अद्यतन
- `जी मराठी’ प्रणालपर दर्शाए गए महावस्त्रहरण’ नाटकके माध्यमसे हिंदू धर्मग्रंथ एवं महापुरुषोंका अनादर
- स्थानीय सी केबल न्यूजपर वस्त्रहरण नाटिकाका बहिष्कार डालनेका आवाहन !
- चोपडा तहसीलमें जी मराठी प्रणालपर दर्शाए जानेवाले वस्त्रहरण नाटककी असफलता
- हिंदू जनजागृति समितिका द्वारा जी प्रणाल’को वस्त्रहरण नाटकका प्रसारण निरस्त करनेका आवाहन
`जी मराठी’ प्रणालपर दर्शाए गए महावस्त्रहरण’ नाटकके माध्यमसे हिंदू धर्मग्रंथ एवं महापुरुषोंका अनादर
हिंदू जनजागृति समितिके कार्यकर्ताओंद्वारा `जी मराठी’ प्रणाल एवं भारतीय ब्राडकास्टिंग फाऊंडेशनकी ओर परिवाद प्रविस्ट !
`जी मराठी’ प्रणालद्वारा परिवादपर ध्यान केंदि्रत !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात
वैशाख कृष्ण ११, कलियुग वर्ष ५११५
स्थानीय सी केबल न्यूजपर वस्त्रहरण नाटिकाका बहिष्कार डालनेका आवाहन !
सांगली – स्थानीय सी केबल न्यूजपर हालमें ही हिंदू जनजागृति समितिकी श्रीमती मधुरा तोफखानेसे क्षणिक भेंट हुई थी । उसमें ‘वस्त्रहरण’, नामक नाटिकामें हिंदू धर्मग्रंथ तथा महापुरुषोंका अनादर किस प्रकार किया गया है, इस संदर्भमें श्रीमती तोफखानेद्वारा जानकारी दी गई । साथ ही उन्होंने यह आवाहन किया कि हिंदू इस नाटिकाका बहिष्कार करें । जनपदमें अनेक स्थानोंपर सी केबल न्यूजका कार्यक्षेत्र है । अतः यह विषय सहस्रावधि लोगोंतक पहुंचनेमें सहायता प्राप्त हुई । (हिंदूद्रोही नाटिकाके संदर्भमें होनेवाली वास्तविकता हिंदुओंतक पहुंचानेका प्रयास करनेवाले सी केबल न्यूजका अभिनंदन ! यदि प्रत्येक व्यक्ति इस प्रकारसे सहायता करे, तो धर्मपर आई ग्लानि दूर होनेमें सहायता प्राप्त होगी ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात
वैशाख कृष्ण ८, कलियुग वर्ष ५११५
चोपडा तहसीलमें जी मराठी प्रणालपर दर्शाए जानेवाले वस्त्रहरण नाटककी असफलता
हिंदू जनजागृति समितिद्वारा किए गए प्रबोधनका परिणाम !
हिंदुओ, इस सफलताके लिए श्रीकृष्णके चरणोमें कृतज्ञता व्यक्त करें !
चोपडा (जनपद जलगांव) – २८ अप्रैलको दोपहर १ बजे एवं संध्या ७ बजे नगर एवं तहसीलके सभी क्षेत्रोंमें `जी मराठी’ प्रणालपर महाभारतपर आधारित वस्त्रहरण नामक उपहासात्मक नाटक दर्शाया जानेवाला था । हिंदू जनजागृति समितिके सर्वश्री यशवंत चौधरी तथा तुषार सूर्यवंशीने चोपडा केबल नेटवर्क एवं बालाजी केबल नेटवर्कके मालिक सर्वश्री चंद्रहास गुजराथी एवं रमेश अग्रवालसे संपर्क कर उन्हें इस नाटकके माध्यमसे होनेवाले उपहासके विषयमें बताया एवं सूचित किया कि इससे हिंदू धर्म एवं हिंदू धर्मके महापुरुषोंके विषयमें होनेवाले अनुचित प्रचारके कारण हिंदुओंकी धर्मभावनाएं आहत होंगी । तदुपरांत उन्होंने तत्काल `जी मराठी’ प्रणालका प्रसारण बंद किया, जिससे तहसीलमें नाटककी दुर्गति / हंसी हुई । इस केबल नेटवर्कमें नगर एवं तहसीलके कुल मिलाकर ढाई लक्ष केबलधारक हैं । केबल मालिकोंद्वारा की गई सहायताके कारण उपहास रोकना संभव हुआ । इस कृत्यके लिए केबल नेटवर्कके सर्वश्री संदीप ओती, मनोज जाधव, नितिन भाऊ एवं केबल नेटवर्कके कर्मचारी तथा सहयोगियोंकी सहायता मिली । (हिंदुओंके आस्थास्थानोंका उपहास रोकनेमें सहायता करनेवाले केबल नेटवर्कके मालिक, कर्मचारी एवं सहयोगियोंका अभिनंदन ! – संपादक)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात
वैशाख कृष्ण ३ , कलियुग वर्ष ५११५
हिंदू जनजागृति समितिका द्वारा जी प्रणाल’को वस्त्रहरण नाटकका प्रसारण निरस्त करनेका आवाहन
हिंदू धर्मग्रंथ एवं महापुरुषोंकी हंसी-मजाक करनेवाले `वस्त्रहरण’ नाटकका प्रसारण करनेका `जी मराठी’ प्रणालका षडयंत्र !
मुंबई – हिंदू धर्मग्रंथ एवं महापुरुषोंकी हंसी-मजाक करनेवाले वस्त्रहरण नाटकका प्रसारण `जी’ प्रणालसे रविवार, २८ अप्रैल २०१३ को किया जाएगा । उपरोक्त नाटकमें हिंदू धर्म, संत एवं धर्मग्रंथोंकी मनचाही खिल्ली उडाई गई है । इसीलिए हिंदू जनजागृति समीतिके श्री. सतीश कोचरेकरने पत्रद्वारा `जी प्रणाल को इस नाटकका प्रसारण रोकनेका आवाहन किया है ।
धर्माभिमानी हिंदू नीचे दिए क्रमांकपर विरोधकी प्रविष्टि कर रहे हैं । दू.क्र. : ०२२ २४८३१२३५ |
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भद्रकाली प्रोडक्शनके इस नाटकमें हिंदुओंके पवित्र धर्मग्रंथ `महाभारत’ के वस्त्रहरणका प्रसंग दर्शाया गया है; परंतु यह दर्शाते समय मदिराकी दुकानको `तुकारामका अड्डा’ संबोधित किया गया है तथा अर्जुनको कंधेपर धनुष्यबाणके स्थानपर पत्रेकी कुर्सी देनेकी मूर्खता की गई है, जब कि महान पतिव्रता द्रौपदीका अभिनय मनोरंजक दृश्यकी एक बाई कर रही है, ऐसा बताया गया है । (क्या निर्माताने मुसलमान अथवा ईसाईयोंके आस्थास्थानके विषयमें इस प्रकारके प्रसंग दर्शानेका साहस किया होता ? हिंदू सहिष्णु हैं । इसीलिए कोई भी उठता है एवं हिंदुओंके आस्थास्थानोंपर आलोचना करता है । हिंदुओ, आप और कितने दिन यह सहन करेंगे ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) इस नाटकमें अन्य पात्रोंके मुंहसे भी इस प्रकारके अनादरात्मक विधान कहे गए हैं । अतः हिंदुओंके पवित्र धर्मग्रंथ `महाभारत’ तथा महापुरुषोंकी विडंबना हो रही है । हिंदू जनजागृति समितिने इससे पूर्व नाट्य परिनिरीक्षण मंडलको भी उपरोक्त उपहास रोकनेका आवाहन किया था तथा धर्माभिमानी हिंदुओंद्वारा स्थान-स्थानपर इस नाटकके विरोधमें नाट्यगृहके बाहर प्रदर्शन किए गए थे । परिणामतः नाटक विवादग्रस्त सिद्ध हुआ है ।
पत्रमें लिखा है कि उपरोक्त कारणसे हिंदुओंकी धार्मिक भावनाओंको आहत करनेवाले नाटकका प्रसारण अपने प्रणालसे न करने तथा अपनेसे हिंदू धर्मका अनादर न होनेकी बलपूर्वक मांग समितिद्वारा की जा रही है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात