कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सोमवार (दिसंबर 28, 2020) को स्वीकार किया कि उन्होंने ‘मवेशी का माँस’ (Cattle Meet) खाया और वो क्या खाते हैं क्या नहीं, यह उनका अधिकार है। कॉन्ग्रेस के स्थापना दिवस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि पार्टी के कई सहयोगी परिणाम या विवाद की आशंका के चलते कई मुद्दे पर कोई रूख नहीं अपना पाते।
सिद्धारमैया ने कहा, “मैंने एक बार विधानसभा में कहा था कि मैं मवेशी का मांस खाता हूं। आप कौन होते हैं पूछने वाले? यह मेरा अधिकार है, भोजन को लेकर सबकी अपनी-अपनी पसंद है, आप सवाल करने वाले कौन होते हैं? आप नहीं खाते तो कोई बात नहीं मैं आपको मजबूर नहीं करुँगा। मैं खाता हूँ क्योंकि मुझे पसंद है, आप सवाल करने वाले कौन होते हैं? क्या आपको ऐसा कहने का साहस है? ”
गोहत्या रोधी विधेयक का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हमारे लोग यह मानकर चुप रह जाते हैं दूसरे लोग जो कह रहे हैं वह सही है। आपको इस तरह के भ्रम से निकलना चाहिए। गाय या भैंस की देखभाल पर हर दिन करीब 100 रुपए खर्च करने पड़ते हैं, किसान बूढ़ी गायों और भैंसों को कहाँ भेजेंगे।” उन्होंने सवाल किया, ‘‘उन्हें कौन रुपए देगा? किसान भी गायों की पूजा करते हैं।’’
2015 में, सिद्धारमैया ने इसी तरह की टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था, “मैंने आज तक गोमांस नहीं खाया है, (लेकिन) तुम कौन हो मुझसे पूछने के लिए कि मैंने खाया है या नहीं?” हाल ही में, सिद्धारमैया, जो कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता भी होते हैं, ने अपनी टिप्पणियों के लिए खेद व्यक्त किया था कि कोडावा गोमाँस खाते हैं। इसकी काफी आलोचना हुई थी। जिसके बाद उन्होंने खेद प्रकट करते हुए कहा था कि उनका कभी भी यह कहने का कोई इरादा नहीं था कि कोडवा गोमाँस खाते हैं। उनकी संस्कृति के प्रति उनके मन में काफी सम्मान है।
बता दें कि 9 दिसंबर को कर्नाटक राज्य में गोहत्या पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने वाला 20 वाँ राज्य बन गया। अब जो कोई भी अवैध रूप से वध या गायों के परिवहन में लिप्त पाया जाएगा, उसे 7 साल तक की जेल की सजा दी जाएगी। दिलचस्प बात यह है कि जिस दिन कर्नाटक कैबिनेट ने विधान परिषद द्वारा पारित किए जाने वाले बिल को प्रभावी करने के लिए अध्यादेश पारित किया, उस दिन कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता की टिप्पणी सामने आई।
संदर्भ : OpIndia