हिंदू समाज की यह अपेक्षा है कि केवल हिंदू आस्था का मजाक उडाने वाले पाठ को पाठ्यपुस्तक से निकालना पर्याप्त नहीं है, अपितु यह पाठ पाठ्यपुस्तक में लेनेवाले संबंधित लोग तथा लेखक पर भी कडी कार्यवाही होनी चाहिए । – संपादक, हिन्दुजागृति
कर्नाटक में कक्ष छह की सामाजिक विज्ञान पुस्तक के एक लेख को लेकर विवाद खड़ा हो गया। कई लोगों ने इसमें हिंदुओं की आस्था का उपहास उड़ाने को लेकर आपत्ति दर्ज कराई थी। रिपोर्टों के अनुसार उडुपी के अदमार मठ के स्वामी ईशप्रियातीर्थ ने इस पर सवाल उठाए थे। कक्षा VI की पाठ्यपुस्तक में ‘याग’ या ‘यज्ञ’ की हिंदू परंपरा का मज़ाक उड़ाया गया था।
स्वामी ईशप्रियातीर्थ ने राज्य के शिक्षा मंत्री सुरेश कुमार के समक्ष मामला उठाया और उन्हें इस तरह की सामग्री से अवगत कराया था। कथित तौर पर उन्होंने मंत्री को भागवत के अनुसार ‘यग’ (yaga) के कुछ नियमों के बारे में भी बताया।
राज्य के शीर्ष शिक्षा संस्थानों में से एक पूर्णा प्रजना शिक्षा केंद्र, उडुपी श्री अदमा मठ द्वारा संचालित किया जाता है। इस विवाद के सामने आने के बाद प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री एस सुरेश कुमार ने अब शिक्षकों को सामाजिक विज्ञान पाठ्यक्रम के इस विवादास्पद पाठ को नहीं पढ़ाने का आदेश दिया है।
मंत्री ने कहा, “विवादित हिस्सा इस साल पाठ्यपुस्तक में शामिल नहीं किया गया है। इस वर्ष पाठ्यक्रम की समीक्षा नहीं की गई थी। अगले वर्ष से पाठ्यपुस्तक से विवादास्पद पाठ हटा दिए जाएंगे। जैसा कि इस साल पाठ्यपुस्तक पहले ही बच्चों तक पहुंच चुकी है तो विवादित पाठ को हटाना संभव नहीं है। सरकार इस बात का पूरा ध्यान रखेगी की भविष्य में ऐसी भूल दोबारा न हो।”