‘हिन्दू जनजागृति समिति’ एवं ‘गौड सारस्वत ब्राह्मण मंदिर ट्रस्ट’ की मांग को सफलता !
मुंबई – हिन्दुओं की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत होनेवाले वाळकेश्वर के बाणगंगा जलकुंड के पास निजी विकासकों द्वारा भवन का निर्माण कार्य आरंभ है । उसके लिए किए जा रहे उत्खनन के कारण बाणगंगा कुंड से प्राकृतिक रूप से आ रहा निर्मल जल पूर्णतः मैला होकर यह जलस्रोत दूषित हुआ है । इस निर्माण कार्य के कारण भविष्य में यह ऐतिहासिक जलस्रोत सदा के लिए लुप्त होने का संकट है । इसलिए यह निर्माण कार्य एवं उसके लिए चल रहे उत्खनन को तत्परता से एवं स्थायी रूप से स्थगित करने की मांग ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ एवं ‘गौड सारस्वत ब्राह्मण मंदिर ट्रस्ट’ सहित अन्य संगठनों की ओर से मुंबई की महापौर श्रीमती किशोरी पेडणेकर से प्रत्यक्ष मिलकर की गई थी । महापौर जी ने तत्काल प्रत्यक्ष घटनास्थल का दौरा कर बाणगंगा सरोवर की जांच की और उत्खनन के कारण बाणगंगा का जलस्रोत दूषित होने से संबंधित विकासक जब तक भूगर्भशास्त्र विशेषज्ञ की रिपोर्ट मुंबई महानगरपालिका को प्रस्तुत नहीं करता, तब तक वह काम ‘यथा स्थिति’ बनाए रखने के आदेश दिए । इस अवसर पर महानगरपालिका के ‘ड’ प्रभाग के सहायक आयुक्त प्रशांत गायकवाड, सचिव शशांक गुळगुळी, प्रकल्प अधिकारी ऋत्विक औरंगाबादकर, ‘गौड सारस्वत ब्राह्मण मंदिर ट्रस्ट’ के अध्यक्ष श्री. प्रवीण कानविंदे एवं हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. सतीश सोनार उपस्थित थे ।
इस समय महापौर श्रीमती पेडणेकर ने कहा, ‘‘बाणगंगा के पास जारी निर्माण कार्य के कारण बाणगंगा का जलस्रोत दूषित होने की शिकायतें प्राप्त हुई हैं । हिन्दू जनजागृति समिति ने भी शिकायत की है । बाणगंगा ऐतिहासिक एवं प्राचीन विरासत है । यह नष्ट नहीं होना चाहिए । यह प्राकृतिक जलस्रोत जीवित रहे, इसलिए महापालिका के ‘ड’ प्रभाग कार्यालय द्वारा नोटिस देकर वह निर्माण कार्य ‘यथा स्थिति’ बनाए रखने के लिए कहा गया है । भूगर्भशास्त्रज्ञ की रिपोर्ट आने के उपरांत यह प्राकृतिक जलस्रोत स्थायी रुप से जीवित रखने के संदर्भ में आगे की निर्णय-प्रक्रिया कार्यान्वित की जाएगी । निर्माण कार्य करनेवाले व्यावसायिक यहां अगर रात में कार्य करते हैं, तो महापालिका कानून के अनुसार करवाई की जाएगी ।’’ ३१ दिसंबर को समिति द्वारा शिकायत देने के उपरांत महापौर द्वारा तत्परता से कारवाई की जाने पर समिति द्वारा उनके आभार प्रकट किए गए ।
प्रभू श्रीराम द्वारा यहां रेत से भगवान शिवजी की पिंडी (श्री वालुकेश्वर) बनाने के उपरांत उस पर अभिषेक करने के लिए वहां जल नहीं था । आसपास के समुद्र का पानी खारा था । तब श्रीराम ने तीर चलाकर यहां गंगा की जलधारा लाई । इसलिए यह सरोवर ‘बाणगंगा’ तथा क्षेत्र ‘वाळकेश्वर’ नाम से प्रसिद्ध हुआ । यहां शिवजी के तथा अन्य देवताओं के बडे मंदिर एवं मठ हैं । दूर-दूर से लोग यहां दर्शन करने हेतु आते हैं । हाल ही में संपन्न विधिमंडल के शीतकालीन अधिवेशन में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री. उद्धव ठाकरे ने घोषित किया था कि सांस्कृतिक विरासत होनेवाले राज्य के प्राचीन मंदिरों का संवर्धन करने हेतु राज्यशासन एक योजना लाएगी । इसलिए महापौर द्वारा तत्परता से इस विषय में ध्यान दिया गया, ऐसी जनमानस में भावना है ।