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जय श्रीराम बुलवा कर मार डाला : कैब ड्राइवर आफताब की हत्या पर मीडिया का झूठ, UP पुलिस ने खोला राज

उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में हुई एक घटना को सांप्रदायिक रंग देकर लोगों को भड़काने की कोशिश हो रही है। मोहम्मद आसिफ खान नामक व्यक्ति ने एक खबर शेयर करते हुए दावा किया कि गौतम बुद्ध नगर में आफताब आलम नामक एक कैब ड्राइवर को मार डाला गया। साथ ही ये भी दावा किया कि हत्या से पहले कैब ड्राइवर को ‘जय श्री राम’ बोलने के लिए बाध्य किया गया और शराब भी पीने के लिए मजबूर किया गया।

आसिफ ने ट्विटर पर ‘द हिन्द न्यूज़’ नामक वेबसाइट की खबर शेयर की, जिसमें इस घटना को ‘मॉब लॉन्चिंग’ बताया गया है। उस खबर में दिल्ली स्थित त्रिलोकपुरी के कैब ड्राइवर के बेटे के हवाले से दावा किया गया है कि उनके कैब में कुछ लोग जबरदस्ती सवार हो गए और आफताब के मजहब को लेकर कुछ-कुछ बोलने लगे। बेटे साबिर का कहना है कि उसके पिता की मॉब लिंचिंग हुई है और पुलिस ने इस बात को रिपोर्ट में नहीं लिखा।

हालाँकि, नोएडा पुलिस के बयान को देखने के बाद सोशल मीडिया पर चल रहे झूठ की पोल खुल जाती है। पुलिस ने पहले ही सूचित किया था कि बादलपुर थानांतर्गत एक कैब ड्राइवर को गंभीर रूप से घायल अवस्था में पाया गया है। रविवार (सितम्बर 6, 2020) को हुई इस घटना के दौरान उक्त टैक्सी बुकिंग पर गुरुग्राम से बुलंदशहर जाकर वापस आ रही थी। इसी बीच मोहन स्वरूप अस्पताल के पास स्थित दादरी रोड पर टैक्सी के भीतर घायल ड्राइवर मिले। ड्राइवर को जब अस्पताल ले जाया गया तो उन्हें वहाँ मृत घोषित किया गया।

उधर हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी ‘द वायर’ की खबर शेयर कर के सीधा पीएम मोदी पर निशाना साधा। इसमें दावा किया गया है कि आफताब का नाम पूछने के बाद उसे ‘जय श्री राम’ बोलने को मजबूर किया गया। साथ ही ऑडियो डाल कर इसकी पुष्टि करने की कोशिश की गई। इसमें बताया गया है कि बेटे ने 40 मिनट तक कॉल रिकॉर्ड किया, जब तक फोन स्विच ऑफ नहीं हो गया। इसमें आफताब के पूरे परिवार से बात कर के ये आरोप लगाए गए।

क्या है सच्चाई

दरअसल, मामला सांप्रदायिक नहीं है। कैब ड्राइवर आफ़ताब जब बुलंदशहर में एक बुकिंग को छोड़ कर वापस लौट रहे थे, तभी कुछ असामाजिक तत्व टैक्सी में बिना बुकिंग कराए ही बैठ गए। इसके बाद वो किराए को लेकर लड़ने-झगड़ने लगे। बाद में पुलिस ने जब गाड़ी में घायल ड्राइवर को देखा तो उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। ग्रेटर नोएडा पुलिस का कहना है कि इलाज के दौरान ही आफताब को मृत घोषित किया गया।

इस दौरान मृतक का मोबाइल फोन भी बरामद नहीं हो सका है। सेंट्रल नोएडा के डीसीपी ने बताया है कि इस मामले में एफआईआर दर्ज कर के आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। पुलिस ने अपने किसी भी बयान में इस घटना में कोई सांप्रदायिक एंगल होने की बात नहीं कही है, बावजूद इसके सोशल मीडिया पर झूठ फैलाया जा रहा है। पुलिस ने पंचनामा की कार्यवाही के बाद शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भी भेजा।

‘अमर उजाला’ की खबर के अनुसार, परिजनों ने हत्या को लेकर दर्ज कराई गई एफआईआर में 3500 रुपए और एक मोबाइल फोन की लूट की बात भी कही है। आरोपितों के टोलकर्मी के साथ भी विवाद हुआ था और वो बादलपुर के ही निवासी हैं, ऐसा पता चला है। लुहारली टोल पर वो खुद को स्थानीय बता रहे थे। हालाँकि, इस दौरान सीसीटीवी में उनकी तस्वीरें कैद हो गईं, जिसके आधार पर पुलिस उनकी तलाश कर रही है।

वहीं नोएडा के पुलिस कमिश्नर ने कहा है कि इस प्रकरण में मुकदमा पंजीकृत है, विवेचना जारी है। उनके अनुसार, जहाँ तक ऑडियो रिकॉर्डिंग का प्रश्न है उसको सुना गया है, मृतक को कोई भी नारा लगाने के लिए नहीं कहा गया है बल्कि किसी और से खरीदारी करते वक्त ये वाक्य आया है फिर भी हर बिंदू पर विवेचना प्रचलित है। पुलिस ने असदुद्दीन ओवैसी द्वारा शेयर की गई ‘द वायर’ के खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए ये बयान दिया।

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