शिवप्रताप दिवस आसुरी प्रवृत्तियों पर विजय है, हिन्दू इसे दशहरे-दिवाली समान मनाएं ! – इतिहास अभ्यासक मोहन शेटे
भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया, वह दिन दिवाली के रूप में मनाया जाता है । श्रीराम ने रावण का वध किया, वह दिन विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है । कुल मिलाकर आसुरी प्रवृत्तियों पर विजय पाने के उपरांत हिन्दू संस्कृति में त्योहार-उत्सव मनाने की पद्धति है । उसी प्रकार छत्रपति शिवाजी महाराज ने 361 वर्ष पूर्व अर्थात् मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष अष्टमी के दिन हिन्दवी स्वराज्य पर आक्रमण करनेवाले अफजलखान का वध किया । अल्प सेना और अल्प शस्त्रों के बल पर छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा किया यह पराक्रम पूरे संसार की उत्कृष्ट युद्धनीति एवं युद्ध कौशल्य के रूप में पढाया जाता है । हममें भी इस प्रकार के पराक्रम की प्रेरणा निर्माण होने हेतु शिवप्रताप दिवस दशहरे-दिवाली के समान उत्साह से मनाने की आवश्यकता है, ऐसा प्रतिपादन इतिहास संशोधन मंडल के संस्थापक अध्यक्ष तथा महाराष्ट्र शासन के शालेय पाठ्यपुस्तक निर्मिति मंडल के इतिहास समिति सदस्य श्री. मोहन शेटे ने किया ।
हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से शिवप्रताप दिवस के उपलक्ष्य में ‘शिवछत्रपति का अद्वितीय पराक्रम… अफलजखान वध’ इस विषय पर आयोजित ऑनलाइन विशेष संवाद में वे बोल रहे थे । इस समय फेसबुक तथा यू-ट्यूब के माध्यम से 29,163 लोगों ने इस कार्यक्रम का प्रत्यक्ष प्रसारण देखा, जबकि 1,02,673 लोगों तक यह कार्यक्रम पहुंचा । शिवप्रताप दिवस के उपलक्ष्य में शिवछत्रपति के पराक्रम का स्मरण करने हेतु समिति द्वारा किए आवाहन के अनुसार पूरे महाराष्ट्र में विभिन्न स्थानों पर शिवाजी महाराज की प्रतिमा का पूजन किया गया । इस समय शिवप्रेमियों ने ट्विटरवर #ShivpratapDin इस हैशटैग से किया ट्रेंड राष्ट्रीय स्तर पर दूसरे क्रमांक पर था ।
इस अवसर पर प्रसिद्ध लेखक डॉ. सच्चिदानंद शेवडे ने कहा, अफजलखान जैसे बलवान तथा भारी सेनाबल से युक्त शत्रु का उन्होंने कूट युद्धनीति का उपयोग कर वध किया । ऐसी अनेक प्रतिकूल परिस्थितियों में शिवाजी महाराज ने अपने युद्ध कौशल्य के बल पर सफलता प्राप्त की है । उनके गुप्तचर अच्छे थे और प्रत्येक युद्ध की उनकी स्वतंत्र रणनीति थी ।
इस समय हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र और छत्तीसगढ संगठक श्री. सुनील घनवट ने कहा, शिवकालीन शिलालेख में स्पष्ट उल्लेख है ‘यह हिन्दूराज्य बना ।’ तब भी कुछ स्वयंघोषित इतिहासकार शिवछत्रपति को सेक्युलर तथा मुस्लिमप्रेमी दिखाने का प्रयास कर रहे हैं । आज भी अफजलखानवध तथा शाहिस्तेखान की उंगलियां काटने के चित्र लगाने का विरोध किया जाता है । दूसरी ओर अकबर, औरंगजेब, जहांगीर, शाहजहां, बाबर आदि मुगल आक्रमणकारियों के नाम पर देश में 760 से अधिक गांव-शहर हैं । इन्हें बदलना चाहिए । इस प्रकार वास्तविक इतिहास को छिपाया जा रहा है । हिन्दुआें को सच्चा इतिहास और शौर्य सिखाने पर हिन्दू राष्ट्र की दिशा में आगे बढा जा सकता है ।