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हाथरस में अशांति फैलाने और हिंसा भड़काने में PFI का हाथ: 2.5+ करोड़ रुपए की विदेशी फंडिंग

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के स्टूडेंट विंग कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI) के नेता रऊफ शरीफ को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शनिवार (दिसंबर 12, 2020) को तिरुवनंतपुरम से गिरफ्तार किया। रऊफ शरीफ देश छोड़कर भागने की फिराक में था, मगर ED ने समय रहते कार्रवाई की और उसे धर दबोचा।

ईडी की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश के हाथरस कांड को लेकर हुए विवाद के बाद रऊफ शरीफ ने पीएफआई के सदस्यों और स्व-घोषित पत्रकार सिद्दीक कप्पन को वहाँ जाने के लिए  फंड दिया था। बता दें कि हाथरस में कई राजनीतिक दल और संगठन इकट्ठा हुए थे और अशांति फैलाने एवं जातिगत हिंसा को भड़काने की कोशिश कर रहे थे। जाँच एजेंसियों ने आरोप लगाया कि पीएफआई के सदस्य और कप्पन का इरादा सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ना और क्षेत्र में जातिगत हिंसा को उकसाना था।

4 अक्टूबर को यूपी पुलिस ने सिद्दीक कप्पन को अतीकुर्र रहमान और मसूद अहमद समेत चार पीएफआई कार्यकर्ताओ को मथुरा से गिरफ्तार किया था। इनके खिलाफ संगीन अपराध करने की मंशा रखने के शक में सीआरपीसी की धारा 151 के तहत मामला दर्ज हुआ था। बाद में यह केस राजद्रोह और आतंकवाद रोधी कानून के तहत दर्ज कर लिया गया।

ईडी ने प्रधान सत्र न्यायालय, कोच्चि के समक्ष प्रस्तुत रिपोर्ट में बताया कि शरीफ ने ही डायरेक्शन और फंड दिए थे। उसने रहमान के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर किया था। रिपोर्ट के अनुसार, कोविड- 19 लॉकडाउन के दौरान शरीफ के अकाउंट में कथित तौर पर 2.5 करोड़ की फंडिंग हुई। ओमान में काम करने वाला शरीफ उस समय भारत में था। इस लेन-देन ने संदेह पैदा किया। ईडी ने उसे पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन वह जानबूझकर सामने नहीं आया।

शरीफ द्वारा प्राप्त फंड

रिपोर्टों के अनुसार, शरीफ के पास आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक और फेडरल बैंक में सेविंग अकाउंट हैं। उसने अपने आईसीआईसीआई बैंक अकाउंट में 2018-2020 के दौरान 1.35 करोड़ रुपए प्राप्त किए थे। उसने अप्रैल-जून 2020 के दौरान रमीज अली प्रभात और नौशीफ शरीफ से 29.18 लाख रुपए विदेशी फंड प्राप्त किए थे। फंड को ट्रांसफर करने के उद्देश्य के रूप में लिखा था- ‘एफएटीएफ- देशों के नागरिकों या उनके प्रवास के लिए एनआरआई द्वारा होटलों को भुगतान’। बता दें कि उस अवधि के दौरान, कोविड -19 लॉकडाउन के कारण होटल बंद थे।

रिपोर्ट में कहा गया है, “यह उद्देश्य संदिग्ध लग रहा है क्योंकि यह माना जाता है कि रऊफ शरीफ या तो भारत में या फिर ओमान में होटल का मालिक है, जिसके लिए नौशीफ और रमीज द्वारा भुगतान किया गया था। हालाँकि कोविड -19 के कारण इस साल अप्रैल-जून की अवधि में होटल चालू नहीं थे।”

उन्होंने कहा कि 2019-2020 के दौरान उनके फेडरल बैंक खाते में 67 लाख रुपए का लेन-देन हुआ। उसे इस साल मई और अक्टूबर में दोहा से 19.7 लाख की विदेशी धनराशि मिली। उसके खाते में 16 लाख रुपए का नकद जमा भी किया गया था। ईडी की रिपोर्ट में उसके एक्सिस बैंक खाते में 20 लाख रुपए का लेन-देन भी दर्ज किया गया।

पीएफआई के खिलाफ पीएमएलए मामले की जाँच

2018 में, ईडी ने कन्नूर के नारथ में पीएफआई और एसडीपीआई सदस्यों द्वारा आतंकवादी शिविर से संबंधित एक मामले के आधार पर धन शोधन रोकथाम अधिनियम के तहत जाँच शुरू की। जाँच के दौरान शरीफ का नाम सामने आया था। हाथरस मामले में यूपी पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर में भी उसका नाम था। शरीफ पिछले एक साल से कप्पन को जानता था क्योंकि कप्पन ने कई पीएफआई और सीएफआई इवेंट कवर किए हैं।

यूपी पुलिस ने अक्टूबर में कप्पन और तीन पीएफआई सदस्यों से लैपटॉप, मोबाइल फोन और संदिग्ध पैम्पलेट बरामद किया था। ईडी की रिपोर्ट में कहा गया है कि शरीफ को मिले विदेशी चंदे को लेकर उसने कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया और साथ ही जाँच में सहयोग करने से भी इनकार कर दिया

संदर्भ : OpIndia


हाथरस मामले में वांछित PFI नेता रऊफ शरीफ केरल से गिरफ्तार : देश छोड़कर भागने की थी तैयारी

December 13, 2020

प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने शनिवार (दिसंबर 12, 2020) को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के युवा नेता रऊफ शरीफ को हिरासत में ले लिया। रऊफ शरीफ देश छोड़कर भागने की फिराक में था, मगर ED ने समय रहते कार्रवाई की और उसे धर दबोचा।

केरल से हुई गिरफ्तारी

ED के सूत्रों के अनुसार, शरीफ को केरल के तिरुवनंतपुरम इंटरनेशनल एयरपोर्ट से हिरासत में लिया गया है। आरोपित पुलिस को चमका देकर फरार होने की फिराक में था, लेकिन सरकारी एजेंसी ने तत्पर कार्रवाई करते हुए उसकी इस योजना पर पानी फेर दिया।

मीडिया रिपोर्ट में ED के हवाले से कहा गया है कि शरीफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में वांछित है। आरोप है कि रऊफ शरीफ के खाते में ओमान और कतर से दो करोड़ रुपए आए थे। यह भी आरोप है कि इन पैसों का प्रयोग असामाजिक गतिविधियों के लिए किया जा रहा था। शरीफ से पूछताछ के लिए जाँच एजेंसियों ने उसे नोटिस भी जारी किए थे लेकिन जाँच एजेंसियों के नोटिसों से खुद को बचा रहा था। वह कोरोना महामारी का बहाना बनाकर काफी समय से छिपा हुआ था।

जनपद हाथरस की दुर्भाग्यपूर्ण घटना की आड़ में दंगा भड़काने की साजिश में 05 अक्टूबर को कई लोगों को मथुरा से गिरफ्तार किया गया था। इनमें आरोपित अतीकुर्रहमान और मसूद को दंगा भड़काने की साजिश में आर्थिक मदद और संसाधन उपलब्ध कराने के लिए केरल निवासी रऊफ शरीफ की भूमिका सामने आई थी। इसके बाद लुकआउट नोटिस जारी किया गया था। रऊफ शरीफ मस्कट जाने की फिराक में था, जिसे एयरपोर्ट पर हिरासत में लिया गया है। CFI के महासचिव रउफ शरीफ पर देश-विदेश से करोड़ों रुपए की फंडिंग प्राप्त होने और उसका प्रयोग सामाजिक वैमनस्यता और दंगो को भड़काने में करने का आरोप है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मीडिया सलाहकार शलभ मणि त्रिपाठी के मुताबिक उत्तर प्रदेश पुलिस को भी हाथरस मामले में उसकी तलाश है और वह उस मामले में भी वांछित है। हाथरस में हुई बड़ी साज़िश, घूँघट वाली भाभी से लेकर तमाम ‘चर्चित चेहरों’ ने PFI की लिखी हुई स्क्रिप्ट पढ़ी। प्रदेश में नफरत फैलाने और जातीय दंगा भड़काने के लिए उसे विदेशों से कोरड़ों रुपए मिले थे।

गौरतलब है कि पिछले दिनों प्रवर्तन निदेशालय ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया के नेशनल एग्जीक्यूटिव काउंसिल मेम्बर करमना अशरफ मौलवी के तिरुअनंतपुरम स्थित पूंथुरा आवास पर छापा मारा था। ईडी ने साल 2018 के दौरान पीएफ़आई के कई सदस्यों पर धन शोधन निरोधक अधिनियम (मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के तहत मामला दर्ज किया था। इसके अलावा कोज़ीकोड़े, मल्लापुरम और एर्नाकुलम स्थित पीएफ़आई नेताओं के आवासों पर भी छापा मारा गया।

संदर्भ : OpIndia

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