एक मराठी कवि ने पुरस्कार लेने से इसलिए मना कर दिया क्योंकि सम्मान समारोह के मंच पर देवी सरस्वती की तस्वीर रखी हुई थी। यह सम्मान समारोह महाराष्ट्र के नागपुर में आयोजित किया गया था। मराठी कवि यशवंत मनोहर का कहना था कि उन्होंने सम्मान समारोह के मंच पर रखी गई सरस्वती की तस्वीर पर आपत्ति जताई थी। फिर भी तस्वीर नहीं हटाई गई थी इसलिए उन्होंने पुरस्कार लेने से मना कर दिया। यशवंत मनोहर पहले भी इस कारण के चलते कई पुरस्कार लौटा चुके हैं।
दरअसल, महाराष्ट्र की चर्चित साहित्य संस्था ‘विदर्भ साहित्य संघ’ ने यशवंत मनोहर को लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित करने के लिए बुलाया था। यह सम्मान समारोह गुरुवार (14 जनवरी 2021) को रंग शारदा हॉल में आयोजित किया गया था। मराठी कवि को इस कार्यक्रम की जानकारी देते हुए यह भी बताया गया था कि इसमें सरस्वती पूजन भी होगा। इस बात पर उन्होंने कड़ी आपत्ति जताई।
यशवंत मनोहर के अनुसार, “देवी सरस्वती की मूर्ति उस शोषक मानसिकता का प्रतीक है जिसकी वजह से महिला और शूद्र शिक्षा-ज्ञान प्राप्त करने से दूर रहे।” (यशवंत मनोहर के यह शब्द उनकी हिन्दूद्वेषी मानसिकता को दर्शाता है । हिन्दू धर्म में कहीं पर शोषण की मानसिकता नहीं है । इन्हें तो यह भी पता नहीं होगा कि हिन्दू धर्म में पूजे जानेवाले भगवान व्यास जैसे अनेक ऋषीमुनी जन्म से शूद्र थे, परंतु उनके गुण तथा कर्मों के कारण उन्हें समाज में केवल सम्मान हीं नही, पूजा गया था । हिन्दू धर्म में महिला को जितना उच्च स्थान दिया है, उतना अन्य किसी पंथ में दिया नहीं जाता । – संपादक, हिन्दुजागृति) हालांकि, आयोजकों ने मराठी कवि की इस बात को स्वीकार नहीं किया और कहा कि कार्यक्रम का प्रारूप नहीं बदला जा सकता है। अंततः यशवंत सम्मान समारोह में शामिल नहीं हुए और उन्होंने विदर्भ साहित्य संघ को मराठी में एक चिट्ठी लिखी। (आयोजक ‘विदर्भ साहित्य संघ’ के योग्य निर्णय का हिन्दू जनजागृति समिति स्वागत करती है । – संपादक, हिन्दुजागृति)
उन्होंने अपनी चिट्ठी में लिखा, “मैं आशा कर रहा था कि विदर्भ साहित्य संघ मेरे विचारों और सिद्धांतों पर मंथन करेगा लेकिन आयोजकों का कहना है कि मंच पर देवी सरस्वती की पूजा होगी। मैं साहित्य में धर्म का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं कर सकता हूं इसलिए मैं इस सम्मान को अस्वीकार करता हूं। मैंने पहले भी कई पुरस्कार सिर्फ इस वजह से ही अस्वीकार किए हैं।”
विदर्भ साहित्य संघ की स्थापना 1923 में मराठी साहित्य के विस्तार के लिए हुई थी। यह महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में साहित्य से जुड़े काम करने वाली सबसे व्यापक संस्था है। यह संस्था हर वर्ष मराठी साहित्यकारों को सम्मानित करने के लिए ऐसे आयोजन करवाती है। संस्था हर दो वर्ष के अंतराल पर लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड भी देती है और इस वर्ष यशवंत मनोहर को इसके लिए चुना गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक़ सम्मान समारोह में सरस्वती देवी की पूजा की परम्परा लगभग 9 दशकों से निभाई जा रही है। इस परम्परा को किसी भी सूरत में बदला नहीं जा सकता है।
संदर्भ : OpIndia