आपको फ्रांस के शिक्षक सैमुअल पैटी याद होंगे, जिन्हें एक इस्लामी कट्टरवादी अब्दुल्लाख ने सिर्फ इसीलिए मार डाला था, क्योंकि उन्होंने अपनी कक्षा में पैगम्बर मुहम्मद के कार्टून्स दिखाए थे। अब उसे उसके गृह क्षेत्र चेचन्या में दफ़न किया गया है, जहाँ उसे पूरा हीरो वाला सम्मान दिया गया। सैकड़ों लोगों ने उसके जनाजे में भाग लिया और मुस्लिम भीड़ ने ‘इस्लाम का शेर’ के नारे लगाए। उसके सम्मान में गाने गाए गए।
उसे दफनाए जाने का पूरा वीडियो भी वायरल हो गया है, जिसमें सैकड़ों लोगों को हिस्सा लेते हुए देखा जा सकता है। अब्दुल्लाख अँजोरोव मात्र 18 साल का था और उसने फ्रेंच शिक्षक का सिर कलम कर दिया। बाद में पुलिस मुठभेड़ में उसी दिन अक्टूबर 16, 2020 को उसे भी मार गिराया गया था। शनिवार (दिसंबर 5, 2020) को उसकी लाश को उसके गृह क्षेत्र ‘रिपब्लिक ऑफ रूस’ के चेचन्या में लाया गया।
उसके गाँव शालाजी में ग्रामीणों ने उसके सम्मान में कार्यक्रम किए और अपने गाँव के इस्लामी रीति-रिवाजों के साथ दफ़न किया। भारी बर्फबारी के बावजूद 200 लोगों ने उसके अंतिम-संस्कार में हिस्सा लिया। पूरे गाँव में उसके शव को घुमाया गया, जो ‘Urus-Martanovsky’ नमक जिले में स्थित है। 5330 लोगों की जनसंख्या वाले इस गाँव के बाहर के लोग कहीं आकर शामिल न हो जाएँ, इसके लिए 65 पुलिस अधिकारियों को लगाया गया था।
गाँव की सीमाओं को सील कर दिया गया था। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में तो यहाँ तक कहा जा रहा है कि गाँव के लोगों ने एक सड़क का नामकरण भी अब्दुल्लाख के नाम पर किया है। वहाँ के लोगों ने कहा, “इस्लाम का शेर अपने जन्मस्थान पर आ गया है। वो अपनी मिट्टी में वापस चला गया है। केवल अल्लाह के पास ही सत्ता और शक्ति है, और किसी के पास भी नहीं।” वहाँ के कट्टरपंथी नेता भी उसके समर्थन में दिखे।
L’immonde assassin de #SamuelPaty célébré en héros lors de son enterrement en Tchétchénie. A vomir. pic.twitter.com/wRQDbg4kmM
— Philippe Vardon (@P_Vardon) December 6, 2020
चेचन्या के एक कट्टरवादी नेता रमजान कादीरोव ने कहा कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों लोगों को आतंकवाद का रास्ता अपनाने के लिए मजबूर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोगों के पास कोई विकल्प भी नहीं बचा है, क्योंकि फ्रांस की सरकार ‘शार्ली हेब्दो’ में बने पैगम्बर मुहम्मद के कार्टून्स को जायज ठहरा रहे हैं। हालाँकि, रूस ने कट्टरपंथी नेता को फटकार लगाई और विदेशी मामलों पर बयानबाजी न करने को कहा।
इस्लामी कट्टरपंथ से निपटने के लिए अपनी नई योजना को लेकर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों लगातार मुस्लिम देशों के निशाने पर हैं। मैक्रों ने देश के मुस्लिम नेताओं से ‘चार्टर ऑफ रिपब्लिकन वैल्यूज’ पर सहमति देने के लिए कहा है। इसको लेकर विवाद चल रहा है। चार्टर के मुताबिक, इस्लाम एक मजहब है और इससे किसी भी तरह के राजनीतिक आंदोलन को जोड़ा नहीं जा सकता है। चार्टर के तहत, फ्रांस के मुस्लिम संगठनों में किसी भी तरह के विदेशी हस्तक्षेप को प्रतिबंधित किया जाएगा।
संदर्भ : OpIndia