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‘लव जिहाद के दूरगामी प्राणघातक परिणाम !’ विषय पर ‘हिन्दू विधिज्ञ परिषद’द्वारा विशेष साक्षात्कार

लव जिहाद का कोई अस्तित्व नहीं है, तो ‘लव जिहाद’ विरोधी कानून का विरोध क्यों ? – अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर, राष्ट्रीय अध्यक्ष, हिन्दू विधिज्ञ परिषद

हिन्दुओं के न्यायिक अधिकारों के लिए संघर्षरत संगठन हिन्दू विधिज्ञ परिषद

मुंबई : विविध प्रकार के जिहादों की भांति ही लव जिहाद भी जिहादियों द्वारा हिन्दू समाज के विरुद्ध किया जा रहा युद्ध ही है । सामान्य घर की हिन्दू युवति से लेकर खेल का क्षेत्र, फिल्मजगत आदि विविध क्षेत्रों की अनेक हिन्दू युवतियां अभीतक लव जिहाद की बलि चढ चुकी हैं और उनके साथ धोखाधडी हुई है, साथ ही उनका भयानक शोषण भी हो रहा है । इसके अनेक उदाहरण विविध माध्यमों से सामने आए हैं । ‘लव जिहाद’के कारण केवल भारत की ही नहीं, अपितु भारत से बाहर भी हिन्दुओंसहित सीक्ख युवतियों का भी धर्मांतरण हुआ है । हिन्दू पारिवारिक व्यवस्था पर इसका गंभीर परिणाम हो रहा है । आज के समय में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सरकारों ने लव जिहाद के विरुद्ध कानून बनायाहै । गुजरात सरकार भी इस कानून को लागू करने के पथ पर है । जो लोग ‘लव जिहाद का कोई अस्तित्व ही नहीं है’, ऐसा बोलते हैं, वे लव जिहादविरोधी कानून का विरोध क्यों करते हैं ? हिन्दू विधिज्ञ परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने स्पष्टता से यह प्रश्‍न उठाया । उन्होंने केंद्र सरकार से पूरे देश में लव जिहाद कानून लाकर उसका उचित क्रियान्वयन करने की मांग की । विदेश में स्थित वरिष्ठ पत्रकार मीना दास नारायण ने उनके प्रसिद्ध यू ट्यूब चैनल ‘कैंडिड मीना’पर ‘लव जिहाद के दूरगामी प्राणघातक परिणाम’ विषय पर अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर से ऑनलाइन साक्षात्कार किया । यह साक्षात्कार १ सहस्र १०० से भी अधिक लोगों ने देखा । इस साक्षात्कार को देखने के उपरांत अनेक लोगों ने ‘ऐसे साक्षात्कार बार-बार होने चाहिएं’, यह प्रतिक्रिया व्यक्त की ।

इस कार्यक्रम में ‘लव जिहाद’ के माध्यम से हिन्दू युवतियों और महिलाओं का धर्मांतरण, युवतियों की ‘लव जिहाद’ की बलि न चढने के लिए अभिभावकों का दायित्व तथा धर्मशिक्षा की आवश्यकता, फिल्मों से ‘लव जिहाद’ को दिया जानेवाला प्रोत्साहन, धर्मांतरण कानून की आवश्यकता आदि विषयों से संबंधित दर्शकों द्वारा पूछे गए प्रश्‍नों का निराकरण किया गया ।

अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर द्वारा साक्षात्कार में रखे गए उद्बोधक सूत्र

अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर

धर्मांध एवं वामपंथियों की दोहरी नीति को समझ लेना आवश्यक !

जिस समय ‘लव जिहाद’ के षड्यंत्र के विषय में हिन्दू कुछ बताते हैं, तब मुसलमान और धर्मनिरपेक्षतावादी विचारधारावाले लोग ‘विवाह करनेवाली हिन्दू युवती और मुसलमान युवक को किसी के साथ भी विवाह करने का संवैधानिक अधिकार है’, यह तर्क देते हैं; परंतु दूसरी ओर जब समान नागरिकता कानून, गोहत्याबंदी जैसे अन्य विषय आगे बढाए जाते हैं, तब यही मुसलमान और धर्मनिरपेक्षतावादी संविधान की भाषा कर ‘हिन्दुओं को अल्पसंख्यकों की भावनाओं का विचार करना चाहिए’, यह आग्रह रखते हैं । कुल मिलाकर हिन्दुओं की भावनाओं का कहीं पर भी विचार नहीं किया जाता और अपनी सुविधा के अनुसार विषय को मोड दिया जाता है । इसलिए हिन्दुओं को धर्मांध और वामपंथियों की इस दोहरी नीति को समझना होगा । जब हिन्दू उनकी धार्मिक भावनाओं के संदर्भ में बोलते हैं, तब धर्मांध और वामपंथी लोग संविधान का हवाला देते हैं और जब हिन्दू समान नागरिकता कानून के संदर्भ में बोलते हैं, तब ये लोग धार्मिक और व्यक्तिस्वतंत्रता के संदर्भ में बोलते हैं ।

हिन्दू युवतियों को ‘लव जिहाद’ की विभिषिका से अवगत कराकर उन्हें धर्मशिक्षा दी जानी चाहिए !

शरिया (इस्लामी) कानून के अनुसार मुसलमान परिवार में विवाह के उपरांत धर्मांतरित हुई हिन्दू महिलाओं को संपत्ति के और अन्य कोई भी अधिकार नहीं मिलते; परंतु हिन्दू कानून में विवाह के उपरांत हिन्दू महिलाओं को अनेक अधिकार हैं । ऐसे और इस स्वरूपवाले अन्याय के प्रति समाज में जागरूकता लाई जानी चाहिए । हिन्दू युवतियों को ऐसे विविध षड्यंत्रों को ध्यान में लेना चाहिए और धर्मशिक्षा लेकर धर्माचरण करना चाहिए ।

‘लव जिहाद’ के संबंध में इस्लाम की सीख

इस्लाम की सीख ही जिहाद को प्रोत्साहन देनेवाली है । सर्वत्र इस्लाम का राज्य होना चाहिए, इस आशय की ‘दार-उल-हरब’ और ‘दार-उल-इस्लाम’की इस्लाम की परिभाषा तो सर्वविदित है ।‘लव जिहाद’ भी इसी सीख का एक भाग है । इसिस में सम्मिलित होनेवाली महिलाएं लव जिहाद की बलि चढी हुई महिलाएं थीं । धर्मांध महिलाएं भी हिन्दू लडकों को अपने प्रेमजाल में फंसाकर उनका धर्मांतरण करते हैं । ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं ।

हिन्दू लडकियों को ‘लव जिहाद’ में फंसाने हेतु धर्मांधों द्वारा की जानेवाली चतुराई

‘लव जिहाद’ के प्रकरणों में ३ प्रकारों से हिन्दू लडकियों को फंसाया जाता है । हिन्दू लडकियों की भावुकता का अनुचित लाभ उठाया जाता है । उसके उपरांत उन्हें प्रेम के छद्म जाल में फंसाकर उनका धर्मपरिवर्तन किया जाता है । फिल्मजगत भी लव जिहाद को बढावा देकर हिन्दू लडकियों का बुद्धिभ्रम करता है । कभी-कभी लडकी के मित्र और सखियों के परिचय के माध्यम से धर्मांध उसका चलितभाष क्रमांक प्राप्त करते हैं । उस पर संदेश भेजते हैं और उसके उपरांत बोलने का प्रयास कर उन्हें छद्म प्रेमजाल में फंसाते हैं ।
कुछ औषधियों के माध्यम से भी हिन्दू लडकियों का वशीकरण करने का भी प्रयास किया जा रहा है और इसकी पुष्टि करनेवाली घटनाएं हुई हैं । इसका एकमात्र उपाय है कि आज की पीढी को धर्मशिक्षा देना । ऐसा करने से धर्माभिमान से युक्त हिन्दू लडकियों किसी भी छद्म बातों की बलि नहीं चढेंगी ।

लव जिहाद के प्रकरणों में महिलाओं की भूमिका महत्त्वपूर्ण !

केवल सामान्य महिलाएं ही नहीं, अपितु हिन्दू अभिनेत्रियां और हिन्दू कलाकार भी लव जिहाद की बलि चढ गए हैं । लव जिहाद के प्रकरणों में महिलाओं ने उसका उत्पीडन करने की बात बताई अथवा उसका बलपूर्वक धर्मपरिवर्तन किया गया, तो धर्मांध पति को यह ‘लव जिहाद’ नहीं हुआ है, यह प्रमाणित करना पडता है ।

क्या इस्लामी संस्थाएं और इस्लामी प्रवक्ता इसका दायित्व लेंगे ?

किसी हिन्दू लडकी ने मुसलमान लडके के साथ विवाह किया और उसके उपरांत उसका किसी प्रकार का उत्पीडन नहीं होगा अथवा उसके साथ जबरदस्ती नहीं की जाएगी, इसका दायित्व इस्लामी संस्थाओं को और इस्लामी प्रवक्ताओं को लेना चाहिए; परंतु ऐसा क्यों नहीं होता ? सेक्युलर (धर्मनिरपेक्ष) होने का दायित्व केवल हिन्दुओं के माथे पर ही क्यों ? सभी के साथ समान न्याय होना चाहिए ।

पूरे देश में ‘विशेष विवाह कानून’ लागू करें !

‘स्पेशल मैरेज एक्ट’ के अनुसार (विशेष विवाह कानून के अंतर्गत) अंतर्धर्मीय विवाह होने की सूचना देनी पडती है और उसके उपरांत विवाह संपन्न होता है । इस प्रावधान के विरुद्ध याचिकाएं प्रविष्ट की गई हैं । ऐसी याचिकाओं का विरोध किया जाना चाहिए । उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश में हिन्दुओं को न्याय दिलाने हेतु ऐसे अनेक कानून बनाए गए हैं, जिनका हिन्दुओं को लाभ मिल रहा है । पूरे देश में ऐसे कानून बनने चाहिएं ।

लव जिहाद के विरुद्ध विभिन्न स्तरों पर संघर्ष कीजिए !

लव जिहाद के प्रकरणों को स्वयं ही लागे लाया जाना चाहिए । इसमें प्रतिमा संजोने की अथवा लज्जा की कोई बात नहीं है । ऐसी घटनाएं जितनी प्रकाश में आएंगी, उतनी ही इस आघात से हिन्दुओं की रक्षा की जा सकेगी । इसके लिए सरकार से पत्राचार करना, स्थानीय विधायक-सांसद के साथ लव जिहाद के विरुद्ध आवाज उठाने की मांग करना, हिन्दुओं द्वारा लव जिहाद के प्रकरणों के विरुद्ध व्यक्तिगत याचिकाएं करना जैसे माध्यमों से हिन्दू निश्‍चितरूप से संघर्ष कर सफलता प्राप्त कर सकते हैं ।

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