उत्तर प्रदेश पुलिस ने रविवार (अगस्त 23, 2020) को एक शख्स को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने की कोशिश करने के आरोप में गिरफ्तार किया। द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली का 30 वर्षीय मनदीप कुमार एटा में रह रहा था, जहाँ वह लोगों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने की कोशिश कर रहा था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मनदीप कुमार ने शनिवार (अगस्त 22, 2020) को शिवसिंहपुर गाँव में हिंदू दंपती के घर पर उसे बाइबिल पढ़ाने की कोशिश की थी। आरोपित मनदीप कुमार पिछले एक महीने से अपनी पत्नी मार्गेट एंथोनी के साथ एटा में किराए के मकान पर रह रहा था।
जानकारी के मुताबिक मनदीप कुमार को शिवसिंहपुर गाँव में विनोद कुमार के घर जाते समय ग्रामीणों ने पकड़ लिया था। ग्रामीणों ने बताया कि वो मनदीप के भ्रमण के खिलाफ थे। उन्होंने विनोद को भी सलाह दी थी कि वो उसे अपने घर आने की अनुमति न दे। जैसे ही ग्रामीणों को पता चला कि मनदीप लोगों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने की कोशिश कर रहा था, उन्होंने पुलिस को सूचित किया, जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
पुलिस की एक टीम पूछताछ के लिए मनदीप को कोतवाली थाने ले आई। कोतवाली पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर (क्राइम) संजीव त्यागी ने कहा कि पूछताछ के दौरान, मनदीप सिंह ने स्वीकार किया है कि वह विनोद के परिवार को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने की कोशिश कर रहा था। वह एक ईसाई मिशनरी से जुड़ा है, और उसकी पत्नी मार्गेट एंथोनी भी ईसाई है।
पुलिस ने मनदीप सिंह के टारगेट विनोद से भी बात की। विनोद ने पुलिस को बताया कि वह मनदीप से प्रभावित होकर बाइबिल पढ़ रहा था। इसके साथ ही उसने ग्रामीणों के आरोपों की भी पुष्टि की।
मनदीप सिंह पर भारतीय दंड संहिता की धारा 295-ए के तहत मामला दर्ज किया गया है। गिरफ्तारी के बाद, मनदीप सिंह को स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जहाँ से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। फिलहाल पुलिस मार्गेट एंथोनी की भी धर्मांतरण में भूमिका की जाँच कर रही है।
गौरतलब है कि पिछले दिनों झारखंड के धनबाद शहर में धर्मांतरण का मामला सामने आया था। लोगों के पुनर्वास के नाम पर दो दर्जन परिवारों का धर्म परिवर्तन कर उन्हें ईसाई बना दिया गया था। मामला सामने आने के बाद हिंदू संगठनों और स्थानीय लोगों ने इसका जमकर विरोध किया था और साथ ही प्रशासन को शिकायत भी की थी। स्थानीय लोगों ने यहाँ नवनिर्मित चर्च को घेर घंटों हंगामा किया। चर्च के ऊपर लगे धार्मिक चिन्ह (क्रॉस) को भी लोगों ने तोड़ दिया था।