यम से मुसलमानों को विशेष अधिकार प्रदान किए गए हैं । ‘वफ्क बोर्ड’ को दिए गए विशेषाधिकार के कारण संपूर्ण देश में ‘लैंड जिहाद’ चल रहा है । ‘हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस’ के अध्यक्ष पू. (अधिवक्ता) हरि शंकर जैनजी ने ऐसा प्रतिपादित किया । नवम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के ८वें दिन ‘वक्फ बोर्ड के माध्यम से चल रहा हिन्दूविरोधी और राष्ट्रविरोधी षड्यंत्र तथा उसके प्रतिकार की आवश्यकता’ विषय पर वे ऐसा बोल रहे थे ।
उन्होंने आगे कहा,
१. अभीतक ‘वक्फ बोर्ड’ ने हिन्दुओं की व्यक्तिगत, मंदिर के न्यास और सरकारी भूमि अपने नियंत्रण में ली है । इसके कारण हिन्दुओं की संपत्ति का विघटन चल रहा है । वर्तमान स्थिति में भारतीय रेल के पश्चात देश में सर्वाधिक भूमि ‘वक्फ बोर्ड’ के नाम पर है ।
२. वर्ष १९२३ में ‘वफ्क बोर्ड’ को सामान्य अधिकार थे; परंतु कांग्रेस की सत्ता आने पर क्रमशः वर्ष १९५४, १९९५ और २०१३ में ‘वफ्क बोर्ड’ को अधिकाधिक विशेषाधिकार दिए गए । इसके फलस्वरूप ‘वर्फ्क बोर्ड’ ने जो चाहा, वह भूमि अपने नियंत्रण में ली और दूसरी ओर हिन्दू अभी भी निद्राधीन हैं ।
३. हिन्दू अधिवक्ताओं को ‘वफ्क बोर्डा’ से संबंधित विधि का अध्ययन करना चाहिए । सबसे पहले संपूर्ण देश में ‘वफ्क बोर्ड’ द्वारा नियंत्रण में ली गई भूमि की खोज करनी चाहिए । इससे जिस भूमि के संदर्भ में संबंधित भूमि मालिकों को जानकारी नहीं दी गई हो, वे विधिजन्य संघर्ष कर सकेंगे ।
४. किसी भूमि पर ‘वफ्क बोर्ड’ का फलक लगाया गया हो, तो इसके प्रति हिन्दू सतर्क रहें । बंगाल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और केरल राज्यों में ‘वफ्क बोर्ड’ ने बडी मात्रा में हिन्दुओं की भूमि हडप ली है । हम विधि का उपयोग कर इस भूमि को पुनः प्राप्त कर सकते हैं ।
५. ऐसे प्रकरणों में हम सर्वोच्च न्यायालय में न्याय मांग सकते हैं । इससे ‘वफ्क बोर्ड’ के नाम पर हिन्दुओं की संपत्ति हडपने का खेल रोका जा सकेगा । इस संदर्भ में कार्यशालाओं का आयोजन कर हिन्दुओं को जानकारी देनी चाहिए ।
हिन्दुओं के संगठित होने से हिन्दू राष्ट्र की संकल्पना बहुत शीघ्र साकार होगी ! – डॉ. संतश्री पू. युधिष्ठिरलालजी महाराज, नवम पीठाधीश, पू. शदाणी दरबार तीर्थ, छत्तीसगढ
आज संपूर्ण विश्व के हिन्दुओं को अपने अंतर्मन में विद्यमान हिन्दू राष्ट्र स्थापना का विचार करना चाहिए, जिससे सर्वत्र के हिन्दू जागृत होकर हिन्दू राष्ट्र स्थापना के लिए आवाज उठाएंगे । हिन्दू राष्ट्र सत्य पर आधारित है । हिन्दू न्यायप्रिय और परोपकारी हैं । इसलिए मैं सभी राष्ट्रवासियों से यह आवाहन करता हूं कि वे हिन्दू विचारों के अनुसार जीवन व्यतीत करें । हिन्दुओं के मंदिर केवल माथा टेकने के लिए नहीं हैं, अपितु वहां भगवान के दर्शन के साथ ही ज्ञान एवं पुरुषार्थ की शिक्षा दी जाती है । देश में हिन्दू राष्ट्र के आने से सभी का भला होगा । उसके लिए आप अपने पूर्वजों द्वारा दिखाए मार्ग को न छोडें । हम जितना शीघ्र संगठित होंगे, उतना ही शीघ्र हिन्दू राष्ट्र स्थापना का संकल्प पूर्ण होगा । इसके लिए ही हमने अष्टम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन से प्रेरणा लेकर छत्तीसगढ में प्रांतीय अधिवेशन का आयोजन किया । अयोध्या के प्रभु श्रीरामचंद्रजी के मंदिर के भूमिपूजन से पिछले अनेक वर्ष का हिन्दुओं का स्वप्न साकार हो रहा है । हमारे रामराज्य की संकल्पना में समाज के चारों वर्ण सुखी रहेंगे । हिन्दू राष्ट्र के माध्यम से यह संकल्पना साकार होगी । ‘हिन्दू राष्ट्र’ एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें मानवता का उत्कर्ष होगा । इस अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन के माध्यम से हिन्दू राष्ट्र की जो संकल्पना रखी जा रही है, उस पर हमें गर्व है ।
इस समय हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे जी ने कहा, ‘हमारी प्राचीन भारतीय शिक्षा, न्यायव्यवस्था, राज्यव्यवस्था, चिकित्साशास्त्र, वास्तुशास्त्र आदि प्रगत एवं विश्व में सर्वोत्कृष्ट है । परंतु लॉर्ड मेकॉलेे के कम्युनिस्ट विचारों से ग्रस्त पंडित नेहरू ने शैक्षिक नीतियां निर्धारित करने के अधिकार कम्युनिस्टों को दिया; परिणामस्वरूप पिछले एक हजार वर्षों में मुगल और अंग्रेजों ने भारत की जितनी हानि नहीं की, उससे अधिक हानि वामपंथी विचारधारा के लोगों ने 70 वर्षों में की है । अब वामपंथी विचारों की टोली भारत के टुकडे करने के लिए आगे बढ रही हैं । इसके विरुद्ध हिन्दुओं को सत्य इतिहास एवं संस्कृति समझकर लडने के लिए तैयार रहना चाहिए ।’