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‘लक्ष्मी बम’ की जगह ‘सकीना बम’ क्यों नहीं : ट्रेंड हुआ #BoycottLaxmmiBomb, लव-जिहाद के प्रचार का भी आरोप

‘लव जिहाद’ का अजेंडा तनिष्क के एक विवादित विज्ञापन के बाद एक बार फिर सुर्खियों में है। इस्लाम का महिमामंडन और लव जिहाद की असलियत को नजरअंदाज करते टाटा समूह के इस विज्ञापन में हिंदुओं की भावनाओं का सरेआम मजाक बनाया गया था। हालाँकि, बढ़ते विरोध को देखते हुए कंपनी ने बाद में इसे हटा लिया।

वहीं, अब इसके बाद सोशल मीडिया पर #BoycottLaxmmiBomb ट्रेंड कर रहा है। बता दें कि इसके पीछे की वजह भी लव जिहाद ही है। साथ ही हिन्दुओं का कहना है कि इस फिल्म को सिर्फ ‘लक्ष्मी बम’ ही क्यों नाम दिया गया ‘सकीना बम’ क्यों नहीं? फिल्म में अभिनेता अक्षय कुमार मुख्य भूमिका में हैं।

अक्षय कुमार की 9 नवंबर को डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज होने वाली फिल्म ‘लक्ष्मी बम’ को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर बवाल मचा हुआ है। दरअसल ‘लक्ष्मी बम’ तमिल फिल्म ‘कंचना’ का हिंदी रीमेक है। फिल्म में अक्षय कुमार आसिफ की भूमिका निभा रहे हैंl वहीं कियारा आडवाणी प्रिया की भूमिका निभा रही है।

सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि ऑरिजनल फिल्म में हीरो के किरदार का नाम ‘राघव’ था तो इस फिल्म में वह ‘आसिफ’ कैसे हो गया जबकि हिरोइन के किरदार का नाम प्रिया ही रखा गया है। इसके साथ ही लोगों ने फिल्म का बायकॉट करने की अपील करते हुए इस पर बैन लगाने की माँग की है।

यूजर्स ने अक्षय कुमार पर पर अपने गुस्से को जाहिर करते हुए सोशल मीडिया पर बढ़ ला दी है। किसी ने फ़िल्म में लव जिहाद का एंगल दिखाने पर फिल्म की कश्मीर अलगावादी प्रोड्यूसर को वजह बताया है तो किसी ने कहा कि फ़िल्म का नाम ‘लक्ष्मी’ की जगह ‘सलमा या फातिमा’ भी तो रखा जा सकता था।

सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे एडवोकेट प्रशांत पटेल उमराव ने अपने ट्वीट में लिखा है, “शबीना खान ‘लक्ष्मी बॉम्ब’ की प्रोड्यूसर हैं, जो कश्मीरी अलगाववादी हैं। आसिफ (अक्षय) को ट्रांसजेंडर लक्ष्मी का भूत लग जाता है, जो लाल साड़ी पहनता है और त्रिशूल रखता है। ऑफिशियल टीजर के बैकड्रॉप में मां लक्ष्मी को दिखाया गया। जब भूत नहीं लगता, जब आसिफ की गर्लफ्रेंड प्रिया है। लानत है अक्षय कुमार पर।”

एक यूजर ने लिखा है, “क्या यह सही है? फिल्म का नाम क्या होगा ‘लक्ष्मी बम’ और यह दिवाली के अवसर पर रिलीज होगी। किरदार का नाम होगा आसिफ, अभिनेत्री का नाम होगा प्रिया, यह लोग लव जिहाद को क्यों बढ़ावा दे रहे हैं? किस प्रकार के कल्चर को बढ़ावा दे रहे हैं? ‘लक्ष्मी बम’ का विरोध करेंl”

एक अन्य ट्विटर यूजर ने लिखा है, “मुझे यह भरोसा नहीं होता कि अक्षय कुमार भी बॉलीवुड के जोकरों में शामिल हैं। मैं सोचता था कि वे दूसरों से अलग हैं। अब लव जिहाद को बढ़ावा दे रहे हैं। प्लीज #BoycottLaxmiBomb, #ShameOnAkshayKumar को री-ट्वीट करें।”

एक ट्विटर यूजर ने लिखा है, “क्या आप ‘लक्ष्मी बॉम्ब’ का नाम ‘सकीना बॉम्ब’ रख सकते हैं? नकली देशभक्त अक्षय कुमार।”

एक यूजर का कमेंट है, “लक्ष्मी बॉम्ब का बहिष्कार क्यों? फिल्म का नाम : लक्ष्मी बॉम्ब (देवी लक्ष्मी का अपमान और मानहानि), एक्टर का नाम : आसिफ, एक्ट्रेस: प्रिया (चुपचाप लव जिहाद का प्रमोशन), अर्नब के खिलाफ केस, कैनेडियन (अक्षय कुमार के पास कनाडा की नागरिकता है) कुमार की पत्नी रिया चक्रवर्ती को सपोर्ट कर रही है।”

गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब फिल्मों के जरिए हिंदुओं की आस्था को निशाना बनाया गया है। इससे पहले भी कई ऐसी फिल्मी आ चुकी हैं जिनमें इस्लाम का महिमामंडन और किसी न किसी तरह से हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला कंटेंट प्रसारित किया गया है। हाल ही में ‘ज़ी 5 पर’ रिलीज होने वाली फिल्म ‘कॉमेडी कपल’ में भी हिंदू मान्यताओं की खिल्ली उड़ाने के लिए मजाक की आड़ में मुख्य किरदार साकिब सलीम ने गौमूत्र उपहास किया है।

इससे पहले वर्ष 2011 में एक फ़िल्म आई थी ‘बॉडीगार्ड’ जिसमें कि मुख्य अभिनेता के रूप में सलमान खान थे और तैमूर की अम्मी करीना कपूर खान भी थी। फ़िल्म का वो सीन तो आपको याद ही होगा जहां अपने सलमान भाई करीना की सिक्युरिटी के लिए उसके क्लासरूम में भी चले जाते हैं और बाद में प्रोफेसर से बद्दतमीजी कर बैठते हैं, जिसकी वजह से प्रोफेसर सल्लू भाई को क्लास से बाहर भगा देता है। आप सोचेंगे इसमें कौन सी खास बात है, खास बात यह है कि ये फ़िल्म एक ‘मलयालम’ फ़िल्म की रीमेक थी जिसमें इस सेम सीन को थोड़ा अलग तरीके से दिखाया गया है।

ओरिजनल मलयालम फ़िल्म में प्रोफेसर हीरो से पूछता है ‘गुरुत्वाकर्षण की खोज किसने की?’ हीरो कहता है- ‘वैसे तो गुरुत्वाकर्षण की खोज, सबसे पहले भारत के भाष्कराचार्य ने की थी, लेकिन लोग न्यूटन का नाम लेते हैं।’

हीरो का यह जवाब सुनकर प्रोफेसर चिढ़ जाता है और उसे क्लास से बाहर निकाल देता है। वहीं सलमान की इस फ़िल्म में इस सीन को हटा दिया गया था। अब सवाल यह है कि ऐसी कौन सी मजबूरी आ गई थी कि, बॉलीवुड वालों को हिंदी रीमेक में ये सीन गायब ही करना पड़ गया। जबकि दोनों फ़िल्म का डायरेक्टर/राइटर एक ही शख्स था।

वैसे तो उसने अपनी पूरी फिल्म फ्रेम बाय फ्रेम छाप दी थी बस इस एक डायलॉग से क्या फर्क पड़ जाता। बता दें ऐसा कोई भी मोमेंट जहां इंडियन ऑडियंस,अपने इतिहास या महापुरुषों पर गर्व करे। उन्हें आसानी से बॉलीवुड फिल्मों से हटा दिया जाता है। उन्हें पता है कि हिंदुओं को टारगेट करना आसान है उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ेगा और वह आगे भी यहीं कारनामा करते रहेंगे। ऐसी फिल्मों के उदाहरण कई है जहां किसी न किसी तरीके से हिंदुओं को ठेस पहुंचाने का काम किया गया। चाहे वह हिंदू मान्यता हो, हिंदू देवी देवता या कोई रीति- रिवाज।

संदर्भ : OpIndia

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