दलित लडकी की हत्या, मां-बाप-भाई ने ही मुआवजा के लिए रची साजिश : UP पुलिस ने खोली पोल

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में एक दलित युवती की मौत के मामले में पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है। पुलिस ने इस ‘नृशंस’ हत्याकांड का अनावरण करते हुए बताया है कि पिता, मां और भाई ने ही मिल कर युवती की हत्या कर दी। तीनों अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया गया है। बाराबंकी के पुलिस अधीक्षक यमुना प्रसाद ने कहा कि जैदपुर थाना क्षेत्रान्तर्गत बीबीपुर के एक सरसों के खेत में एक युवती का नग्न शव मिला था।

एसपी ने बताया, “शव को तत्काल पोस्टमॉर्टेम के लिए भेज दिया गया था और मृतका के पिता के बयान के आधार पर FIR दर्ज की गई है। हत्याकांड के खुलासे के लिए 5 टीमें तत्काल गठित की गई थीं, जिसमें हमारी सर्विलांस की टीम भी शामिल थी। कई थानों की फोर्स लगाई गई, ताकि इसे वर्कआउट किया जा सके। दिन-रात मेहनत कर के उन्होंने इस घटना का पर्दाफाश किया है। मैनुअल इंटेलिजेंस की टीम भी लगाई गई थी।”

एसपी ने जानकारी दी है कि विभिन्न स्तर पर चले जांच अभियान के दौरान स्थानीय लोगों से भी बातचीत की गई और उनकी भावनाओं को जाना गया। पुलिस ने जांच के बाद पाया कि इस घटना का वादी ही हत्यारा है। युवती के भाई ने उसे रास्ते से हटाने के लिए सारी साजिश रची थी और इस घटना के लिए उसने एकाध हफ्ते पहले ही माता-पिता को भी मना लिया था। ये लोग लड़की को रास्ते से किसी तरह हटाना चाहते थे।

पुलिस का कहना है कि मां-बाप पहले तो इसके लिए नहीं तैयार हुए, लेकिन बाद में वो भी युवती की हत्या करने को लेकर राजी हो गए। घटना से एक दिन पहले मृतका के भाई ने अपने खेत में जाकर उस स्थान को चिह्नित किया, जहां वो शव फेंकने वाला था। पूरी तरह से तैयारी कर के वो वापस आया और घर पर माता-पिता के साथ मिल कर उसी रात हत्या की योजना बनाई। पुलिस के अनुसार, उन्होंने पहले घर में ही युवती की हत्या करने का प्लान बनाया।

बाराबंकी एसपी ने बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि लालच में आकर परिवार ने युवती को घर में मार डालने की योजना को त्याग दिया। चूँकि हाल के दिनों में दलित युवतियों की रेप अथवा हत्या के बाद पीड़ित परिवारों को बड़ी रकम बतौर मुआवजा मिली, ऐसा सोच कर युवती के परिवार वालों ने भी आर्थिक लाभ कमाने की सोची। पुलिस ने इसे एक षड्यंत्र करार दिया है, जिसके तहत केस को घुमाने की भी कोशिश की गई।

एसपी यमुना प्रसाद ने कहा, “जनवरी 16 युवती के परिवार वाले उसे खेत में ले गए। वहां मां ने उसका पांव पकड़ा और भाई ने गला दबाया। मौत सुनिश्चित करने के लिए उसके दुपट्टे से भी उसका गला घोंट दिया। इसके बाद उसके प्राइवेट पार्ट्स पर एक डंडे से प्रहार किया, जिससे वहां इंजरी हो जाए और ये दिखने में रेप का मामला प्रतीक हो। उसकी चप्पलों को बगल में फेंक दिया गया। सभी आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया गया है।”

पुलिस ने बताया कि इस दौरान परिवार ने उन सभी लोगों को इस मामले में फँसाने की कोशिश की, जिनसे उनकी दुश्मनी थी या नहीं बनती थी। पुलिस ने ऐसे कई लोगों को थाने लाकर उनसे गहन पूछताछ की। एसपी ने बताया कि आसपास के सभी खेतों के मालिकों और मजदूरों की सूची बना कर उनसे पूछताछ की गई। आसपास के मुर्गीफार्म और सिंचाई करने वाला या वहां बैठ कर शराब पीने वाले लोगों तक से पूछताछ हुई।

लेकिन जांच में जो निकला, उससे पुलिस के भी होश उड़ गए। अब तीनों आरोपितों को जेल भेजने की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। दलित युवती की लाश से कपड़े भी उसके परिवार वालों ने ही हटाए थे। पुलिस को शक तब हुआ, जब पोस्टमॉर्टेम में रेप की पुष्टि नहीं हुई। स्थानीय मीडिया के अनुसार, इस घटना को जातीय रंग दिए जाने की भी साजिश थी और हाथरस की तर्ज पर फैब्रिकेट किया जा रहा था। इसे ‘दलित बनाम सवर्ण’ बनाया जाना था। जांच के क्रम में पुलिस ने 70 लोगों से पूछताछ की।

भाजपा विधायक राम नरेश रावत ने भी ऐसा ही शक जताया था, लेकिन मीडिया ने उनके बयान को विवादित करार दिया। रायबरेली की बछरावां के विधायक रावत ने शक जताया था कि मृतका के मां-बाप ही हत्यारे हो सकते हैं। उन्होंने पीड़िता के गांव जाकर ग्रामीणों से मुलाकात की थी और घटना को समझा था। उन्होंने पुलिस से भी बातचीत की थी। ग्रामीणों ने विधायक से शिकायत की थी कि इस एक मामले में ऐसा लगता है जैसे सारा गांव ही हिरासत में जा रहा है।

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