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‘विशालगढ भुवन रक्षा एवं अतिक्रमणविरोधी क्रियान्वयन समिति’ के आंदोलन का परिणाम !
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पुरातत्त्व विभाग के सहायक निदेशक द्वारा भुवन का अवलोकन !
कोल्हापुर : कोल्हापुर जनपद में स्थित विशालगढ भुवन पर किए गए अतिक्रमणों के संदर्भ में पुणे के पुरातत्व विभाग के सहायक निदेशक विलास वहाणे ने विशालगढ भुवन का अवलोकन किया । उन्होंने भुवन पर अतिक्रमण करनेवाले १२ लोगों को नोटिस देकर अतिक्रमण हटा लेने के लिए १५ दिन का समय दिया गया है । नोटिस देने के उपरांत भी उन्होंने अतिक्रमण नहीं हटा लिए, तो उनके विरुद्ध आगे की कार्यवाही की जाएगी । कुछ प्रसारमाध्यमों में यह समाचार प्रकाशित हुआ है कि इस संदर्भ में २६ जून को विलास वहाणे कोल्हापुर के जिलाधिकारी दौलत देसाई से मिलनेवाले हैं ।
१. विशालगढ भुवन पर किए गए अतिक्रमणों के विरुद्ध आवाज उठाने हेतु कोल्हापुर में १४ मार्च २०२१ को विशालगढ रक्षा एवं अतिक्रमणविरोधी क्रियान्वयन समिति की स्थापना की गई । १६ मार्च को इस समिति ने पहले कोल्हापुर में पत्रकार परिषद लेकर इसके विरुद्ध आवाज उठाई । उसके उपरांत क्रियान्वयन समिति ने कोल्हापुर में घंटानाद आंदोलन किया, पूरे राज्य में ऑनलाइन आंदोलन किया, साथ ही कोल्हापुरसहित राज्य के विविध जनपदों में सरकारी विभागों को ज्ञापन प्रस्तुत किए । इसके साथ ही कोल्हापुर में विविध जनप्रतिनिधियों से मिलकर उन्हें इस विषय में अवगत कराया ।
२. विशालगढ रक्षा एवं अतिक्रमणविरोधी क्रियान्वयन समिति के प्रवक्ता श्री. सुनील घनवट ने २३ मार्च को पुणे में शिष्टमंडल ले जाकर पुरातत्व विभाग के सहायक निदेशक विलास वहाणे से भेंट की थी । उस समय श्री. घनवट ने प्रमाणों के साथ विशालगढ की वर्तमान स्थिति की ओर उनका ध्यान आकर्षित किया था ।
३. उसके उपरांत कोरोना का प्रकोप बढने से कोई कार्यवाही नहीं हो सकी थी । अब जून महिने के पहले सप्ताह में विलास वहाणे ने विशालगढ भुवन जाकर अतिक्रमण करनेवालों को नोटिस जारी किए हैं । श्री. सुनील घनवट ने इसपर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि विशालगढ रक्षा एवं अतिक्रमणविरोधी क्रियान्वयन समिति द्वारा चलाए गए आंदोलन का ही यह परिणाम है ।
पुरातत्त्व विभाग विशालगड के सभी अतिक्रमण समयसीमा में हटाएं – श्री. सुनील घनवट
पुरातत्व विभाग के सहायक संचालक विलास वहाणे ने विशालगड के अतिक्रमण के विषय में दुर्ग का दौरा कर 12 लोगों को नोटिस दिए हैं । विगत 17 वर्षों से कोई भी कृति न करनेवाले पुरातत्व विभाग द्वारा कम से कम अतिक्रमण की जांचकर नोटिस दिए गए यह एक समाधानजनक समाचार है; परन्तु विशालगड पर वर्ष 1998 से बडी संख्या में अतिक्रमण किए गए हैं । दुर्ग पर 64 बडे और नए निर्माणकार्य तथा 45 से अधिक छोटे अतिक्रमण किए गए हैं । उन पर कार्यवाही होना अपेक्षित है । विगत अनेक वर्षों से पुरातत्व विभाग ने इसकी अनदेखी की है । इसी कारण आज दुर्ग अतिक्रमण के चंगुल में है । वहां के मंदिर-नरवीरों की समाधि उपेक्षित है । इसलिए पुरातत्व विभाग केवल नोटिस देकर पल्ला न झाडे अपितु नियोजनबद्ध कार्यक्रम चलाकर सभी अतिक्रमण हटाए, ऐसी मांग विशालगड रक्षा और अतिक्रमणविरोधी कृति समिति के प्रवक्ता श्री. सुनील घनवट ने की है ।
श्री. घनवट ने आगे कहा कि, सूचना के अधिकार से प्राप्त जानकारी के अनुसार ‘इस दुर्ग पर बडी संख्या में अतिक्रमण और निर्माणकार्य किया गया है’ ऐसा पुरातत्व विभाग ने स्वीकार किया है । वर्ष 1998 से विशालगड पुरातत्व विभाग के पास है । भले ही दुर्ग की कुछ भूमि वनविभाग के पास है, तब भी दुर्ग पर होनेवाले प्रत्येक अतिक्रमण के लिए पुरातत्व विभाग ही जिम्मेदार है । इस दुर्ग पर प्रमुखत: रेहानबाबा के दरगाह के लिए बडी संख्या में अतिक्रमण हुए हैं, उन्हें हटाने के लिए पुरातत्व विभाग क्या करनेवाला है ? यह भी विभाग को स्पष्ट करना आवश्यक है । भले ही इनमें से कुछ अतिक्रमण वनविभाग के अंतर्गत आते हो, तब भी इन दोनों विभागों को आपसी समन्वय से दुर्ग के सभी अतिक्रमण हटाने के लिए प्रयास करना आवश्यक है । इससे पूर्व भी विगत 17 वर्षों में पुरातत्व विभाग द्वारा अतिक्रमणकारियों को केवल नोटिस देने के अलावा अन्य कुछ भी नहीं किया है । इसलिए इस बार भी केवल नोटिस देने तक ही सीमित न रहकर सभी अतिक्रमण हटाने तक उसका ब्यौरा लेना आवश्यक है । साथ ही दुर्ग की ग्रामदेवता श्री वाघजाईदेवी के मंदिर सहित अन्य सभी मंदिर, स्मारक, समाधियां, दुर्ग और तटबंदी की देखभाल तथा जीर्णोद्धार किया जाए, ऐसी मांग इस अवसर पर हम कर रहे हैं ।