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हैद्राबाद में काली मंदिर की जमीन पर कब्जा : AIMIM के गुंडों के साथ पुलिस की मिलीभगत का आरोप

काली माता मंदिर विवाद के बाद, तेलंगाना भाजपा के अध्यक्ष बंडी संजय पटेल (Bandi Sanjay Kumar Patel ) ने बुधवार (दिसंबर 16, 2020) को माँग की है कि केसीआर सरकार मंदिरों के स्वामित्व वाली भूमि की रक्षा करे। साथ ही, उन्होंने कब्जाधारियों का साथ देने वाले स्थानीय डीसीपी को निलंबित करने की भी माँग की।

भाजपा नेता ने सवाल किया कि सरकारी (धर्मस्व विभाग) जमीन बचाने की कोशिश करने वाले भाजपा कार्यकर्ताओं को पुलिस कैसे गिरफ्तार कर सकती है? हिन्दू महिलाओं से बदसलूकी और पुलिस की कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए बंडी संजय ने कहा कि आज की घटना से स्पष्ट होता है कि पुलिस कब्जा करने वालों के साथ खड़ी है।

तेलंगाना के भाजपा विधायक टी राजा सिंह के साथ एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, तेलंगाना भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बंडी संजय ने कहा कि अगर सरकार ने 24 घंटे के भीतर इस मुद्दे पर जवाब नहीं दिया, तो मुख्यमंत्री केसीआर को ओल्ड सिटी में मंदिर की जमीन पर भाजपा के आंदोलन के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

भाजपा प्रमुख ने आरोप लगाया कि स्थानीय डीसीपी ने काली माता मंदिर स्थल पर विरोध कर रही महिलाओं के साथ गैरजिम्मेदाराना व्यवहार किया। संजय ने कहा, “पुलिस अधिकारियों ने अतिक्रमणकारियों का साथ देते हुए निचली अदालत के आदेश का समर्थन किया, भले ही अतिक्रमणकारियों के खिलाफ उच्च न्यायालय का आदेश पहले से ही था।”

उन्होंने कहा, “जैसे ही डीसीपी ने मुझे रोका, सैकड़ों एमआईएम के गुंडे इकट्ठा हुए और नारे लगाए। जिस डीसीपी को कानून और व्यवस्था को बनाए रखना था, उसने एमआईएम कार्यकर्ताओं का समर्थन करने की कोशिश की।”

विधायक राजा सिंह ने कहा कि ओल्ड सिटी में सुबह से तमाशा चल रहा था। भू-माफिया काली माता मंदिर से जुड़ी 8 एकड़ और 15 गुंटा जमीन छीनने की कोशिश कर रहे थे, जिसकी कीमत 150 करोड़ रूपए है।

उन्होंने कहा पुलिस अधिकारियों और अतिक्रमणकारियों पर मिलीभगत का भी आरोप लगाया। रजा सिंह ने कहा कि एंडॉवमेंट डिपार्टमेंट ने निचली अदालत में इस मामले में सुनवाई नहीं की, जिससे पता चलता है कि वे अतिक्रमणकारियों के साथ मिले हुए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने सांप्रदायिक माहौल बनाने की योजना बनाई और इसका दोष भाजपा पर मढ़ने का प्रयास किया, लेकिन वे विफल रहे।

काली मंदिर जमीन पर कब्जे को लेकर हुई थी झड़प

उल्लेखनीय है कि हैदराबाद ओल्ड सिटी के उप्पुगुड़ा कालिका माता मंदिर (Kalika Mata temple, Uppuguda) से जुड़ी करीब 8 एकड़ 13 गुंटा जमीन को लेकर विवाद चल रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, धर्मस्व विभाग की इस जमीन को अपनी बताते हुए एक व्यक्ति के सिटी सिविल कोर्ट से पुलिस प्रोटेक्शन ऑर्डर लेकर आने और घटनास्थल पर पुलिस की मौजूदगी में निर्माण शुरू करने पर भाजपा नेताओं सहित स्थानीय लोगों ने निर्माण कार्य को रोकने की कोशिश की।

इस पर भाजपा नेताओं ने स्थानीय लोगों के साथ मिलकर निर्माण कार्य को रोकने की कोशिश की, तो पुलिस ने भाजपा नेताओं व महिलाओं को घसीटते हुए ले जाकर वाहनों में चढ़ाया, जिसे लेकर वहाँ तनाव की स्थिति बन गई। पुलिस ने कहा कि अदालत के आदेशों का ही पालन किया जा रहा था, लेकिन भाजपा कार्यकर्ताओं ने दावा किया कि आठ एकड़ और 13 गुंटा जमीन कालिका मंदिर और एक हिंदू कब्रिस्तान की है।

जिस समय विवादित जमीन के चारों ओर बाड़ बनाई जा रही थी, तभी भाजपा के सैकड़ों कार्यकर्ता और स्थानीय लोग बुधवार को घटनास्थल पर जमा हुए और नारेबाजी शुरू कर दी। लोगों ने वहाँ पर विरोध प्रदर्शन किया। इसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया और उन्हें दबीरपुरा और फलकनुमा पुलिस थानों में भेज दिया गया।

इस बीच, एआईएमआईएम कार्यकर्ता बालसेट्टी खेत पहुँचे, जहाँ वे भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ भिड़ गए और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंडी संजय को रोकने की कोशिश की, जो कि दबीरपुरा पुलिस स्टेशन जा रहे थे। हालाँकि, मिर्चचौक एसीपी ने हस्तक्षेप किया और दोनों समूहों को वहाँ से खदेड़ दिया।

विधायक राजा सिंह ने बाद में मीडिया से बात करते हुए कहा कि एक कब्रिस्तान काली माता मंदिर, कंधीगल से सटा हुआ है, जिसमें चंद्ररंगुट्टा निर्वाचन क्षेत्र में 8.23 ​​एकड़ जमीन है। अतीत में, भूमि-अधिग्रहणकर्ताओं और बंदोबस्ती विभाग के अधिकारियों ने तीन बार उस जमीन को अलग करने की कोशिश की थी, जिसे स्थानीय लोगों ने नहीं होने दिया।

राजा सिंह ने कहा कि जब वे इस संपत्ति हथियाने में विफल रहे, तो जमीन हड़पने वालों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया और बंदोबस्ती अधिकारियों ने भी मामले में कोई बाधा नहीं डाली। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और एक आदेश प्राप्त किया। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट के आदेशों को लागू करने के बजाय, जमीन हड़पने वालों ने पुलिस सुरक्षा के तहत निचली अदालत के आदेशों को लागू करने की कोशिश की जिस कारण विवाद हुआ।

संदर्भ : OpIndia

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