महराजगंज – सीमा पर भारत से तनाव के बीच नेपाल को पुन: हिन्दू राष्ट्र बनाने की मांग जोर पकड रही है। 19 सितंबर को नेपाल में मनाए गए संविधान दिवस पर एक बार फिर हिन्दू राष्ट्र बनाने की मांग उठी। नेपाल की राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने हिन्दू राष्ट्र घोषित करने की मांग दोहराई है। दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व उप प्रधानमंत्री कमल थापा ने राष्ट्र के हित में सनातन हिन्दू राष्ट्र घोषित करने की मांग की।
बिचार स्वतन्त्रता र जनताको मतबाट आफ्नो मान्यता स्थापितगर्न पाउने अधिकार संविधानको आत्मा होभने समावेसी/समानुपातिक प्रणाली मूल बिशेषता हो
राष्ट्रको बृहत्तर हितलाई हृदयंगमगर्दै सनातन हिन्दुराष्ट्र र राजसंस्था सहितको लोकतन्त्र स्थापनावारे पुनर्विचार गरौँ
संविधान दिवसको सबैमा शुभकामना— Kamal Thapa (@KTnepal) September 19, 2020
कमल थापा ने ट्वीट कर कहा कि, राष्ट्र के व्यापक हित को देखते हुए नेपाल को हिन्दू राष्ट्र घोषित किया जाना चाहिए। दल के कार्यकर्ता भी हस्ताक्षर अभियान चलाकर इस मांग को उठा रहे हैं। विश्वहिंदू परिषद नेपाल के सचिव जितेंद्र कुमार कहते हैं कि नेपाल की लगभग 82 फीसद जनता हिन्दू है। हिन्दू राष्ट्र का दर्जा छीनकर नेपाल की मूल प्रकृति से छेड़छाड़ की गई है। नेपाल को पुन: हिन्दू राष्ट्र का दर्जा मिले यह समय की मांग है।
प्रधानमंत्री मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथजी से भी सहयोग की उम्मीद
उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर नेपाली जनता को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी सहयोग की उम्मीद है।
2008 में घोषित हुआ था धमनिरपेक्ष राष्ट्र
2006 में माओवादी जन आंदोलन की सफलता के बाद नेपाल में बदलाव की प्रक्रिया आरंभ हुई। 2008 में हिन्दू राष्ट्र की जगह देश को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किया गया। वर्तमान में वहां हिन्दुओं की आबादी 81.3 फीसद है। 9.9 फीसद बौद्ध, 4.4 फीसद मुस्लिम, 3.3 फीसद किराटिस्ट (स्वदेशीय जातीय धर्म) 1.4 फीसद ईसाई व 0.2 फीसद सिख हैं।
थारू बाहुल्य क्षेत्रों में करा रहे धर्म परिवर्तन
नेपाल में धर्म परिवर्तन के मामलाें में वृद्धि हुई है। वहां के थारू बाहुल्य क्षेत्रों में ईसाई व मुस्लिम धर्मावलंबियों की संख्या बढ़ी है। रणनीति के तहत धर्म प्रचारक नेपाल के उन्हीं हिस्सों को टार्गेट करते हैं, जहां गरीबी और बेरोजगारी अधिक है। महराजगंज सीमा से सटे नेपाल के रूपनदेही व नवलपरासी में थारुओं की संख्या अधिक होने के चलते यहां धर्म परिवर्तन के मामले प्रकाश मेें आए हैं।