देहलीमें पनून कश्मीर संगठन द्वारा २३ वीं वर्षगांठके समारोहका आयोजन

panun_kashmirबाएंसे हिन्दु जनजागृति समितीके राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे, पनून कश्मीर संघटनाके अध्यक्ष श्री. अजय च्रोंगु,
पनून कश्मीर संघटनाके निमंत्रक डॉ. अग्निशेखर, देहलीके सांस्कृतिक एवं पर्यटन मंत्री डॉ. महेश शर्मा,
वैज्ञानिक डॉ. धार, भौगोलिक राजकारणतज्ञ डॉ.एम.डी. नलपत तथा समाजसेवक श्री. सुशील पण्डित.

देहली – २८ दिसम्बरको कश्मीरी हिन्दुआेंके ‘होमलैंड डे’ अवसरपर ‘पनून कश्मीर’ संगठनद्वारा ‘१९११ की मार्गदर्शक विचारधारा’की २३वीं वर्षगांठके अवसरपर देहलीके पांपोश एनक्लेवके के. ई. सी. एस. एस. केन्द्रमें कार्यक्रमका आयोजन किया गया । मुख्य वक्ताआेंने ‘जम्मू कश्मीरमें राजनीतिक दृश्ययोजना (सिनैरिओ) और भविष्यकी योजना(वे फौरवर्ड)पर अपने विचार व्यक्त किए ।

सांस्कृतिक, पर्यटन तथा नागरिक उड्डयन मन्त्री डॉ. महेश शर्मा, डॉ. एम.डी. नलपत (स्पेशलिस्ट जियो पॉलिटिक्स एण्ड इण्टरनेशनल रिलेशन्स), वैज्ञानिक डॉ. धर, समाज सेवक श्री. सुशील पंडित, ‘पनून कश्मीर’के अध्यक्ष श्री. अजय च्रोंगु, निमन्त्रक ‘पनून कश्मीर’ डॉ. अग्निशेखर, हिन्दू जनजागृति समितिके राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे मुख्य वक्ता थे ।

कार्यक्रमका शुभारम्भ मां शारदा देवी की प्रतिमाके समक्ष दीपप्रज्वलन कर, वंदेमातरम गीतसे किया गया ।

पनून कश्मीर संगठन दलके सदस्य श्री. शैलेंद्र एैमाजी और श्री. सतीश शेर जी ने होमलैंड डे पर एक विशेष वृत चित्रकी प्रस्तुति की ।

‘भारतके धर्मनिरपेक्ष लोकतन्त्रमें ऐसा क्यों होता है कि वर्ष १९९० में हम सब अपने घर छोड देनेपर मजबूर हुए । भारतीय लोकतन्त्र ऐसे क्यों मान लेती है, जिससे आप जम्मू कश्मीरको भारतके संवैधानिक परिप्रेक्ष्यसे बाहर रखते हैं । हमारे स्थान कश्मीरको हमारे लिए नॉनप्लेसमें बदल दिया जाता है और सब चुप रहते हैं ।’ – श्री. शैलेंद्र एैमा और श्री. सतीश शेर

वक्ताआेंके विचार –

‘‘इस धर्मयुद्धमें मैं आपके साथ हूं । मैं किसी दबावमें नहीं अपितु अपनी आत्माकी आवाजसे आपके और भारत सरकारके बीचकी कडी बनना चाहूंगा । मैं आपकी भावनाआेंको इसी ढंगसे आदरणीय मोदीजी तक पहुंचाऊंगा और आपको जब तक आपकी जन्म भूमि न मिल जाए, मैं प्रयास करता रहूंगा ।’’ – सांस्कृतिक, पर्यटन तथा नागरिक उड्डयन मन्त्री डॉ. महेश शर्मा.

‘‘जम्मूमें जब लोकसभाके चुनाव हुए तब भाजपाको ३३ प्रतिशत वोट मिले थे । विधानसभाके समय २४ प्रतिशत ही मिले हैं । इतने वोट क्यों घट गए । क्या गलत हुआ । लोगोंका विश्‍वास क्यों कम हो गया । मोदीजी की जो प्रतिमा तैयार हो गई थी वह प्रतिमा इस चुनावमें खंडित होने लगी है । इसपर विचार करना चाहिए ।’’

‘‘हमारा तो सबकुछ लुट चुका है । जन्मभूमि, धन, घर सब । ऐसेमें हमारे पास एक ही चीज बचती है और वह है सत्य । इसलिए हम किसीके भी दबावमें आकर सत्य बोलना छोड देंगे तो हमारे पास कुछ नहीं बचेगा । इसलिए हम सत्यकी भूमिका नहीं छोड सकते । मायाको माया पहचाननेसे ही वह नष्ट होती है । मायावी आवरण निकालनेके लिए सत्य ही बताना पडता है । इसलिए आतंकवादको भी मिटानेके लिए उसका केवल रूप न देखते हुए उसका सत्य ही जानना होगा ।’’ ‘‘कश्मीरी पण्डितोंपर जो अत्याचार हुए वह उन्होंने स्वयं विश्‍वको बताकर, जिहादी आतंकवादको पहली बार विश्‍वके सामने लानेका कार्य किया । कश्मीरसे कश्मीरी पण्डितोंका निष्कासन, हिन्दुस्थानके लिए अपने समर्थकोंका निष्कासन है । इसलिए कश्मीरी पण्डित वापस लौटने चाहिए, अन्यथा वहां अलगाव बढेगा और कश्मीर हमारा कभी नहीं हो पाएगा ।’’ – श्री. अजय च्रोंगु अध्यक्ष ‘पनून कश्मीर’

‘‘राष्ट्र और समुदायोंको नष्ट करनेके लिए सबसे पहले उनका इतिहास छीना जाता है और यही कश्मीरमें हो रहा है । भाजपाके एक वरिष्ठ नेताने कश्मीरमें कहा कि कश्मीरमें भाजपा आई तो इस्लाम और पनपेगा । हमें क्या मिलेगा ? आपकी सरकारें होंगी, तो वह भी कंडीशनल होंगी जो हमारा कश्मीर लौटना भी कंडीशनल कर देंगी । उनकी शर्तोंपर रहना है तो रहिए । इसलिए खडे होकर लडने और बोलनेके अतिरिक्त कोई और विकल्प नहीं है । ’’- डॉ. अग्निशेखर निमंत्रक पनून काश्मीर

‘‘मैं आशा करता हूं कि आप भाजपाके पहले सत्रमें ही स्वाभिमान, सम्मान और सुरक्षाके साथ अपने घर कश्मीर वापस जाएंगे । कश्मीरी पण्डितोंको धन नहीं चाहिए । उन्हें स्वाभिमान, सम्मान और सुरक्षाके साथ घर वापसी चाहिए । जब तक कश्मीरी पण्डित अपने घर कश्मीर वापस नहीं चले जाते तब तक भारत अपनेको ‘सेक्यूलर’ नहीं कह सकता ।’’ – डॉ. एम.डी.नलपत

‘‘हमें अपने संस्कारोंको जीवित रखना होगा । जिस प्रकार यहूदियोंने २५०० वर्षों तक अपने मनमें मातृभूमि लौटनेकी आशा और विचार जीवित रखा और सफल हुए वैसे ही हमें आनेवाली पीढीके मनमें यह विचार जागृत रखना है तो इस २५वें वर्षमें हर एक कश्मीरी पण्डितके घरपर अमरनाथ मन्दिर और मार्तण्ड मन्दिरका पत्थर होना चाहिए और अपनी पीढीका बताएं इस पत्थरकी पूजा करते हुए एक दिन हमें वहां जाना है और अपनी भूमिको वापस लेना है । कश्मीरमें कश्मीरी पण्डितोंके रहनेसे ही हिन्दू राष्ट्रकी संकल्पना साकार होगी ।’’ –   श्री. रमेश शिंदे

‘‘लोग कहते हैं सभी मुसलमान गलत नहीं हैैं । कुछ गुट ही आतंकवादको फैला रहे हैं । जब सिकंदर बुद्धशिखन आया था तब भी हिन्दुआेंपर बहुत अत्याचार हुए थे । हमारे मन्दिरोंको तोडा गया था । यह जिहाद, पहलेसे ही चली आ रही मानसिकता है ।’’ – श्री. सुशील पंडित (समाज सेवक)

क्षणिकाएं

१. इस कार्यक्रममें सनातन संस्था वाराणसीद्वारा आध्यात्मिक ग्रन्थों तथा सात्त्विक उत्पादोंकी प्रदर्शनी लगाई गई ।

२. माननीय मन्त्री डॉ. महेश शर्माजी ने सनातनकी प्रदर्शनी पर भेंट दी और कार्यकी सराहना करते हुए कहा, ‘‘मैं आपके साथ हूं ।’’

३. हिन्दू जनजागृति समितिकी ओरसे मा. डॉ.महेश शर्माजी को सनातन प्रभात और लव जिहादका ग्रंथ भेंट स्वरूप दिया गया ।

४. कश्मीरी पण्डितोंकी संस्कृतिको संजोए रखनेके लिए कार्यक्रमके सांस्कृतिक कार्यक्रमका भी आयोजन किया गया । जिसमें प्रसिद्ध कश्मीरी कलाकारोंने सहभाग लिया ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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