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फेसबुक ने ‘ऊँ जय जगदीश हरे’ भजन को ‘Abusive’ बता अपलोड करने से रोका

फेसबुक का हिन्दुओं के प्रति दोहरा रवैया किसी से छुपा नहीं है। अभी हाल ही में गोपी कृष्ण नाम के एक सोशल मीडिया यूजर ने बताया कि उन्होंने फेसबुक पर एक भजन डालने की कोशिश की, मगर फेसबुक ने उन्हें ये कहते हुए पोस्ट करने से मना कर दिया कि उनके द्वारा डाले जा रहे पोस्ट को कई लोगों ने अपमानजनक (अब्यूसिव) बताया है। इसलिए वह इसे फेसबुक पर अपलोड नहीं कर सकते हैं। बता दें कि गोपी कृष्ण ने अपने ट्वीट में लिखा कि वो ‘ऊँ जय जगदीश हरे’ भजन को अपलोड करना चाहते थे।

वैसे ये फेसबुक के लिए कोई नहीं बात नहीं है। इससे पहले भी फेसबुक अपना दोहरा रवैया प्रदर्शित कर चुका है। ये फेसबुक का इतिहास रहा है। फेसबुक पर कई लोगों को ‘सूअर’ लिखने से लेकर ‘जय श्री राम’ को अभिवादन स्वरूप लिखने तक के लिए ब्लॉक किया गया है। एक यूजर का कहना है कि आप अगर संस्कृत में कोई मंत्र लिखते हैं, और कोई उसे ‘हेट स्पीच’ कह कर रिपोर्ट कर दे, तो फेसबुक त्वरित कार्रवाई करते हुए आपका अकाउंट सस्पेंड कर देगा।

सुदर्शन नाम के एक यूजर ने ‘पुरबा’ और ‘पछुआ’ हवाओं के बारे में कुछ लिखा, जिसका और कोई संदर्भ नहीं, लेकिन उसके पोस्ट को हटा दिया गया था। सबसे मजेदार बात तो यह है कि अंकुर त्रिपाठी ने कहीं ‘जय श्री राम’ और ‘श्री अंजनेयम’ लिखा तो उसे कम्यूनिटी स्टैंडर्ड के खिलाफ बता हटा दिया गया था। गुलशन पाहूजा की बात करें तो उन्होंने अनुच्छेद 370 हटने पर कश्मीर की स्थिति पर कुछ लिखा था और उनका अकाउंट तीन दिन के लिए सस्पेंड कर दिया गया था।

ये तो बस चंद उदाहरण हैं जहां फेसबुक की कम्युनिटी स्टैण्डर्ड की बातें फर्जी साबित हो जाती हैं कि वो रिपोर्ट हुए पोस्ट को जाँचते हैं, उसके बाद कार्रवाई करते हैं। अगर ये इन्हें जाँचते हैं, तो समझ में यही बात आती है कि इनकी टीम में नकारे लोग बैठे हुए हैं। अगर ये लोग नकारे और निकम्मे नहीं हैं, जिन्हें अपना काम ठीक से नहीं आता, तो फिर ये लोग धूर्त और पूर्वग्रहों से ग्रस्त कर्मचारी हैं। ऐसा बार-बार सुनने में आया है कि फेसबुक पर आप हिन्दू देवताओं को अपमान की बात, उनके धार्मिक प्रतीकों को अश्लील तरीके से दिखाने की बात करें, तस्वीरें लगाएँ, आपको कुछ नहीं होगा। वो पोस्ट वहीं रहेगा। लेकिन जैसे ही आप ऐसा कुछ डालते हैं जो समुदाय विशेष के बारे में है तो वहीं कम्युनिटी स्टैण्डर्ड आ जाता है।

बता दें कि फेसबुक हमारा डेटा लेता है, हमारी पसंद-नापसंद, हमारी तस्वीरों को, हमारे लेखों को, लिखने के तरीके को, हमारे कहीं आने-जाने को, हर बात को अपने डेटा सेंटर में रखता है। ये डेटा वो किसी पोलिटिकल पार्टी को बेचता है, किसी फूड चेन को, कपड़े की कम्पनी को, कॉस्मेटिक्स बनाने वाले को, बैंकों को, किसी को भी बेचता है।

यही कम्पनियां अपनी करतूतों से किसी देश में सत्ता परिवर्तन कराने की फिराक में रहती हैं, और कहीं ‘ऑर्गेनिक ट्रेंड’ के नाम पर अपने मालिक की विचारधारा को न्यूज ट्रेंड वाले सेक्शन में सबसे ऊपर दिखाती है। वहां वैसी खबरों को जगह दी जाती थी जो किसी विचारधारा, पार्टी या व्यक्ति के खिलाफ हों।

संदर्भ : OpIndia

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