वैशाख कृष्ण ३ , कलियुग वर्ष ५११५
५० सहस्र साधु-संत एवं धर्माभिमानियोंकी उपस्थितिमें योगऋषि रामदेवबाबाके ‘आचार्यकुलम्’ गुरुकुलका अनावरण
कितने हिंदू नेता उनको साधु-संतोंके आशीर्वाद चाहिए, ये खुले आम पूछते हैं ?
हरिद्वार – गुजरातके प्रमुखमंत्री श्री. नरेंद्र मोदीद्वारा हरिद्वारमें यह प्रतिपादित किया गया कि ‘आज मैं विशेष आनंदित हूं । संतोंकी नगरीमें आनेका सौभाग्य प्राप्त होनेके कारण मुझे लगता है कि मैं पावन हो गया हूं । महाकुंभ मेलाके समय मेरा आना असंभव था, उस संदर्भमें मैं क्षमा मांगता हूं । मुझे साधु-संतोंके आशीर्वादकी आवश्यकता है; क्योंकि भविष्यमें मुझसे किसी भी प्रकारका अपराध न हो ! किसी भी पद हेतु संतोंके आशीर्वाद मुझे नहीं चाहिए । भारतका २१ वां शतक आरंभ हुआ है । अतः देशका विकास कोई भी नहीं रोक सकता ।’
योगऋषि रामदेवबाबाके आचार्यकुलम् गुरुकुलका श्री. मोदीके हाथों आज अनावरण समारोह संपन्न हुआ । उस समय श्री. मोदीद्वारा यज्ञ किया गया । इस समारोहके लिए ५० सहस्र साधु-संत, प्रतिष्ठित मान्यवर तथा धर्माभिमानी उपस्थित थे । इस अनावरण समारोहके पश्चात श्री. मोदी द्वारा किया गया वतव्य इस प्रकार था ।
आदर्श राजा कैसा होना चाहिए इस संदर्भमें नरेंद्र मोदीद्वारा प्रतिपादित ध्यान देने योग्य कुछ सूत्र
१. हमें कभी भी यह शिक्षा नहीं मिली कि केवल हिंदू ही सुखी होने चाहिए । मैं केवल हिंदुओंका ही नेता नहीं, अपितु समस्त देशवासियोंका नेता हूं । अतः मेरी इच्छा यह है कि सभी देशवासियोंका कल्याण हो । जिन्होंने मुझे मत दिए हैं, वे मेरे हैं । साथ ही जिन्होंने मुझे मत नहीं दिए, वे भी मेरे ही हैं ।
२. स्वामी विवेकानंदके विचारों एवं उनके सपनोंपर मैं विश्वास रखता हूं । उनके सपने मुझे पूर्ण करने हैं ।
३. मैं सतोंका आदर करता हूं, साथ ही मैं योग परंपराके साथ जुडा हूं ।
४. गंगामाताद्वारा मुझे सामर्थ्य प्राप्त हो । ना तो मैं राज्यकी इच्छा करता हूं, ना ही मोक्षकी ।
५. १२ वर्षोंसे मैं सत्तामें हूं; किंतु एक भी संतने मुझसे कुछ नहीं मांगा । (कहां केवल अपने स्वार्थका विचार करनेवाले राजनेता , तो कहां अपने लिए कुछ भी न मांगनेवाले त्यागी संत ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
६. मुझमें कुछ अभाव हैं । मैं कई स्थानोंपर न्यून पडता हूं ; किंतु मैं आशावादी हूं ।
७. गुजरात राज्यके विकासका कारण नरेंद्र मोदी नहीं, अपितु ६ करोड गुजराती जनता है ।
८. हमारी परंपरा राजनीति करनेकी नहीं, पीडितोंके आंसू पोछनेकी है ।
९. हमारी जागृत समाज व्यवस्था बिखरनेके मार्गपर है । उसे बिखरनेसे बचाने हेतु साधु-संतों तथा उनके विचारोंकी आवश्यकता है । इस देशकी रचना ऋषि-मुनियोंद्वारा हुई है ।
१०. क्या शासनके विरोधमें वक्तव्य देना अपराध है ? योगऋषि रामदेवबाबाका क्या अपराध था जो उन्हें पुलिसकी लाठियोंद्वारा पिटाईका सामना करना पडा ?
११. देहलीके सम्राटोंद्वारा माता राजबाला (रामलीला मैदानपर योगऋषि रामदेवबाबाके निःशस्त्र तथा अहिंसक आंदोलनके समय पुलिसकी लाठीमारमें मारे गए आंदोलनकारी ) उत्तर मांग रही हैं ।
१२. यदि अंग्रेज इस देशकी जनताको रोक न सके, तो आपमें (कांग्रेसवालोंमें ) क्या साहस है !
१३. गुजरातमें सरकार बननेके पश्चात मैंने जनताको सुरक्षाका विश्वास दिलाया था । पिछले १२ वर्षोंसे गुजरातमें एक बार भी हिंसाचार नहीं हुआ ।
(श्री. नरेंद्र मोदीके ये विचार एवं कृत्य पढनेके पश्चात जनताके ध्यानमें आएगा कि आगामी लोकसभाके चुनावमें किनको विजयी करना है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात