सोलापुर (महाराष्ट्र) में ऑनलाइन हिन्दू राष्ट्र संगठक कार्यशाला का आयोजन
सोलापुर : स्वसुखों से परे भी हमारा जीवन है । अब हमें राष्ट्र एवं धर्म के कार्य में केवल गिलहरी का योगदान देने का नहीं, अपितु बडा योगदान देने का समय आ गया है । धर्मांतरण एवं विविध प्रकार के जिहाद राष्ट्र पर मंडरा रहे बडे संकट हैं । छत्रपति शिवाजी महाराज थे; इसीलिए आज हम गर्व के साथ जी पा रहे हैं । हम केवल भगवान की कृपा और ईश्वरीय अधिष्ठान के द्वारा ही धर्म का कार्य कर सकते हैं । इसलिए साधना करते समय स्वभावदोष निर्मूलन प्रक्रिया समझ लीजिए, साथ ही राष्ट्र एवं धर्म का कार्य करने हेतु दायित्व लेकर कार्य करना सीखिए । आदर्श हिन्दू राष्ट्र संगठक बनने हेतु स्वयं में अर्जुन की भांति कृतज्ञताभाव उत्पन्न कीजिए । सनातन संस्था की धर्मप्रचारक सद्गुरु (कु.) स्वाती खाडयेजी ने यह मार्गदर्शन किया । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से सोलापुर, धाराशिव, लातूर एवं बीड जनपदों के धर्मप्रेमियों के लिए हाल ही में ऑनलाइन हिन्दू राष्ट्र संगठक कार्यशाला ली गई, उसमें वे मार्गदर्शन कर रही थीं ।
इस कार्यशाला का सूत्रसंचालन धर्मप्रेमी श्रीमती आरती जाधव ने किया, तो श्रीमती अर्चना पाटिल ने कार्यशाला का उद्देश्य स्पष्ट किया । इस अवसर पर समिति की श्रीमती अलका वनमारे ने हिन्दू राष्ट्र संगठक के लिए आचारसंहिता के संदर्भ में, तो ‘हिन्दू राष्ट्र की संकल्पना‘ विषय पर समिति के गुजरात राज्य, पश्चिम महाराष्ट्र एवं कोंकण विभाग समन्वयक श्री. मनोज खाडये ने मार्गदर्शन किया । इस समय श्रीमती अलका वनमो ने कहा कि हमने स्वयं में निहित संगठन के कार्य में बाधा उत्पन्न करनेवाले दोष दूर किए, तो हम आदर्श हिन्दू संगठक बन सकते हैं । इस अवसर पर धर्मप्रेमियों ने स्वरक्षा प्रशिक्षण, सामाजिक माध्यम और धर्मशिक्षावर्ग के द्वारा अधिकाधिक अध्यात्मप्रसार करने का निश्चय किया ।
क्षणिका : इस कार्यशाला में सम्मिलित धर्मप्रेमियों से राष्ट्र एवं धर्म के संबंध में क्रियाशील होने के संदर्भ में पूछे जाने पर सभी ने चैट बॉक्स में ‘जय श्रीराम’ का संदेश लिखकर उसका अनुमोदन किया ।
हिन्दू राष्ट्र स्थापना की संकल्पना को वास्तविकता को उतारने हेतु अपनी संपूर्ण क्षमता का उपयोग करना भी साधना ही है ! – मनोज खाडये, गुजरात राज्य, पश्चिम महाराष्ट्र एवं कोंकण विभाग समन्वयक
तीसरे विश्वयुद्ध के माध्यम से हमारे सामने आपातकाल अपना मुंह खोलकर खडा है; इसलिए अब हमारे सामने भगवान का भक्त होने के बिना और कोई विकल्प नहीं है । कोरोना महामारी से मुक्त होने हेतु मेघालय के प्रत्येक नागरिक ने प्रार्थना करने हेतु समय सुनिश्चित कर उसके अनुसार कृत्य किया । इससे हमारे वास्तविक आधार ईश्वर ही हैं, यह हमारे ध्यान में आएगा । आजकल स्वास्थ्य के क्षेत्र में चल रही गतिविधियां घृणास्पद है । इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्वस्थ जीवन की परिभाषा ‘मानसिक, शारीरिक एवं बौद्धिक विकास’ थी; परंतु अब उसमें परिवर्तन कर उसकी परिभाषा ‘मानसिक, शारीरिक, बौद्धिक एवं आध्यात्मिक विकास ही वास्तविक स्वास्थ्य है !’ यह बन गई है । इससे अध्यात्म एवं साधना का महत्त्व ध्यान में आता है । आप अपने परिचित लोगों को राष्ट्र एवं धर्म के संबंध में जानकारी देने का प्रयास कीजिए । हिन्दू राष्ट्र की संकल्पना को वास्तविकता में उतारने हेतु अपनी क्षमता का संपूर्ण उपयोग करना ही साधना है । इस प्रतिकूल काल में भी हमें राष्ट्र एवं धर्म का कार्य करने का अवसर मिला, इसके लिए कृतज्ञ रहकर सभी को इस कार्य में यथोचित योगदान देने का प्रयास करना चाहिए ।
अभिप्राय
श्री. किरण गोडसे : इस कार्यशाला से हिन्दू राष्ट्र स्थापना की निश्चितरूप से क्या दिशा है, यह ध्यान में आया, साथ ही हम में निहित स्वभावदोष दूर करना कितना आवश्यक है, यह भी बात ध्यान में आई । मैं हिन्दूसंगठन के कार्य में सम्मिलित होने का प्रयास करूंगा ।
श्री. विजय देवकर : मेरी व्यायामशाला में अनेक युवक आते हैं । मैं उनसे संपर्क कर उनके लिए स्वरक्षा प्रशिक्षण वर्ग आरंभ करने का प्रयास करूंगा ।
श्री. संतोष पिंपळे, धाराशिव : हमारे क्षेत्र के ४ से ५ मंदिरों पर ध्वनियंत्र पर नामजप चलाने के लिए प्रयास करूंगा ।
श्री. भास्कर बिंगी : मैने अभीतक स्वयं के लिए बहुत प्रयास किए । इसके आगे मैं समष्टि के लिए कार्य करूंगा ।
श्री. मल्लिकार्जुन पडशेट्टी : मुझे यह कार्यशाला बहुत अच्छी लगी । कार्यशाला संपन्न होते ही मैंने तुरंत ही मेरे २ मित्रों को धर्मशिक्षावर्ग में सम्मिलित होने के लिए कहा ।
श्री. विशाल ढगे : मैं सद्गुरु (कु.) स्वाती खाडयेजी द्वारा दिए गए मार्गदर्शन के अनुसार कृत्य करने का प्रयास करूंगा ।