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‘मथुरा के शाही ईदगाह मस्जिद को पूरी तरह हटाया जाए’: अदालत ने स्वीकार की याचिका

मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि का अतिक्रमण कर औरंगज़ेब द्वारा बनवाए गए शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने के लिए दायर की गई याचिका को अदालत ने स्वीकार कर लिया है। इसके साथ ही अब इस मामले में अन्य पक्षकारों के जुड़ने के बाद सुनवाई चालू हो जाएगी। कोर्ट ने शनिवार (फ़रवरी 6, 2021) को शाही ईदगाह मस्जिद प्रबंधन समिति समेत सभी पक्षों को नोटिस जारी कर अपना-अपना पक्ष रखने को कहा है।

‘आज तक’ की खबर के अनुसार, मथुरा में जिला राजकीय अधिवक्ता संजय गौड़ ने जानकारी दी है कि अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश देवकांत शुक्ला ने याचिका को सुनवाई हेतु स्वीकार करते हुए सभी पक्षों को नोटिस जारी किया है। अदालत ने वाद को स्वीकार करने योग्य माना और इसकी विस्तृत सुनवाई भी होगी। सभी पक्षों को मार्च 8, 2021 तक अदालत के समक्ष पेश होकर अपना पक्ष रखना पड़ेगा।

जिन्हें समन जारी किया गया है, उनमें उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन, शाही ईदगाह प्रबंधन समिति के सचिव, श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के प्रबंधन न्यासी और श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव शामिल हैं। ज्ञात हो कि पुराने केशवदेव मंदिर के देवता ठाकुर केशव देव जी महाराज विराजमान की तरफ से उनके सेवायत पवन कुमार शास्त्री/गोस्वामी ने ये याचिका अदालत में दायर की है। याचिका में 3 अनुरोध किए गए हैं:

  • शाही ईदगाह मस्जिद वाली जमीन समेत कटरा केशव देव मंदिर परिसर के संपूर्ण 13.7 एकड़ जमीन पर दावा। पूरे मंदिर परिसर के प्रबंधन का अधिकार मिले। दलील दी गई है कि उनके पूर्वज दशकों से बतौर पुजारी भगवान की सेवा में लगे हैं। उन्होंने खुद को मंदिर का वास्तविक सेवायत बताते हुए इसकी विरासत के प्रबंधन योग्य बताया।
  • श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान एवं शाही ईदगाह प्रबंधन समिति के बीच हुए समझौते का अनुमोदन करने वाले मथुरा अदालत के 1967 के फैसले को रद्द किया जाए। इसके तहत ही मस्जिद को मंदिर के नजदीक बनाए रखने की अनुमति दी गई थी।
  • शाही ईदगाह प्रबंधन समिति एवं लखनऊ स्थित सुन्नी वक्फ बोर्ड अध्यक्ष को मौजूदा स्थान से मस्जिद को हटाने का निर्देश दिया जाए।

इससे पहले जिला जज मथुरा साधनी रानी ठाकुर की कोर्ट में 12 अक्टूबर को इस सम्बन्ध में याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ताओं का दावा था कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि के 13 एकड़ के कटरा केशव देव मंदिर के परिसर पर 17वीं शताब्दी में शाही ईदगाह बनाया गया था। उनका कहना था कि इस समय जहाँ मस्जिद है, कभी वहाँ कंस का कारागार था और वहीं पर कृष्ण का मंदिर था। मुगलों ने इसे तुड़वा कर वहाँ शाही ईदगाह मस्जिद बनवा दी।

संदर्भ : OpIndia

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