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अल्पसंख्यक युवाओं की पुलिस में ज्यादा से ज्यादा भर्ती के लिए पहले से ट्रेनिंग : नवाब मलिक का ऐलान

महाराष्ट्र में मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप उद्धव ठाकरे की सरकार पर लग रहा है। राज्य सरकार ने फैसला लिया है कि वहाँ अल्पसंख्यक युवाओं को ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि ज्यादा से ज्यादा संख्या में पुलिस में उनकी भर्ती हो। महाराष्ट्र की उद्धव सरकार में अल्पसंख्यक विकास और स्किल डेवलपमेंट मामलों के मंत्री नवाब मलिक ने इसकी घोषणा करते हुए इससे जुड़ी जानकारी साझा की।

शरद पवार की एनसीपी के नेता व मंत्री नवाब मलिक ने ट्विटर पर साझा की गई सूचना में बताया है कि पुलिस में भर्ती से पहले अल्पसंख्यक युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में अल्पसंख्यक पुलिस में भर्ती हों, इसीलिए उन्हें पहले ही प्रशिक्षित किया जाएगा। बताया गया है कि अभी प्रशिक्षण के लिए उत्सुक अभ्यर्थियों के चयन के लिए 14 जिलों में अभियान शुरू भी कर दिया गया है।

कुछ दिनों बाद डायरेक्ट ट्रेनिंग की शुरुआत कर दी जाएगी। बाकी जिलों में भी ट्रेनिंग जल्द ही शुरू होगी। इस साल के अंत तक राज्य में 12,500 पुलिस कर्मियों की भर्ती करने का प्रस्ताव दिया है। उन्होंने कहा कि इस भर्ती में राज्य में मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध, सिख, पारसी, जैन और यहूदी अल्पसंख्यक समुदायों के अधिक से अधिक उम्मीदवारों को भर्ती के लिए तैयारी करने का अवसर दिया जाएगा।

उम्मीदवारों को सामान्य ज्ञान और शारीरिक परीक्षण का प्रशिक्षण दिया जाएगा। वर्तमान में, इच्छुक उम्मीदवारों से वर्धा, गढ़चिरोली, अमरावती, नांदेड़, जालना, पुणे, यवतमाल, परभणी, सोलापुर, औरंगाबाद, बुलदाना, नासिक, बीड और अकोला जिलों में आवेदन आमंत्रित किए जा रहे हैं। कहा गया है कि इच्छुक उम्मीदवार उस जिले में प्रशिक्षण के लिए जिला कलेक्टर या चयनित एनजीओ के पास आवेदन करें।

मंत्री नवाब मलिक ने कहा कि शेष जिलों में प्रशिक्षण के लिए गैर सरकारी संगठनों की चयन प्रक्रिया चल रही है और उसके बाद इच्छुक उम्मीदवारों से इन जिलों में भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किए जाएँगे। इसके अलावा, प्रत्येक छात्र को ट्रैक-सूट और जूते खरीदने के लिए 1000 रुपए, किताबों की खरीद के लिए 300 रुपए, प्रशिक्षण अवधि के दौरान 300 रुपए प्रति माह और दैनिक भोजन के लिए 1500 रुपए दिए जाएँगे।

बताया गया है कि अल्पसंख्यक युवाओं का प्रशिक्षण दो महीने के लिए होगा। प्रत्येक जिले में अधिकतम 100 छात्रों का चयन और प्रशिक्षण किया जाएगा। प्रत्येक जिले को प्रशिक्षण के लिए लगभग 5.60 लाख रुपए खर्च करने होंगे और इसके लिए प्रावधान किया गया है। कई लोगों का कहना है कि मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए सरकार ऐसा कर रही है क्योंकि अल्पसंख्यकों में उनकी संख्या ही सबसे ज्यादा है।

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