केरल के सायरो मालाबार चर्च (Syro Malabar Church) की 3 सदस्यों वाली जाँच समिति ने कैथोलिक युवती और मुस्लिम युवक के बीच अंतरधार्मिक विवाह को एक ‘गंभीर त्रुटि’ के कारण अवैध करार दिया है। समाचार पत्र ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ की रिपोर्ट के मुताबिक़, यह घटना केरल की है।
समिति ने अपने आदेश में कहा कि शादी के दौरान कई नियमों का उल्लंघन हुआ है और इस शादी के दौरान ‘कैनन कानून’ (Canon law) का पालन नहीं किया गया इसलिए शादी ‘अवैध’ है। दो पादरियों ने शादी कराने के दौरान कई नियमों का ध्यान नहीं रखा, फ़िलहाल उन्हें भी प्रतिबंधित किया जा चुका है।
त्रिशूर जिले के इरिनजलक्कुडा की रहने वाली कैथोलिक युवती और कोच्चि के रहने मुस्लिम युवक की 9 नवंबर को शादी हुई थी। इस घटना पर आर्क बिशप मार जॉर्ज एलेनचेरी (Mar George Alencherry) ने जाँच का आदेश दिया है। उन्होंने पादरियों द्वारा अंतरधार्मिक शादियों को ‘बढ़ावा’ देने के पहलू पर भी जाँच के आदेश दिए।
इसके अलावा, सायरो मालाबार चर्च के पादरी ने कहा, “समिति ने इरिनजलक्कुडा के पादरी, बिशप और एर्नाकुलम-अंगालामी के आर्कडीओसेस (Archdiocese) की जानकारी इकट्ठा की है। यह जानकारी वरिष्ठ आर्की बिशप से भी साझा की जा चुकी है। जानकारी के मुताबिक़ शादी में कैनन लॉ का अनुपालन नहीं किया गया है इसलिए यह अमान्य है।”
कैथोलिक चर्च का ‘कैनन लॉ’ ऐसे नियमों का संग्रह है, जिसे कैथोलिक चर्च के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने तैयार किया है। कैथोलिक समुदाय के लोगों को इन दिशा निर्देशों का ही पालन करना होता है।
सायरो मालाबार चर्च तय करता है अंतरधार्मिक विवाह के नियम: कैनन लॉ का पालन है आवश्यक
इसके पहले भी सायरो मालाबार चर्च विवादों में रह चुका है। चर्च ने कहा था कि वह खुद सुनिश्चित करेगा कि ईसाई समुदाय में होने वाली हर शादी कैनन लॉ के आधार पर ही होंगी। इसके लिए सभी बिशप को इस क़ानून से संबंधित दिशा-निर्देश भेज दिए जाएँगे। जिससे यह तय किया जा सके कि दो अलग धर्म के लोगों बीच शादी कैथोलिक तरीके से ही हो रही है।
सायरो मालाबार चर्च पूर्वी (ओरिएण्टल) के 22 कैथोलिक चर्चों में से एक है, जिसका रोम के साथ भरपूर सामंजस्य है। साथ ही, इसने बिशपों को आदेश दे रखा है कि वह कैनन लॉ के तहत ही अंतरधार्मिक विवाह आयोजित कराएँ। चर्च ने बिशपों को आदेश दिया है कि वह अंतरधार्मिक शादियों के साथ ‘समुदाय के विवाह की विषमता’ (Disparity of cult marriages) जैसा बर्ताव करें।
लेकिन इनका आयोजन कैथोलिक तरीके से ही किया जाना चाहिए। क़ानून में शामिल किए गए दिशा-निर्देशों के मुताबिक़, चर्च दो अलग धर्म के लोगों के बीच होने वाली शादियों में अन्य समुदाय की प्रक्रियाओं को शामिल नहीं करेगा। ईसाई समुदाय का कोई भी व्यक्ति ऐसी शादियों में शामिल होने की इच्छा जाहिर नहीं कर सकता है।
विवाद तब शुरू हुआ जब कोच्चि स्थित कादवंथरा सेंट जोसेफ चर्च (Kadavanthra St Joseph Church) में बिशप की मौजूदगी में एक मुस्लिम व्यक्ति से शादी कर ली। अगले दिन दंपत्ति की तस्वीर समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई, जिसके बाद केरल में कैथोलिक समुदाय के बड़े हिस्से ने विरोध करना शुरू किया।
दरअसल केरल में पादरियों ने सबसे पहले लव/ग्रूमिंग जिहाद का मुद्दा उठाया था, जिसके तहत मुस्लिम समुदाय के युवक अन्य समुदाय की गैर मुस्लिम महिलाओं को प्रेम जाल में फंसाते हैं और फिर उन पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाते हैं।
संदर्भ : OpIndia