शौर्यजागृति व्याख्यान के माध्यम से स्वरक्षा प्रशिक्षण सिखने का चिंचवड के धर्मप्रेमियों का निश्चय !
पुणे : छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा सैनिकों का संगठन कर की गई स्वराज्य की स्थापना और क्रांतिकारियों ने स्वतंत्रता हेतु अंग्रेजों से किया हुआ संघर्ष शौर्य के उदाहरण हैं । इस शौर्य का जागरण करना ही समय की मांग है; क्योंकि संकट किसी से कहकर नहीं आता । इसलिए हम स्वयं में शौर्य और विजिगुषि वृत्ति उत्पन्न करने का प्रयास करेंगे । आज हिन्दू समाज संगठित न होने से हिन्दू धर्म पर हो रहे आघात, महिलाओं पर अत्याचार, संतों पर आक्रमण, मंदिरों का सरकारीकरण, भुवनों का इस्लामीकरण आदि घटनाएं घटित होकर उससे राष्ट्र-धर्म को हानि पहुंच रही है । इन सभी को रोकने हेतु, साथ ही आनेवाले भीषण संकटकाल का सामना करने हेतु सभी को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर सबल होने की आवश्यकता है । हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. अभिजीत कुलकर्णी ने ऐसा प्रतिपादित किया । पुणे में हाल ही में आयोजित व्याख्यान में वे ऐसा बोल रहे थे ।
इस अवसर पर श्री. कुलकर्णी ने हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से निःशुल्क लिए जा रहे शौर्यजागृति वर्ग की जानकारी देकर उपस्थित धर्मप्रेमियों को इस वर्ग में सम्मिलित होने का आवाहन किया । इस कार्यक्रम में ध्वनिचित्रचक्रिका के माध्यम से शौर्य का जागरण करनेवाले ऑनलाइन प्रदर्शन और स्वरक्षा के विविध तंत्र दिखाए गए । कार्यक्रम का सूत्रसंचालन कु. चारुशीला शिंदे ने किया । व्याख्यान के अंत में सभी ने उत्स्फूर्तता से प्रशिक्षणवर्ग में सम्मिलित होने की बात कही और उनके लिए ७ दिनों के शौर्यवर्ग का नियोजन किया गया ।
अभिप्राय
स्नेहल अत्तरदे : प्रत्येक व्यक्ति को स्वरक्षा प्रशिक्षण के तंत्र सिखने ही चाहिएं, ऐसा गंभीरता से प्रतीत हुआ, साथ ही दिखाए गए शौर्यप्रसंग देखकर संकट में स्वयं को कैसे बचाना चाहिए, यह सिखने को मिला ।
सारिका हिंगे : व्याख्यान सुनकर आत्मविश्वास बढा । हम में यदि इच्छाशक्ति हो, तो हम कुछ भी कर सकते हैं, ऐसा लगा ।