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गोवा में ‘सनबर्न’ संगीत रजनी में नटराज की प्रतिमा का अपमानजनक उपयोग : हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा निषेध

पौष शुक्लपक्ष नवमी, कलियुग वर्ष ५११६

पणजी (गोवा) : गोवा में ‘सनबर्न’ विवादजनक संगीतरजनी के विज्ञापन में तथा अनेक स्थानोंपर लगाए गए फलकोंपर नटराज की प्रतिमा का उपयोग कर शिव का अपमान किए जाने के सन्दर्भ में हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा ‘सनबर्न’ आयोजकोंका निषेध किया गया है । हिन्दू जनजागृति समिति के राज्य समन्वयक डॉ. मनोज सोलंकी ने नटराज की विडम्बना रोकने एवं हिन्दुओंकी धार्मिक भावनाओंको आहत करने के विषय में सनबर्न के आयोजकोंद्वारा हिन्दुओंसे क्षमायाचना करने की मांग की है ।

विशेषकर ‘सनबर्न’ के मंचपर नटराज का छायाचित्र है तथा उस मंच के समक्ष ‘सनबर्न’ के विज्ञापन में सर्वत्र अनेक लोगोंके नाचने का छायाचित्र प्रसिद्ध किया गया है । इस संगीतरजनी में नृत्य एवं गीत का एक प्रकार रख उसे ‘डांस टेम्पल’ सम्बोधित किया गया है । विज्ञापन में कहा गया है कि नटराज की प्रतिमावाला मंच यहां खडा किया जाएगा । नटराज भगवान शंकर के एक रूप हैं एवं हिन्दू धर्म में पूजनीय हैं । ऐसे नटराज के छायाचित्र के समक्ष ऊंची ऊंची आवाज में पाश्‍चात्य संगीत के तालपर मद्य सेवन कर नृत्य करना ही नटराज की भयंकर विडम्बना है । वास्तव में गोमंत भूमि परशुराम भूमि अर्थात देवी-देवताओंकी भूमि के रूप में पूर्व से ही प्रचलित है ।

पर्यटन के नामपर अब गोमन्त भूमिका नाम ‘मद्य, मदिराक्षी, कैसिनो एवं नशीली वस्तुएं ‘मिलने का स्थान’ के रूप में कुप्रसिद्ध किया जा रहा है । इस पाश्र्वभूमिपर विवादजनक ‘सनबर्न’ समान पाश्‍चात्य संगीतरजनी के कार्यक्रम का आयोजन करना अर्थात गोमन्तकीय संस्कृतिपर षडयन्त्र है ।

वागातोर में समुद्रकिनारे २७ दिसम्बर से ‘सनबर्न’ संगीतरजनी महोत्सव आरम्भ हो गया है ।

आयोजकोंका कहना है कि एशिया खण्ड में यह सब से बडा संगीत महोत्सव है एवं इस में अन्तर्राष्ट्रीय डीजे, वादक, कलाकार मिलाकर १२० से अधिक व्यक्ति सम्मिलित होंगे । यह महोत्सव पाश्चा संगीतपर आधारित है तथा विशेषकर पिछले आठ वर्षोंसे नववर्ष आरम्भ होने के कुछ दिन पूर्व इस महोत्सव का आयोजन किया जाता है ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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