प्रतिकूल स्थिति में ईश्वर की कृपा ही हमें पार ले जा सकती है और नामस्मरण से मनोबल बढता है – सद्गुरु (कु.) स्वाती खाडयेजी
पणजी : स्थिति चाहे कितनी भी प्रतिकूल क्यों न हो; परंतु उसमें केवल ईश्वर की कृपा ही हमें पार जे जाती है । ईश्वर की कृपा संपादन करने हेतु नामस्मरण करना ही सर्वोत्तम उपाय है । इस कोरोना महामारी के समय में विशिष्ट पद्धति से किया हुआ नामजप हमारे मनोबल को बढा सकता है; परंतु इ नामजप में निरंतरता होनी चाहिए । इसके साथ ही ऐसी स्थिति में मन को स्थिर रखने हेतु स्वभावदोष एवं अहं निर्मूलन प्रक्रिया अपनाई गई, तो उससे बडी मात्रा में लाभ मिलता है । स्वभावदोष निर्मूलन प्रक्रिया के अंतगर्त मन को स्वसूचनाएं देने से मन स्थिर रहने में सहायता मिलती है । सनातन संस्था की धर्मप्रचारक सद्गुरु (कु.) स्वाती खाडयेजी ने यह मार्गदर्शन किया । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से गोवा के धर्मप्रेमियों के लिए ‘कोरोना महामारी के समय में मन को कैसे स्थिर रखना चाहिए ?’ विषय पर आयोजित ऑनलाइन सत्संग में वे ऐसा बोल रही थी । श्रीमती वेदिका पालनने इस सत्संग का उद्देश्य स्पष्ट किया । ३७० से अधिक जिज्ञासुओं ने इस ऑनलाइन सत्संग का लाभ उठाया ।
कोरोना काल में आध्यात्मिक बल बढाने हेतु आवश्यक नामजप
सद्गुरु (कु.) स्वाती खाडयेजी ने अपने मार्गदर्शन में आगे कहा, ‘‘कोरोना महामारी के काल में शारीरिक और मानसिक बल के साथ ही आध्यात्मिक बल बढाना भी आवश्यक है । आध्यात्मिक बल बढाने हेतु सनातन संस्था द्वारा बताया गया ‘श्री दुर्गा देव्यै नमः । (३ बार) -‘श्री गुरुदेव दत्त ।’ – श्री दुर्गा देव्यै नमः (३ बार) – ॐ नम: शिवाय ।’नामजप नियमितरूप से और एक ही स्थान पर बैठकर १०८ बार करना आवश्यक है । यह नामजप ‘सनातन चैतन्यवाणी’ एप पर उपलब्ध है । जिज्ञासु गूगल प्ले स्टोअर से इस एप को डाउनलोड कर सकते हैं । आजकल यह नामजप ७० से भी अधिक चिकित्सालयों से नियमितरूप से सुना जा रहा है । इस नामजप के कारण जिज्ञासुओं को स्वयं में मनोबल, एकाग्रता और सकारात्मकता बढना आदि अनेक लाभ मिले हैं । अतः सभी इस नामजप का लाभ उठाएं ।’’
सद्गुरु (कु.) स्वाती खाडयेजी ने मार्गदर्शन में विविध माध्यमों से हिन्दू धर्म पर हो रहे आघातोंकी जानकारी दी, साथ ही उन्होंने इन आघातों का वैधानिक पद्धति से प्रतिकार करने हेतु संगठित प्रयास करने का आवाहन किया ।
क्षणिका
सत्संग संपन्न होने के उपरांत कुछ जिज्ञासुओं ने स्वभावदोष निर्मूलन प्रक्रिया के अंतर्गत स्वसूचनाएं कैसी देनी चाहिएं ?, नामजपादि उपाय आदि की जानकारी ली ।
अभिप्राय
१. सत्संग में मन उमड आया । इससे पहले मुझे ‘पैसा ही सबकुछ है’, ऐसा लगता है; परंतु सत्संग में आने पर ईश्वर का नामजप ही सबमें श्रेष्ठ है, यह बात ध्यान में आई ! – श्रीमती वनिता पडवळ, म्हापसा, गोवा
२. अनेक जिज्ञासुओं ने अभिप्राय व्यक्त करते हुए कहा कि इस सत्संग से कोरोना महामारी के काल में भी हम स्थिर रह सकते हैं, यह सिखने को मिला और बहुत ही सकारात्मकता प्रतीत हुई ।