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श्रीकृष्ण जन्मभूमि से ईदगाह हटाने की याचिका को मथुरा सिविल कोर्ट ने किया खारिज

कृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह मामले में मथुरा के सिविल कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि मंदिर-ईदगाह के स्थान में कोई बदलाव नहीं होगा। याचिका में मंदिर के पास बनी ईदगाह को हटाने की माँग की गई थी।

अदालत ने याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। याचिकाकर्ताओं ने अब इलाहाबाद हाई कोर्ट जाने का फैसला किया है। मथुरा सिविल जज सीनियर डिवीजन में श्रीकृष्ण विराजमान का वाद दायर करने वाले हरिशंकर जैन, विष्णु जैन व रंजना अग्निहोत्री ने कृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह मामले में याचिका दाखिल की थी।

बता दें कि मथुरा की अदालत में दायर हुए एक सिविल मुकदमे में श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर की 13.37 एकड़ जमीन का मालिकाना हक माँगा गया था। इसके साथ ही मंदिर स्थल से शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की अपील की गई। इससे पहले 28 सितंबर को हुई संक्षिप्त सुनवाई में एडीजी छाया शर्मा ने मामले को सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया था। श्रीकृष्ण विराजमान व सात अन्य ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान को लेकर एक दावा 25 सितंबर को अदालत में प्रस्तुत किया था।

याचिका में जमीन को लेकर 1968 के समझौते को गलत बताया गया। इस याचिका के माध्यम से कृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ जमीन का स्वामित्व माँगा गया। याचिकाकर्ता रंजना अग्निहोत्री ने कहा कि अयोध्या का केस हम लोगों ने लड़ा, उसे जनता को सौंप दिया गया है। अब श्रीकृष्ण की मुख्य जन्मभूमि और जो इटेलियन ट्रैवलर ने अपने एकांउट में मेंशन किया है, उसके नक्शे के हिसाब से मुकदमे को सिविल कोर्ट में डाला गया है।

हालाँकि, पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 इस मामले के आड़े आ रहा है, जिसमें विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मुकदमेबाजी को लेकर मालकिना हक पर मुकदमे में छूट दी गई थी, लेकिन मथुरा काशी समेत सभी विवादों पर मुकदमेबाजी से रोक दिया था। इस एक्ट में कहा गया है कि 15 अगस्त, 1947 को जो धार्मिक स्थल जिस संप्रदाय का था वो आज, और भविष्य में भी उसी का रहेगा।

पिछले साल 9 नवंबर को अयोध्या पर फैसला सुनाते हुए SC की पाँच जजों की बेंच ने ऐसे मामलों में काशी मथुरा समेत देश में नई मुकदमेबाजी के लिए दरवाजा बंद कर दिया था। हालाँकि इस संबंध में वकील विष्णु शंकर जैन के माध्यम से हिंदू समूह ने पहले ही सुप्रीम कोर्ट में कानून की वैधता को चुनौती दी है। लेकिन अयोध्या मामले में SC ने कहा था कि अदालतें ऐतिहासिक गलतियाँ नहीं सुधार सकतीं।

सितम्बर के पहले सप्ताह में ही अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की अध्यक्षता में हुई बैठक में माँग की गई थी कि अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन होने के बाद काशी में बाबा विश्वनाथ और मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर को मुक्त कराने की ओर प्रयास किया जाए। काशी-मथुरा को मुक्त कराने के लिए प्रस्ताव पारित करते हुए अखाड़ा परिषद ने इस कार्य में विश्व हिन्दू परिषद का भी सहयोग माँगा गया था।

संदर्भ : OpIndia


मथुरा : श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति को लेकर दाखिल याचिका पर 30 सितंबर को सुनवाई

September 28, 2020

मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मालिकाना हक को लेकर दाखिल याचिका पर सीनियर सिविल जज छाया शर्मा की अदालत ने सुनवाई के लिए 30 सितंबर की तारीख निर्धारित की है। सोमवार (सितंबर 28, 2020) को इस याचिका पर सुनवाई होनी थी, लेकिन याचिकाकर्ता अदालत नहीं पहुँचे, जिसकी वजह से तारीख आगे बढ़ाई गई।

सुप्रीम कोर्ट के वकील हरीशंकर जैन और विष्णु शंकर जैन और रंजना अग्निहोत्री ने मथुरा कोर्ट में यह याचिका दायर की है। याचिका ‘श्रीकृष्ण विराजमान’ पक्ष की ओर से दाखिल की गई है। इसमें शाही ईदगाह मस्जिद को हटा कर श्रीकृष्ण जन्मभूमि की मथुरा स्थित पूरी भूमि को खाली कराने की माँग की गई है।

याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि मुगल शासक औरंगजेब ने अपने शासन के दौरान मथुरा में कृष्ण मंदिर को ध्वस्त कर दिया था। कटरा केशव देव में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान पर खड़ा मंदिर 1669-70 में ध्वस्त कर दिया गया था। मौजूदा ईदगाह कृष्ण जन्मभूमि स्थान पर बनाई गई थी। याचिकाकर्ताओं ने अदालत से 13.37 एकड़ जमीन का स्वामित्व ‘श्रीकृष्ण विराजमान’ को हस्तांतरित करने की अपील की है।

पाँच दशक पहले, श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और शाही ईदगाह प्रबंधन समिति ने इस बात पर सहमति जताई थी कि मस्जिद विवादित भूमि पर रहेगी। इस समझौते को अवैध करार देते हुए मस्जिद हटाने की माँग की गई है।

अगस्त में ‘श्रीकृष्ण जन्मभूमि निर्माण न्यास’ का गठन कर इसे मुक्त कराने की दिशा में प्रयास तेज किया गया था। 14 राज्यों से 80 संतों ने साथ आकर इस अभियान के लिए एकता जताई थी, जिनमें 11 वृन्दावन के संत थे। हालाँकि, इस्लामी आक्रांताओं द्वारा किए गए ऐसे अतिक्रमण की राह में ‘प्लेसेज़ ऑफ़ वर्शिप (स्पेशल प्रोविज़न) एक्ट, 1991’ की बाधा है। इसके तहत धार्मिक स्थलों पर यथास्थिति बरक़रार रखी गई है।

जब पीवी नरसिम्हा राव भारत के प्रधानमंत्री थे, तो पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 पारित किया गया था। पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 कानून किसी भी धर्म के पूजा स्थल को एक आस्था से दूसरे धर्म में परिवर्तित करने और किसी स्मारक के धार्मिक आधार पर रख-रखाव पर रोक लगाता है।

सितम्बर के पहले सप्ताह में ही अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की अध्यक्षता में हुई बैठक में माँग की गई थी कि अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन होने के बाद काशी में बाबा विश्वनाथ और मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर को मुक्त कराने की ओर प्रयास किया जाए। काशी-मथुरा को मुक्त कराने के लिए प्रस्ताव पारित करते हुए अखाड़ा परिषद ने इस कार्य में विश्व हिन्दू परिषद का भी सहयोग माँगा गया था।

संदर्भ : OpIndia


‘शाही मस्जिद हटाकर 13.37 एकड़ जमीन खाली कराई जाए’: ‘श्रीकृष्ण विराजमान’ ने मथुरा कोर्ट में दायर की याचिका

September 26, 2020

राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय को 1 वर्ष होने को आए हैं। अब यूपी के मथुरा की अदालत में 13.37 एकड़ की श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर सिविल सूट याचिका दायर की गई है। इसमें शाही ईदगाह मस्जिद को हटा कर श्रीकृष्ण जन्मभूमि की मथुरा में स्थित पूरी भूमि को खाली कराने की माँग की गई है। इस याचिका को ‘श्रीकृष्ण विराजमान’ की तरफ से विनीत जैन ने दायर किया है। याचिका में कहा गया है कि कटरा केशव देव की पूरी भूमि के प्रति हिन्दुओं की आस्था है।

याचिका में कहा गया है कि कटरा केशव देव वही क्षेत्र है, जहाँ राजा कंस के कारागार में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था और मस्जिद के नीचे ही वो पवित्र स्थल स्थित है। साथ ही मथुरा में स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर को ध्वस्त करने के लिए मुग़ल बादशाह औरंगजेब को जिम्मेदार ठहराया गया है। इसमें लिखा है कि औरंगजेब कट्टर इस्लामी था और उसने ही सन 1669-70 में इस मंदिर को ध्वस्त करने का आदेश जारी किया था।

याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वकीलद्वय हरिशंकर जैन और विष्णु शंकर जैन ने TOI को बताया कि इस याचिका में माँग की गई है कि मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर हुए अतिक्रमण को हटाया जाए और वहाँ स्थित ढाँचे को भी हटाया जाए। बता दे कि अयोध्या जजमेंट के बाद से ही काशी विश्वनाथ और मथुरा को रिक्लेम करने के लिए अभियान शुरू हो गया है। काशी में भी विश्वनाथ मंदिर को नुकसान पहुँचा कर औरंगजेब ने ही मस्जिद बनवाया था।

अगस्त में ‘श्रीकृष्ण जन्मभूमि निर्माण न्यास’ का गठन कर के इसे मुक्त कराने की दिशा में प्रयास तेज कर दिया गया था। 14 राज्यों से 80 संतों ने साथ आकर इस अभियान के लिए एकता जताई थी, जिनमें 11 वृन्दावन के संत थे। हालाँकि, इस्लामी आक्रांताओं द्वारा किए गए ऐसे अतिक्रमण की राह में ‘प्लेसेज़ ऑफ़ वर्शिप (स्पेशल प्रोविज़न) एक्ट, 1991’ की बाधा है। इसके तहत धार्मिक स्थलों पर यथास्थिति बरक़रार रखी गई है।

सितम्बर के पहले सप्ताह में ही अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की अध्यक्षता में हुई बैठक में माँग की गई थी कि अब जब अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन हो गया है तो काशी में बाबा विश्वनाथ और मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर को मुक्त कराने की ओर प्रयास किया जाए। काशी-मथुरा को मुक्त कराने के लिए प्रस्ताव पारित करते हुए अखाड़ा परिषद ने इस कार्य में विश्व हिन्दू परिषद का भी सहयोग माँगा था।

पिछले दिनों ‘हिंदू आर्मी’ नामक एक संगठन ने भी मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि की मुक्ति के लिए सोशल मीडिया पर मुहिम छेड़ रखी थी। वे लोगों से मथुरा पहुँचने की अपील कर रहे थे। लेकिन 20 सितंबर की रात इस संगठन से जुड़े 22 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया था। हिन्दू आर्मी कहना है कि वह कृष्ण जन्मभूमि के पास से इस्लामी ढाँचे को हटवाकर वह जमीन कृष्ण जन्मभूमि के नाम पर सौंपना चाहते हैं।

संदर्भ : OpIndia

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