तीन बेटों की मां संतोला देवी मुस्लिम बाहुल्य गांव जगनीपुर बाजार में अकेले रहकर अपना जीवन-यापन करती थीं। ऐसा नहीं था कि उनके बच्चे उन्हें अपने पास आकर रहने को नहीं कहते थे। लेकिन उनका ये सोचना था कि अगर वह अपने बच्चों के साथ रहने लगीं तो उनके पुरखों के घर का क्या होगा? उनकी मिठाई की दुकान का क्या होगा?
लेकिन उन्हें क्या पता था कि पुरखों की जमीन से यही मोहब्बत एक दिन उनकी जान ले लेगी। दूसरे समुदाय के लोग 4-5 साल से उन्हें लगातार सता रहे थे। कभी उन्हें ‘काफिर’ कहते तो कभी ‘इस्लाम का दुश्मन’। 26 मई 2020 को मुस्लिम परिवार के 7 लोगों ने उन पर बेदर्दी से हमला बोला और अकेले होने के कारण वह कुछ नहीं कर पाईं।
घटना उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के थाना क्षेत्र फतनपुर में एक गांव जगनीपुर की है। ठीक ईद के एक दिन बाद इसे अंजाम दिया गया था। हालांकि, उस दिन संतोला देवी का आसपास रहने वाले मुसलमानों के साथ कोई झगड़ा नहीं हुआ था।
लड़ाई केवल दो आपसी पटिदारों में हुई थी और उन लोगों ने इसकी शिकायत भी करवाई थी। संतोला देवी की गलती इतनी थी कि उन्होंने एक पक्ष के समर्थन में अपना बयान दे दिया और जिसकी गलती थी उसके ख़िलाफ़ बोल गई।
बस इसी की बुनियाद पर उस परिवार के 7 लोगों ने उन पर 26 मई 2020 को हमला बोला और उन्हें अधमरा कर दिया। अगले दिन अस्पताल में संतोला देवी ने अपनी आखिरी सांस ली। घटना से नाराज परिजनों ने न्याय की गुहार की। लेकिन प्रशासन के कुछ अधिकारियों के रवैए ने उन्हें निराश कर दिया। बाद में एसपी और इलाके के विधायक के कारण इस मामले में उपयुक्त कार्रवाई हुई। हाल में ये तीन महीने पुराना मामला तब उछला जब इंटरनेट पर संतोला देवी के बेटे की वीडियो सामने आई जिसमें वह अपने लिए इंसाफ की गुहार कर रहे थे और पुलिस पर गंभीर आरोप मढ़ रहे थे।
ऑपइंडिया से संतोला देवी के बेटे प्रदीप की बातचीत
हमने इसी बाबत संतोला देवी के पुत्र प्रदीप कुमार से संपर्क किया। प्रदीप लंबे समय से गोवा में रहते हैं। लेकिन उनके दो भाई सुशील कुमार और सतीश कुमार मां के घर के आसपास ही रहते हैं। प्रदीप से जब हमने पूरे मामले की जानकारी लेने का प्रयास किया तो उन्होंने हमें विस्तार से सारी बातें बताईं।
उन्होंने बताया कि उनकी मां को वह लोग ‘काफिर’ और ‘इस्लाम का दुश्मन’ तक कहते थे। जिसकी वजह से मां थाने में तहरीर भी देती थी। मगर, पुलिस कोई संतोषजनक कार्रवाई नहीं करती थी। जब वह हमसे इसकी चर्चा करती तो हम उन्हें अपने पास बुलाते या भाई के पास जाकर रहने की सलाह देते, लेकिन वह घर छोड़ना नहीं चाहती थीं।
प्रदीप ने बताया कि उनके एक भाई के दोनों पैर नहीं है। लेकिन उस दिन जब उसे हमले की खबर मिली तो वह फौरन मां के दरवाजे पर पहुंचा। पर, लाचार होने के कारण वह कुछ कर न सका। इसके बाद उसकी बीवी ने मां को बचाने का प्रयास किया।
थोड़ी देर में दूसरा भाई और उसकी बीवी भी घर पर पहुंच गए और थाने में शिकायत दर्ज करवानी चाही। लेकिन थाने में पुलिस ने उन्हें दो घंटे बिठाए रखा। बाद में जाकर शिकायत लिखी गई।
इसके बाद वह लोग अपनी मां को अस्पताल लेकर गए। जहां उन्हें इलाहाबाद के लिए रेफर किया गया और फिर लखनऊ। मगर, पैसे न होने कारण वह लोग अपनी मां को वापस ले आए। प्रदीप बताते हैं कि घटना के 8-10 घंटे बाद तक मां जीवित थीं। इसलिए उन लोगों ने इधर-उधर से पैसे का इंतजाम कर पास के अस्पताल में भर्ती करवाया, जहां उनकी मृत्यु हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी बताती है कि उन्हें तीन जगह चोटें आईं और रक्त रिसाव के कारण मौत हुई।
प्रदीप बताते हैं कि उनकी 65 वर्षीय मां को आशिक अली, अरशद, मिनाज, जहानाबानो समेत 7 लोगों ने बेरहमी से मारा था। लेकिन पुलिस की कार्रवाई तब तक नहीं हुई जब तक इलाके के विधायक धीरज ओझा और एसपी ने इस मामले पर संज्ञान नहीं लिया।
संतोला देवी की मृत्यु के बाद अपने पुश्तैनी घर लौटे प्रदीप ने देखा कि इतने सब के बावजूद आरोपितों की दबंगई रुकी नहीं। अरशद नाम के आरोपित की मां ने उन्हें गेट के बाहर आकर धमकाया, “एक बार हमारे बच्चों को छूटकर आने दो तब तुम लोगों को दिखाएँगे।” साथ ही ये भी कहा, “हमने पैसे पहुंचा दिया है।”
प्रदीप की मानें तो अब इस समय उन पर कुछ तथाकथित सेकुलर हिंदू दबाव बना रहे हैं कि वह पैसा लेकर इस केस को वापस ले लें। लेकिन वह कहते हैं, “हम लोगों को इंसाफ चाहिए पैसा नहीं। आज हमारे साथ हुआ कल किसी और के साथ होगा। इसलिए हमें इस तरह से नहीं करना चाहिए। हम हिंदुस्तान में रहते हैं।”
गौरतलब है कि संतोला देवी के पुत्र प्रदीप का आरोप है कि जब उनके भाई ने जहानाबानो की गिरफ्तारी के संबंध में पुलिस से बातचीत की तो इंस्पेक्टर ने उन्हें धमकाया और कहा “तुम चुप हो जाओ वरना तुम्हें भी फंसा देंगे और जेल में डाल देंगे।” इसके अलावा उनकी मां की हत्या पर यह भी कहा गया, “वह औरत कभी न कभी तो मर ही जाती।”
प्रदीप कहते हैं कि उनकी दो बेटियाँ हैं और वह लंबे समय से उन्हें लेकर अपने गांव नहीं गए थे। कारण पूछने पर वह बताते हैं कि गांव के माहौल के कारण उन्हें हमेशा डर लगता था। 100 मुस्लिम घरों में अब मुश्किल से 10 परिवार हिंदू बचे हैं। ऐसे में जब अपनी मां के बारे में उन्हें पता चला तो वह रात भर सो नहीं पाए और जब पुलिस की निष्क्रियता देखी तो बड़े होकर पुलिस बनने का सपना देखने वाली अपनी बेटी को कहा कि कुछ भी बनना लेकिन पुलिस नहीं। और अगर, कभी बन जाओ तो भी किसी नेक इंसान की मदद करना।
विधायक ने मदद की,
तो केस तो लिख लिया।
साहब पुलिस ने अपने अंदाज में,
शिकार को ही शिकार बनाया था।।पुलिस से न्याय की उम्मीद थी,
पर पुलिस ने ही बार बार धमकाया था।
फिर एक हिन्दू,हिंदुस्तान में उसने
खुदको बेबश और लाचार पाया था।।@OpIndia_com @UnSubtleDesi @ajeetbharti#HinduHatya
6/n pic.twitter.com/Am56JznN76— ProvideSafetyToSantolaDevi's Family (@TheAshwiniRaj) August 23, 2020
कार्रवाई
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इसे बकरी पर शुरू हुआ विवाद बताया जा रहा है। लेकिन उक्त सभी जानकारी हमने संतोला देवी के बेटे प्रदीप के हवाले से दी है। उन्होंने हमें बताया कि घटना वाले दिन हुआ बकरी का विवाद केवल एक बहाना था। दरअसल झगड़े की पृष्ठभूमि पहले से ही तैयार की जा चुकी थी।
वे कहते हैं उस दिन तो बस घर मे थूक कर और बकरियों को भेजकर झगड़ा शुरू किया गया था। जब उनकी मां ने इसपर आवाज उठाई, विरोध किया तो घटना को अंजाम दिया गया। हम आगे इस रिपोर्ट में जहानाबानो की गिरफ्तारी पर अपडेट जानने का भी प्रयास कर रहे हैं। जैसे ही हमें इसकी सूचना मिलेगी। हम अपनी खबर अपडेट करेंगे।
फिलहाल की कार्रवाई को लेकर प्रतापगढ़ पुलिस ने ट्विटर पर यह जानकारी दी है कि मामले में 6 आरोपित गिरफ्तार हो चुके हैं और संतोला देवी के पुत्र ने भी इसी बात को बताया है। लेकिन, इसके साथ ही उनका कहना ये भी है कि आरोपित महिला बुर्के की आड़ लेकर छिपते घूम रही हैं। पीड़ित परिवार की मांग है कि उसकी गिरफ्तारी भी जल्द हो और उन्हें न्याय मिले।
उक्त प्रकरण में 06 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया जा चुका है, एक अभियुक्ता की गिरफ्तारी शेष है जिसके सम्बन्ध में विधिक कार्यवाही की जा रही है।
— PRATAPGARH POLICE (@pratapgarhpol) August 23, 2020
सोशल मीडिया पर वीडियो में क्या?
अश्विनी श्रीवास्तव के अकाउंट से डाली गई वीडियो में हम देख सकते हैं कि संतोला देवी के पुत्र इंसाफ की गुहार लगा रहे हैं। साथ ही पुलिस पर आरोप भी लगा रहे हैं। वे कहते हैं कि पुलिस ने उनकी सहायता करने की बजाय मुस्लिम लोगों से रिश्वत लेकर उनकी मदद कर रहे थे। लेकिन विधायक के दबाव में यह मामला लिखा गया। पर, पुलिस वाले अब भी उनके परिवार को धमका रहे हैं कि केस वापस लो, नहीं तो दूसरे केस में फंसा देंगे।
गांव के हालत कुछ यूं बिगड़े,
कि अपने अपनों दे बिछड़े।
शांतिदूतों की जनसंख्या अपार था,
अब गांव का हालात बेकार था।।बकरियों का आतंक था,
क्योंंकि शांतिदूतों का राज था।
मां थी जन्मी उस धरती की,
उसको ये कहां बर्दास्त था।।@myogioffice @HMOIndia @narendramodi @ipskabra
2/n pic.twitter.com/Emw08u2Ppx— ProvideSafetyToSantolaDevi's Family (@TheAshwiniRaj) August 23, 2020
प्रदीप के मुताबिक, झूठ केस में उनके भाइयों को फंसाने की कोशिश हो रही है। पुलिस कहती है कि 4 दिन का समय दे रहे हैं- सोच लो-समझ लो, नहीं तो जैसे आशा राम बापू को जेल में डाला, वैसे ही आप लोगों को भी डाल देंगे। इस वीडियो में प्रदीप आरोपितों का नाम बता रहे हैं। वे कहते हैं- आशिक अली, अरशद, हासमिन, मिन्हाज, बिटान, अन्नो, गिरफ्तार हैं जबकि जहानाबानो को पकड़ने में पुलिस नाकाम है।