राजस्थान के सीकर में एक ऑटो चालक ने आरोप लगाया कि उससे जबरदस्ती ‘जय श्री राम’ और ‘मोदी ज़िंदाबाद’ बुलवाया गया। जनसत्ता, आजतक और नवभारत टाइम्स सहित कई मीडिया संस्थानों ने इस घटना को जगह दी। इससे पहले भी कई ऐसे मामले आ चुके हैं जहाँ मुसलमानों द्वारा लगाए गए ऐसे आरोप झूठे निकले हैं। पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई भी की और दो लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
दरअसल, हुआ यूँ कि 52 वर्षीय ऑटो ड्राइवर गफ्फार अहमद ने सीकर सदर थाने में अपने साथ मारपीट की रिपोर्ट दर्ज कराई और साथ ही कहा कि उनसे जबरदस्ती ‘जय श्री राम’ और ‘मोदी ज़िंदाबाद’ बुलवाया गया।
तस्वीरों में गफ्फार के चेहरे पर चोट के निशान भी दिख रहे हैं। उनका आरोप है कि जब वो जिगरी छोटी गाँव से लौट रहे थे तो पिकअप वैन से आकर कुछ लोगों ने उन्हें रोका और उनके साथ मारपीट की।
सीकर पुलिस का कहना है कि ये घटना शनिवार (अगस्त 8, 2020) की है, जब उक्त ऑटो चालक कल्याण सर्कल से सवारियों को गाँव छोड़ कर वापस लौट रहा था। इसी दौरान आरोपितों ने उनसे जर्दा माँगा। इसके बाद हुई कहासुनी के बाद उन्होंने ऑटो ड्राइवर को खदेड़ कर उसके साथ मारपीट की। पुलिस ने मुकदमा दर्ज होने के 1 घंटे के भीतर ही आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया। सदर थाना प्रभारी पुष्पेंद्र सिंह ने इसकी पुष्टि की।
पुष्पेंद्र सिंह ने बताया कि आरोपित शराब के नशे में थे और पहले भी लूटपाट की घटनाओं में संलिप्त रहे हैं। वो शराब के लिए रुपए भी माँग रहे थे। उन्होंने मारपीट के बाद रुपए भी छीन लिए। उनका इरादा लूटपाट का था।
थाना प्रभारी ने बताया कि आरोपितों में से एक शंभु दयाल के ख़िलाफ़ पहले से ही 6 मामले दर्ज हैं। वहीं राजेन्द्र के ख़िलाफ़ पहले से ही मारपीट और एससी-एसटी एक्ट कर मामले दर्ज थे। वो पहले से अपराध करते रहे हैं।
हालाँकि, पुलिस ने ‘जय श्री राम’ और ‘मोदी ज़िंदाबाद’ बुलवाए जाने को लेकर कुछ नहीं कहा। पुलिस का अनुसंधान अभी भी जारी है। इसका मतलब है कि यह बात मनगढ़ंत भी हो सकती है, क्योंकि हमने पहले भी इस तरह के कई उदाहरण देखे हैं। जब आरोपितों से ऑटो ड्राइवर की कहासुनी हुई और वो पहले से अपराध करते रहे हैं, फिर मामला साम्प्रदायिक कैसे हो गया? पुलिस के बयान में इसकी चर्चा क्यों नहीं है।
FIR दर्ज होने के भीतर दोनों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया गया। उनका किसी भी हिन्दू संगठन से कोई रिश्ता नहीं निकला है। ऊपर से पुलिस की अनुसंधान में अगर ऐसी कोई बात होती तो पुलिस ने अपने बयान में इस बारे में बताया होता। आरोपित स्थानीय ही हैं। उनकी गाड़ी भी जब्त कर ली गई है।
इससे पहले भी ऐसी घटनाएँ सामने आई हैं जहाँ मुसलमानों ने इसी तरह की कहानी बनाई और बाद में झूठ पकड़े जाने पर कहा कि वो जल्दी न्याय के लिए ऐसा कर रहे थे। कभी इस्लामी टोपी उछालने तो कभी जबरदस्ती ‘जय श्री राम’ बोलने वाली बात कह के सुर्खियाँ तो बटोर ली और बाद में पकड़े गए। उन्हें पता होता है कि मीडिया का एक बड़ा वर्ग ऐसी खबरों को लपकने के लिए ताक में रहता है।
इसी तरह जुलाई 2019 में आज तक और इंडिया टुडे ने खबर चलाई थी कि उत्तर प्रदेश के चंदौली गाँव में खालिद ने जय श्री राम नहीं बोला, तो उसे आग में झोंक दिया गया। मगर चंदौली के एसपी संतोष कुमार सिंह ने इस बारे में बयान जारी करते हुए कहा था कि पुलिस ने खालिद के बयानों में विरोधाभास पाया है। उन्होंने बताया था कि एक चश्मदीद के बयान के मुताबिक, खालिद को किसी समूह ने आग में नहीं झोंका, बल्कि उसने खुद ही आग लगाई थी।
इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि जब पीड़ित “हाय, मुझे मेरी मर्ज़ी के खिलाफ ‘जय श्री राम’ बोलने के लिए मजबूर किया गया” रो दे, तो हिन्दुओं को दुष्ट, साम्प्रदायिक दानव के रूप में दिखाने के लिए तैयार बैठे मीडिया गिद्ध केस को चमका देते हैं।