हाल ही में पाकिस्तान के खैबर पख्तूनवा प्रांत के करक जिले में उन्मादी मुस्लिम भीड़ ने अल्लाह-हू-अकबर का नारा लगाते हुए एक हिंदू मंदिर को तहस-नहस कर दिया था। इसके बाद उसे आग के हवाले कर दिया गया। पाकिस्तान के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं सहित देश में सत्तारूढ़ इमरान खान की अगुवाई वाली पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने भी इसकी निंदा की थी, लेकिन भारत से भागकर मलेशिया में शरण लेने वाले विवादित इस्लामिक प्रचारक भगोड़े जाकिर नाइक ने इस शर्मनाक वारदात को जायज ठहराया है।
पाकिस्तान में मंदिर में तोड़फोड़ की घटना को उचित ठहराते हुए जाकिर नाइक ने कहा कि किसी भी इस्लामी देश में मंदिर बनाए जाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। जाकिर नाईक का यह बयान 30 दिसंबर को पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के करक जिले में उन्मादी भीड़ द्वारा मंदिर को हथौड़े से मारकर गिराए जाने की घटना के बाद आया है। आरोप है कि आतंकी समूह से समर्थन प्राप्त एक स्थानीय मौलवी ने लोगों को हिंदू समूदाय के खिलाफ भड़काया और मंदिर गिराने के लिए उकसाया।
इस घटना पर भारत ने कड़ा विरोध दर्ज कराया। भारत ने इस घटना के प्रति कूटनीतिक माध्यमों से पाकिस्तान को नाराज़गी जाहिर की। भारत सरकार के अधिकारी ने बताया, “पाकिस्तान में इस घटना पर आधिकारिक रूप से संज्ञान लिया जा चुका है और इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दर्ज की गई है।”
गौरतलब है कि इससे पहले उग्र इस्लामी भीड़ ने हथौड़े की मदद से हाल ही में निर्मित कृष्ण मंदिर की दीवार तोड़ दी थी। कट्टरपंथियों की भीड़ की अगुवाई स्थानीय मौलाना और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम पार्टी (फज़ल रहमान ग्रुप) के समर्थकों ने की थी। भीड़ ने पहले अल्लाह हू अकबर का नारा लगाते मंदिर को आग के हवाले कर दिया और फिर उसे हथियारों से तहस-नहस कर दिया।
इस मौके पर भी इस्लामी कट्टरपंथी नाइक ने विवादित बयान देते हुए कहा था कि पाकिस्तान अपनी राजधानी में श्रीकृष्ण मंदिर बनवाने के लिए पैसे देकर पाप कर रहा है। जाकिर से पूछा गया था, “क्या इस्लाम को मानने वाले मुल्क में मुस्लिम करदाताओं के रुपयों से मंदिर बनाया जा सकता है?” जवाब में उसने कहा था एक मुस्लिम व्यक्ति किसी गैर मुस्लिम पूजा स्थल के निर्माण में दान नहीं कर सकता है। इसके अलावा जाकिर ने कहा था वह ऐसे किसी निर्माण का समर्थन भी नहीं कर सकता।
जाकिर नाइक ने अपने साप्ताहिक कार्यक्रम में बात करते हुए कहा था कि लगभग सभी इमाम और उलेमाओं की इस मुद्दे पर राय एक जैसी है। इस्लाम को मानने वाला कोई भी व्यक्ति किसी गैर मुस्लिम धार्मिक स्थल के निर्माण के लिए दान नहीं कर सकता है। इस बारे में तमाम फ़तवे भी मौजूद हैं। एक मुस्लिम व्यक्ति दूसरे मज़हब के धार्मिक स्थलों के निर्माण का न तो साथ दे सकता है और न ही दान कर सकता है।
संदर्भ : OpIndia