पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को किस तरह के हालातों का सामना करना पड़ता है, ये सभी जानते हैं। अक्सर अल्पसंख्यक समुदाय के साथ अत्याचार और प्रताड़ना की ख़बरें सामने आती हैं लेकिन अब इस बात की पुष्टि काफी बड़े पैमाने पर हुई है। दरअसल पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने एक आयोग बनाया था। इस आयोग ने पाकिस्तान में मौजूद मंदिरों की स्थिति पर एक रिपोर्ट तैयार की है।
पाकिस्तानी मीडिया समूह ‘डॉन’ (Dawn) के मुताबिक़ एक सदस्य वाले इस आयोग के मुखिया थे डॉ. शोएब संदल। इन्होंने पाकिस्तान में हिन्दू मंदिरों की स्थिति पर यह रिपोर्ट तैयार की।
आयोग ने हिन्दू मंदिरों की स्थिति पर आधारित रिपोर्ट 5 फरवरी 2021 को पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश की। रिपोर्ट में बताया गया है कि इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ETPB: Evacuee Trust Property Board) लगभग आधे से अधिक प्राचीन हिन्दू मंदिरों को सुरक्षित रखने में असफल रहा है।
आयोग ने 6 जनवरी को चकवल स्थित ‘कटस राज मंदिर’ और 7 जनवरी को मुल्तान स्थित ‘प्रहलाद मंदिर’ का दौरा किया था। रिपोर्ट के भीतर पाकिस्तान स्थित 4 प्राचीन हिन्दू स्थलों में 2 की जानकारी दी गई है। बताया गया है कि कैसे पिछले कुछ समय में इनका काफी नुकसान हुआ है।
रिपोर्ट में इन धार्मिक स्थलों की तस्वीरें भी शामिल की गई हैं। पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित इस आयोग में 3 सहायक सदस्य भी शामिल किए गए थे – डॉ. रमेश वंकवानी, साकिब जिलानी और पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल।
रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ETPB को आदेश दे कि वो खैबर पख्तूनखवा सरकार के साथ मिल कर, खंडित मंदिर/समाधि ‘टेरी’ का पुनर्निर्माण शुरू करे। इसके अलावा रिपोर्ट में हिंगलाज मंदिर (लसबेला), प्रहलाद मंदिर (मुल्तान), कटस राज मंदिर (चकवल) और टेरी मंदिर (करक) के पुनर्निर्माण की बात भी कही गई है।
शोएब संदल की रिपोर्ट के मुताबिक़ ETPB अधिनियम में संशोधन किया जाना चाहिए। यह जरूरी है क्योंकि इसी आधार पर हिन्दू और सिखों के धार्मिक स्थलों के हालात सुधारने के लिए पहल की जा सकेगी।
दरअसल पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने 5 जनवरी को ETPB को आदेश दिया था। इसके तहत उसके दायरे में जितने भी हिन्दुओं के मंदिर और सिखों के गुरुद्वारे आते हैं, उसकी जानकारी प्रदान करनी थी। इसके बाद आयोग ने 12 जनवरी को इस मामले में ETPB से संपर्क किया, जिससे अगली सुनवाई तक सम्बंधित जानकारी उपलब्ध हो सके।
पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद ETPB की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई थी। 25 जनवरी को ETPB ने एक रिपोर्ट पेश की लेकिन उसमें भी पूरी जानकारी नहीं दी गई थी और आयोग द्वारा तय किए गए प्रारूप को भी नज़रअंदाज़ किया गया था।
ETPB द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक़ पाकिस्तान में फ़िलहाल लगभग 365 मंदिर हैं, जिनमें से ETPB सिर्फ 13 मंदिरों का रखरखाव करता है। इसके अलावा लगभग 65 मंदिरों की देखभाल हिन्दू समुदाय के लोग खुद करते हैं और 287 मंदिरों पर भू माफ़ियाओं का कब्ज़ा है।
रिपोर्ट में ETPB पर और भी कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। बीते 73 सालों में इनका प्रयास सिर्फ प्रवासी अल्पसंख्यकों की कीमती संपत्ति पर कब्ज़ा करना था। छोटे कस्बों से लेकर बड़े शहरों तक अल्पसंख्यक समुदाय के मंदिरों, पूजा स्थलों और भी कई प्रकार के धार्मिक स्थलों पर ETPB का कब्ज़ा है।
हाल ही में पाकिस्तान की सबसे बड़ी अदालत ने खैबर पख्तूनखवा स्थित जमींदोज़ किए गए लगभग एक सदी पुराने मंदिर को नए सिरे से बनाने का आदेश दिया था। दिसंबर 2020 के दौरान कट्टरपंथी इस्लामी भीड़ ने इस मंदिर पर हमला करके इसे आग के हवाले कर दिया था। इस मुद्दे पर पाकिस्तान की वैश्विक स्तर पर आलोचना और फ़ज़ीहत हुई थी।
संदर्भ : OpIndia