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‘लव जिहाद’ को प्रोत्‍साहित कर हिन्‍दुओं की धर्मभावनाएं आहत करनेवाले आगामी चलचित्र ‘लक्ष्मी’ पर प्रतिबंध लगाएं !

‘लक्ष्मी’ नामक चलचित्र ९ नवंबर को प्रदर्शित होनेवाला है तथा इसमें अभिनेता अक्षय कुमार मुख्‍य भूमिका में हैं । इससे पूर्व इस चलचित्र का नाम ‘लक्ष्मी बम’ था । हिन्‍दुओं के जोरदार विरोध के पश्‍चात शबीना खान और तुषार कपूर निर्मित इस चलचित्र के नाम में दिखावटी परिवर्तन कर अब इस चलचित्र का नाम ‘लक्ष्मी’ रखा गया है । नाम में साधारण परिवर्तन कर हिन्‍दुओं की आंखों में धूल फेंकने का प्रयत्न किया गया है । इस चलचित्र को हिन्‍दू समाज ने विरोध करने के पीछे ‘लव जिहाद’ को प्रेरणा और ‘हिन्‍दुओं की धर्मभावनाओं का अपमान’ ये दो प्रमुख कारण थे । चलचित्र के निर्देशक और निर्माता ने इन दोनों कारणों की उपेक्षा की है ।

इस संबंध में हम निम्‍नांकित सूत्र आपके निदर्शन में ला रहे हैं –

१. ‘लक्ष्मी बम’ चलचित्र के नाम के कारण श्री लक्ष्मी का अनादर होता है । इसलिए हिन्‍दू जनजागृति समिति ने उस संबंध में केंद्र सरकार, राज्‍य सरकार और फिल्‍म सेंसर बोर्ड को निवेदन भी दिया है । चलचित्र के नाम से केवल बम शब्‍द हटा देने से श्री लक्ष्मीदेवी का अनादर नहीं रुकता । नाम में परिवर्तन करने से चलचित्र में देवी से संबंधित संदर्भ निरस्‍त नहीं होते । यह चलचित्र श्री लक्ष्मीदेवी की महानता बतानेवाला अथवा दीपावली से संबंधित होता, तो चलचित्र का नाम ‘लक्ष्मी’ रखने का कारण समझ सकते हैं; परंतु चलचित्र का और श्रीलक्ष्मी देवी की महानता का दूर दूर तक संबंध नहीं है, यह इस चलचित्र के अधिकृत ‘ट्रेलर’ से स्‍पष्‍ट होता है ।

२. दीपावली की पृष्‍ठभूमि पर ‘लक्ष्मी’ के नाम से चलचित्र बनानेवाले क्‍या कभी ईद के निमित्त अल्लाह अथवा पैगंबर; बडे दिन (क्रिसमस) की पृष्‍ठभूमि पर जीजस अथवा ईसामसीह के नाम से विनोदी चलचित्र बनाने का साहस करेंगे ? क्‍या फिल्‍म सेंसर बोर्ड इस नाम को मान्‍यता देगा ? यदि हमारे देश में अन्‍य धर्मियों की भावनाओं का आदर किया जाता है, तो हिन्‍दुओं की धार्मिक भावनाओं आदर क्‍यों नहीं किया जाता, ऐसा प्रश्‍न हिन्‍दू समाज के मन में उत्‍पन्‍न होना स्‍वाभाविक है ।

३. चलचित्र के अधिकृत ट्रेलर में अभिनेता अक्षय कुमार ने ‘आसिफ’ नाम के मुसलमान व्‍यक्‍ति की भूमिका की है तथा यह दिखाया गया है कि, उसके शरीर में एक तृतीयपंथीय भूत का संचार हुआ है । अभिनेता देवी के समान बडा लाल कुमकुम लगाकर, केश खुले छोडकर, हाथ में त्रिशूल लेकर नाचते हुए दिखाया गया है । जिस समय यह भूत परिवार के व्‍यक्‍तियों को सताने के लिए जाता है, तब परिवार के व्‍यक्‍ति हिन्‍दुओं के विविध देवताओं के चित्र आगे करते हैं; परंतु भूत उनकी परवाह नहीं करता, ऐसा चलचित्र के ‘ट्रेलर’ कें दिखाया गया है । इसमें एक प्रकार से हिन्‍दुओं के देवताओं को शक्‍तिहीन दिखाने का प्रयत्न किया गया है ।

४. इस चलचित्र में नायक का नाम आसिफ और नायिका का नाम प्रिया है । यह चलचित्र दक्षिण भारतीय चलचित्र ‘कंचना’ का रीमेक है । उसमें नायक की व्‍यक्‍तिरेखा मुसलमान नहीं है । तब भी हिन्‍दी चलचित्र में नायक मुसलमान तथा युवती हिन्‍दू धर्मीय दिखाई गई है । इससे स्‍पष्‍ट होता है कि हेतुतः ‘लव जिहाद’ को प्रोत्‍साहित किया है । यह अत्‍यंत गंभीर और अक्षम्‍य है ।

५. कुछ समय पूर्व ही हरियाणा की निकिता तोमर की तौसिफ नामक धर्मांध ने गोलियां मारकर हत्‍या कर दी, यह प्रकरण ताजा है । यह ‘लव जिहाद’ का ही प्रकरण है । इन अपराधियों ने बताया कि उन्‍होंने यह हत्‍या चलचित्र ‘मिर्जापुर २’ देखकर की है । इससे स्‍पष्‍ट होता है कि चलचित्र के दृश्‍यों का समाजमन पर कितना गहरा परिणाम होता है । इस प्रकार चलचित्रों में मुसलमान युवक और हिन्‍दू युवतियों को एकत्रित दिखाकर समाज में ‘लव जिहाद’ को प्रोत्‍साहन मिलनेवाला है । इसलिए महिलाओं पर भविष्‍य में अत्‍याचार कम होने के लिए ही क्‍यों न हो, इस चलचित्र पर प्रतिबंध लगाना अत्‍यावश्‍यक है ।

६. कुछ समय पूर्व ही ‘मोहम्‍मद : दि मेसेंजर ऑफ गॉड’ इस चलचित्र के कारण मुसलमानों की धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं इसलिए उस पर महाराष्‍ट्र के गृहमंत्री ने स्‍वयं संज्ञान लेकर केंद्र सरकार से उस चलचित्र पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी । इसी प्रकार हिन्‍दू समाज द्वारा इतना विरोध होने पर भी अभी तक किसी भी सरकार अथवा हिन्‍दुओं ने हिन्‍दू हित के लिए जिन्‍हें चुना है, उनमें से एक भी नेता ने उसकी ओर ध्‍यान नहीं दिया है, इसे हिन्‍दुओं का दुर्भाग्‍य ही कहना पडेगा ।

७. हिन्‍दू सहिष्‍णु होने के कारण ही बॉलीवुड के चलचित्र निर्माता, निर्देशक तथा कलाकारों द्वारा हिन्‍दुओं की खिल्ली उडाने का साहस किया जाता है; परंतु इससे हिन्‍दू समाजमन में संताप की भावनाएं बढ रही हैं । ऐसे चलचित्रों से यदि कानून व्‍यवस्‍था का प्रश्‍न उत्‍पन्‍न हुआ, तो उसका सर्व दायित्‍व सरकार का होगा ।

८. केवल कुछ मिनटों के इस ‘ट्रेलर’ में इतने आपत्तिजनक सूत्र होंगे, तो संपूर्ण चलचित्र में इस प्रकार के कितने आपत्तिजनक दृश्‍य होंगे, इसका निश्‍चित ही विचार होना चाहिए ।

इस पृष्‍ठभूमि पर ‘लव जिहाद’ को प्रोत्‍साहित करनेवाले तथा हिन्‍दुओं की धर्मभावनाएं जानबूझकर आहत करनेवाले चलचित्र ‘लक्ष्मी’ पर प्रतिबंध लगाया जाए, ऐसी हम मांग कर रहे हैं । हिन्‍दुत्‍वनिष्‍ठ विचारों की सरकार निश्‍चित ही हिन्‍दुओं की धार्मिक भावनाओं का विचार करेगी, ऐसी आशा है ।


श्रीलक्ष्मी देवी का अपमान और ‘लव जिहाद’ को प्रोत्साहन देनेवाली फिल्म ‘लक्ष्मी बॉम्ब’ के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाएं – हिन्दू जनजागृति समिति

दीपावली की पृष्ठभूमि पर अभिनेता अक्षय कुमार की फिल्म ‘लक्ष्मी बॉम्ब’ 9 नवंबर को प्रदर्शित होनेवाली है । दीपावली की पृष्ठभूमि पर उसका नाम हेतुतः ‘लक्ष्मी बम’ रखा गया है । इसलिए हमारी पहली आपत्ति इस फिल्म के नाम को है तथा इससे करोडों हिन्दुओ की देवी माता श्रीलक्ष्मीदेवी का अनादर किया गया है । एक ओर हिन्दू देवता का अपमान करनेवाले ‘लक्ष्मी पटाखे’ बंद करने के लिए हम गत अनेक वर्षों से उद्बोधन कर रहे हैं, इस फिल्म के नाम के कारण उन्हें पुनः प्रोत्साहन ही मिलनेवाला है । उसी प्रकार इस फिल्म के नायक का नाम आसिफ और नायिका का नाम ‘प्रिया यादव’ रखा गया है अर्थात उससे मुसलमान युवक और हिन्दू युवती के संबंध दिखाकर हेतुतः ‘लव जिहाद’ को प्रोत्साहन ही दिया गया है । इसलिए ‘लक्ष्मी बॉम्ब’ फिल्म के प्रदर्शन पर तत्काल प्रतिबंध लगाया जाए, ऐसी मांग हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने की है ।

श्री. शिंदे आगे बोले कि, एक ओर ‘मोहम्मद : दि मेसेंजर ऑफ गॉड’ नामक फिल्म के कारण मुसलमानों की धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं, इसलिए महाराष्ट्र के गृहमंत्री ने स्वयं संज्ञान लेकर उस पर तुरंत प्रतिबंध लगाने की सिफारिश केंद्र सरकार से की थी । उसी धर्ती पर हिन्दुओ के देवताओ का अपमान करनेवाले फिल्म ‘लक्ष्मी बम’ पर भी सरकार प्रतिबंध लगाने की सिफारिश करे, ऐसी मांग भी हिन्दू जनजागृति समिति ने गृहमंत्री श्री. अनिल देशमुख से की है ।

इस फिल्म के ट्रेलर में अक्षय कुमार एक प्रेतबाधित की भूमिका कर रहा है । उसका भूत तृतीय पंथीय होने का आभास हो रहा है । उसी प्रकार बडा लाल कुमकुम, लाल साडी, केश खुले छोडना, हाथ में त्रिशूल लेकर नाचना, मानो देवी का रूप दिखाने का प्रयत्न किया गया है, यह अत्यंत निंदनीय है । दीपावली के निमित्त ‘लक्ष्मी बम’ के नाम से फिल्म बनानेवाले क्या कभी ईद के निमित्त ‘आएशा बम’, ‘शबीना बम’, ‘फातिमा बम’ के नाम से फिल्म बनाने का साहस करेंगे ? जिस प्रकार मुसलमानों की धार्मिक भावनाओ का विचार फिल्म निर्माता और शासक करते हैं, वैसा ही विचार हिन्दुओ की धार्मिक भावनाओ का क्यों नहीं करते ? हिन्दुओ से पक्षपात करना ही क्या सर्वधर्मसमभाव की व्याख्या है ? हिन्दू विरोध ही मानो वर्तमान सेक्युलरिजम हो गया है, ऐसा भी श्री. शिंदे ने कहा है ।

फिल्म निर्माता शबीना खान और लेखक फरहद सामजी होने के कारण वे हेतुतः हिन्दूद्वेष फैला रहे हैं, ऐसा ध्यान में आता है । यदि इन मांगों की उपेक्षा की गई, तो तीव्र आंदोलन करने की चेतावनी भी श्री. शिंदे ने इस समय दी है ।

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