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शंकराचार्य निश्चलानंदजी सरस्वतीके ‘साधना एवं राष्ट्ररक्षा’ पर आयोजित शिविरमें समितिका सहभाग

वैशाख कृष्ण , कलियुग वर्ष ५११५

शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंदजी सरस्वतीके मार्गदर्शन तले ‘साधना एव राष्ट्ररक्षा’ इस विषयपर आयोजित शिविरमें हिंदू जनजागृति समितिका भी सहभाग


ओंकारेश्वर (मध्यप्रदेश) – मध्यप्रदेशके नर्मदा किनारे स्थित विख्यात तीर्थक्षेत्र ओंकारेश्वरके श्री अन्नपूर्णा आश्रममें पुरी पीठके जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वतीके मार्गदर्शन तले ‘साधना एवं मार्गदर्शन’, यह चौदहवां शिविर २६ अप्रैलको  सबेरे प्रारंभ हुआ । यह शिविर २६ अप्रैलसे २८ अप्रैलतक अर्थात तीन दिनोंतक चलेगा । इस शिविरमें सबेरेके सत्रमें ‘साधना’ विषयपर पूज्य शंकराचार्य मार्गदर्शन करेंगे तथा संध्यासमयके सत्रमें राष्ट्ररक्षाके संदर्भमें विभिन्न मान्यवरोंके मत व्यक्त किए जाएंगे । तत्पश्चात पूज्य शंकराचार्य उसी विषयके संदर्भमें धर्मशास्त्रके अनुसार मार्गदर्शन करेंगे ।

इस शिविरमें मलेशिया एवं बांगलादेशके संतोंके साथ पू. शंकराचार्यके देशभरके ३०० भक्त भी सम्मिलित हुए थे । पू. शंकराचार्यके विशेष निमंत्रणके अनुसार हिंदू जनजागृति समितिके राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे तथा उत्तर भारत समन्वयक श्री. विनय पानवळकर भी सम्मिलित हुए थे । शिविरके अनावरणके पहले सत्रमें मार्गदर्शन करते समय स्वयं पूज्य शंकराचार्यद्वारा विद्वत्तापूर्ण एवं रसभरी वाणीमें सभी लोगोंको जीवनका उद्देश्य बताया गया ।

उस समय सनातन संस्थाके विषयमें तथा साथ ही प.पू. डॉक्टरजीद्वारा किए गए अद्वितीय कार्यके विषयमें उपस्थित  व्यक्तियों को स्वयं पू. शंकराचार्यद्वारा जानकारी दी गई । उन्होंने समितिके कार्यकर्ताओंका परिचय करवाया तथा उन्हें वक्तव्य देनेके लिए कहा । उस समय हिंदू जनजागृति समितिके प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदेद्वारा बताया गया कि ‘पूज्य शंकराचार्यने हमें इस शिविरमें आमंत्रित कर सीखनेकी संधि प्रदान की है, अतः हम उनके चरणोंमें कृतज्ञ हैं । हिंदुओंको अचूक नेतृत्वकी आवश्यकता है । यदि यह नेतृत्व पू. शंकराचार्यके समान तपोनिष्ठ एवं राष्ट्रहितदक्ष संतद्वारा किया जाएगा, तो निश्चित ही हिंदू राष्ट्रकी स्थापना होगी । आज हिंदुओंको धर्मनिरपेक्षताके नामपर भ्रमित किया जाता है । हिंदुओंके साथ अन्यायका व्यवहार करनेवाला धर्मनिरपेक्षता नहीं चाहिए, अपितु सम्मानके साथ व्यवहार करनेवाला हिंदू राष्ट्र स्थापित होना चाहिए । कुंभमेलेमें पू. शंकराचार्यके साथ बुरा एवं अभद्र व्यवहार करनेवाले मंत्री आजम खानको अमरिकाके विमानतलपर रोका गया । साथ ही  डेढ घंटेतक उनकी पूछताछ भी की गई । यह उन्हें  ईश्वरद्वारा मिला न्याय ही है । हिंदू संतोंपर अन्याय करनेवालोंको उनके पापका फल भुगतना ही पडेगा ।’ 

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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