Menu Close

शीघ्र ही गंगाजल द्वारा कोविड-19 पर उपचार करनेवाली सस्ती औषधि उपलब्ध करने का प्रयत्न – अधिवक्ता अरुण कुमार गुप्ता

‘क्या गंगाजल कोविड-19 पर रामबाण उपाय हैे ?’ इस विषय पर हिन्दू जनजागृति समिति का ‘सनातन संवाद’ !

कुछ समय पूर्व बनारस हिन्दू विश्‍वविद्यालय के (BHU) डॉक्टरोें द्वारा किए गए चिकित्सा शोध में यह ध्यान में आया है कि पवित्र गंगा नदी के जल में मिलनेवाला बैक्टेरियाफॉज नामक जीवाणु कोरोना के विषाणु को निष्क्रिय कर मार देता है । इस विषय पर शोधप्रबंध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध ‘हिन्दवी (Hindawi) इंटरनेशनल जर्नल ऑफ मायक्रोबायोलॉजी’ मेें प्रकाशित हुआ है । पूरे विश्‍व के डॉक्टर और वैज्ञानिकों ने अध्ययन कर उसकी प्रशंसा की है । गंगोत्री  के  गंगाजल  से बनाया गया  ‘नोजल-स्प्रे’  कोरोना पर प्रभावी सिद्ध हुआ है । भारतीय आयुर्विज्ञान संशोधन परिषद द्वारा (ICMR) अनुमति मिलने पर शीघ्र ही देश की जनता के लिए वह बाजार में लाया जाएगा । उसका मूल्य 20 से 35 रुपए होने के कारण उसे गरीब व्यक्ति भी खरीद सकेगा तथा यह कोरोना के अन्य टीकों के समान हानिकारक और महंगा नहीं है, ऐसा प्रतिपादन गंगा नदी के बचाव के लिए बडा कार्य करनेवाले उत्तर प्रदेश उच्च न्यायालय के अधिवक्ता तथा न्यायमित्र अरुण कुमार गुप्ता ने किया । हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा ‘क्या गंगाजल कोविड-19 पर रामबाण उपाय है ?’ इस विषय पर ऑनलाइन आयोजित प्रथम ‘सनातन संवाद’ में वे बोल रहे थे । इस समय सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने उनसे भेंटवार्ता की । फेसबुक और यू-ट्यूब के माध्यम से यह कार्यक्रम 23 हजारोंसे जादा लोगों ने प्रत्यक्ष देखा ।

इस अवसर पर अधिवक्ता गुप्ता ने आगे कहा, ‘‘भारत के पवित्र गंगाजल में मिलनेवाला बैक्टेरियाफॉज जीवाणु अनेक रोगों पर निर्माण करनेवाले जीवाणुओं को मारता है, यह अनेक बार वैज्ञानिक शोध से सामने आया है । इसलिए हमने ‘बनारस हिन्दू विश्‍वविद्यालय’ के डॉक्टरों की सहायता से कोरोना पर शोध किया । उसमें हमें सफलता मिली है । गंगास्नान तथा गंगा नदी की महिमा हमारे ऋषि-मुनियों ने अनेक धर्मग्रंथों में बताया ही है । वह अब वैज्ञानिक शोध में भी सिद्ध हो रहा है तथा वह समाज तक पहुंचना चाहिए । आज भारतीय सरकारी संस्थाएं इस शोध में सहायता न करते हुए बाधाएं लाने का काम कर रही हैं । इसलिए अब केंद्र सरकार को इसमें ध्यान देने की आवश्यकता है । कोरोना के प्रारंभ में भारत के कुछ राज्यों में मृत्युदर 40 से 45 प्रतिशत थी तब गंगा नदी के किनारे रहनेवाले गांवों में मृत्यु की मात्रा 5 प्रतिशत से कम थी तथा रोगी ठीक होने की मात्रा भी अधिक थी । ये सरकारी आंकडे हैं । गंगा जल के उपयोग से लोगों की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढने से उन पर कोरोना का प्रभाव नहीं होता । माघमेला तथा कुंभमेले के समय 10 से 12 करोड की संख्या में लोग गंगास्नान करने के लिए एकत्रित आते हैं । उनमें से अनेक लोग विविध प्रकार के रोग तथा चर्मरोग से पीडित होते हैं; परंतु गंगास्नान करने से लोगों की रोगप्रतिरोधक शक्ति बढती है, यह शोध से सामने आया है । गंगा तथा यमुना इन दोनों नदियों के मूलभूत घटकद्रव्य और ऑक्सिजन की मात्रा बहुत भिन्न हैे; परंतु जिस समय प्रयाग में यमुना नदी का बडा प्रवाह छोटीसी गंगा नदी के प्रवाह में मिलता है, तब यमुना के सर्व घटकद्रव्य भी गंगा के घटकद्रव्य के समान हो जाते हैं । इसलिए उसे आगे गंगा नदी ही कहा जाता है । उन्होंने यह भी बताया कि इस प्रकार कुल 300 नदियां गंगा नदी में आकर मिलती हैं ।

 

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *