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पाकिस्तान में नाबालिग हिंदू लड़की का अपहरण-धर्मांतरण, निकाह के लिए एफिडेविट भी

पाकिस्तान में हिन्दू लड़कियों का अपहरण कर के उनका धर्मान्तरण करा देना और फिर जबरन निकाह करा देने का एक सिलसिला सा चल पड़ा है, जो रुकता नहीं दिख रहा। ताज़ा घटना सिंध प्रान्त के खैरपुर स्थित मोरी में हुई है, जहाँ नाबालिग लड़की परशा कुमारी का अपहरण कर लिया गया। उसका जबरन धर्मान्तरण कर दिया गया और अपहरणकर्ता अब्दुल सबूर के साथ उसका निकाह कर दिया गया। पुलिस इस मामले में निष्क्रिय बनी हुई है।

9वीं कक्षा में पढ़ने वाली पीड़िता मात्र 14 साल की है। पीड़िता के परिवार वालों ने पुलिस के समक्ष एफआईआर दर्ज करा कर पीड़िता को अपहरणकर्ताओं के चंगुल से मुक्त कराने की गुहार लगाई है। पत्रकार नायला इनायत ने सोशल मीडिया पर इस खबर को शेयर करते हुए लिखा कि आरोपितों की ओर से एक एफिडेविट भी पेश किया गया है, जिसमें पीड़िता की उम्र को बढ़ा कर बताया गया है। उन्होंने इसकी तस्वीर भी शेयर की।

आरोपितों की ओर से पीड़िता का जो ‘फ्री विल एफिडेविट’ पेश किया गया है, उसमें लिखा है कि उसका नाम बीबी सुमैया है और उसकी जाति सैयद है। इसमें उसने खुद को घरी मोरी तालुका का मुस्लिम निवासी बताते हुए लिखा है कि वो एक युवा वर्जिन लड़की है और उसका पुराना नाम परशा कुमारी था, जो इस्लाम अपनाने के बाद अब बदल गया है। इसमें लिखा है कि वो एक व्यस्क मुस्लिम महिला है, इसीलिए अपने अच्छे-बुरे के बारे में जानती हैं।

साथ ही बताया है कि वो 18 वर्षीय सैयद अब्दुल सबूर शाह के साथ अपने स्वेच्छा से निकाह करना चाहती हैं। इस एफिडेविट में पीड़िता के हवाले से लिखा गया है कि वो अब्दुल सबूर को अच्छी तरह जानती हैं और वो न सिर्फ नैतिक रूप से अच्छा है, बल्कि समाज में भी उसकी अच्छी प्रतिष्ठा है। कथित रूप से पीड़िता द्वारा दिए गए इस एफिडेविट में दावा किया गया है कि सबूर उसे खुश रखेगा और वो उसी के साथ रहना चाहती हैं।

इसी साल जून में पाकिस्तान के सिंध प्रांत में तीन नाबालिग हिंदू लड़कियों को अगवा कर उनका धर्म परिवर्तन कराकर निकाह कराने का मामला सामने आया था। वकील और कार्यकर्ता राहत ऑस्टिन ने इन तीन घटनाओं के बारे में सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी दी थी। ये तीनों ही मामले सिंध के ही थे। अमेरिका में स्थित सिंधी फाउंडेशन के अनुसार, पंजाब के सिंध प्रांत में हर साल करीब 1 हजार हिंदू लड़कियों को अगवा करके उन्हें जबरन इस्लाम कबूल कराया जाता है।

संदर्भ : OpIndia

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