पौष शुक्लपक्ष नवमी, कलियुग वर्ष ५११६
‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करना ही हमारा ध्येय ! – प्रमोद मुतालिक
नांगनुर-बेळगावी (कर्नाटक) : वर्तमान काल में अपने देश में स्वतन्त्रतापूर्व कालावधि के समान परिस्थिति उत्पन्न हो गई है । इसलिए राजनीतिक नेताओंद्वारा उत्पन्न विचित्र राजनीतिक परिस्थिति में हिन्दू धर्मपर अलग-अलग माध्यम से आक्रमण हो रहे हैं, जिस से हिन्दू अडचन में आगए हैं । हिन्दुओंपर होनेवाले अत्याचार रोकने हेतु ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना करना ही हमारा ध्येय है, श्रीराम सेना के संस्थापक श्री. प्रमोद मुतालिक ने ऐसा प्रतिपादित किया ।
नांगनुर में श्रीराम सेना का उद्घाटन किया गया, इस अवसरपर वे ऐसा बोल रहे थे । इस कार्यक्रम में हिन्दू जनजागृति समिति का भी सहभाग था । इस अवसरपर हिन्दू जनजागृति समिति के अधिवक्ता श्री. चेतन मनेरीकर एवं समाधि मठ के प्राणलिंग स्वामीजी ने भी मनोगत व्यक्त किए ।
मान्यवरोंके शुभहाथों छत्रपति शिवाजी महाराज तथा डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा का पूजन किया गया । तत्पश्चात ज्वाला प्रज्वलित कर कार्यक्रम का आरम्भ किया गया । इस अवसरपर हिन्दू धर्मजागृति का कार्य करने के उपलक्ष्य में ‘धर्मरत्न’ पुरस्कार देकर श्री. राजेश आवटे का सम्मान किया गया । कार्यक्रम के अध्यक्षस्थानपर श्री. दादू पाटिल थे । कार्यक्रम के लिए बडी संख्या में हिन्दू उपस्थित थे ।
ग्रामदेवी श्री अंबिकादेवी के दर्शन करने के पश्चात श्रीराम सेना के फलक का अनावरण किया गया । तत्पश्चात गांव में विशाल शोभायात्रा निकाली गई । स्वागत के लिए पूरा गांव भगवामय हो गया था । इस अवसरपर हिन्दू जनजागृति समिति के अधिवक्ता श्री. चेतन मनेरीकर ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष के प्रत्यक्ष उदाहरण हैं, परन्तु उनके वारिस कहलानेवाले हम सभी धर्म एवं मोक्ष भूलकर केवल अर्थ एवं काम के पीछे लगे हैं । देश में हिंसा बढ रही है । ‘लवजिहाद’ समान संकट हिन्दुओंके आगे आकर खडा है । हिन्दुओंको संगठित होकर उसका प्रतिकार करना चाहिए ।’’
‘श्रीराम’ शब्द में बडी शक्ति ! – प्राणलिंग स्वामीजी
इस अवसरपर समाधि मठ के प्राणलिंग स्वामीजी ने कहा, ‘‘श्रीराम शब्दका उच्चारण करनेपर ही बडी शक्ति जागृत होती है । हिन्दू संगठन एवं उसका कार्य है, हिन्दू संस्कृति को बचाना । नांगनुर में स्थापित श्रीराम सेना की शाखा आगामी कालावधि में हिन्दू धर्म जागृति एवं रक्षा का बडा कार्य करेगी । इसलिए प्रत्येक हिन्दूको अपना धर्म टिकाने के लिए कार्यरत रहना चाहिए ।’’
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात