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सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से ‘ऑनलाइन उद्योगपति वार्तालाप’ का आयोजन

उद्योगपति अपना व्यवसाय करते समय राष्ट्र-धर्म के कार्य में सम्मिलित होने हेतु प्रयास करें – रवींद्र प्रभुदेसाई, प्रबंध निदेशक, ‘पितांबरी’ उद्योगसमूह

नासिक (महाराष्ट्र) : पितांबरी उद्योगसमूह के प्रबंध निदेशक श्री. रवींद्र प्रभुदेसाई ने ऐसा प्रतिपादित किया कि उद्योगपतियों और व्यावसायियों को अपना व्यवसाय करते समय राष्ट्र एवं धर्म के कार्य में किस प्रकार उनका योगदान रहेगा, इस दृष्टि से प्रयास करने चाहिएं ।
सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से हाल ही में आयोजित किए गए ‘ऑनलाइन उद्योगपति वार्तालाप’ में वे ऐसा बोल रहे थे । इस वार्तालाप में सनातन संस्था के धर्मप्रचारक नंदकुमार जाधवजी एवं हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट ने भी मार्गदर्शन किया । कु. प्रतीक्षा कोरगांवकर ने कार्यक्रम का उद्देश्य स्पष्ट किया और सूत्रसंचालन किया । इस वार्तालाप में उत्तर महाराष्ट्र, विदर्भ एवं मराठवाडा से २०० से भी अधिक उद्योगपति उपस्थित थे ।

श्री. रवींद्र प्रभुदेसाई ने आगे कहा कि,

१. आजकल कोरोना के कारण सभी उद्योग बंद हैं, जिससे सभी उद्यमी मानसिक तनाव में हैं । इसलिए ऐसे कार्यक्रमों की बहुत आवश्यकता है । सनातन संस्था ने इस कार्यक्रम का बहुत अच्छा नियोजन किया ।

२. परमेश्‍वर की ओर मुडना बहुत कठिन होता है । कुछ वर्ष पूर्व हम पर भी बहुत संकट आए थे और उससे मेरा आत्मविश्‍वास डगमगा गया था । उसके उपरांत मैं कई संगठन अथवा उनके कार्यक्रमों में सम्मिलित हुआ; परंतु उससे मुझे संतुष्टि नहीं हुई । व्यवसाय के प्रति लगनेवाले भय के संदर्भ में मैं किसी से बोल नहीं पाता था ।

३. वर्ष २००० में मैं परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के एक कार्यक्रम में गया था । वहां मैं उनसे मिला । उनका प्रवचन सुनकर मैंने उनके बताए अनुसार साधना के प्रयास किए, साथ ही सत्संग और मार्गदर्शन में सम्मिलित होने लगा ।

४. व्यवसाय में किस प्रकार आर्थिक नियोजन होता है, उस प्रकार से आध्यात्मिक अधिष्ठान क्या होता है, यह मुझे सीखने को मिला । व्यवसाय करते समय आध्यात्मिक अधिष्ठान होने पर ही हमें उसका व्यवसाय में लाभ मिलता है ।

५. परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने उद्योग के माध्यम से भी हम साधना कर ईश्‍वरप्राप्ति कर सकते हैं, यह दृष्टिकोण दिया । साधना हो, तो मानसिक तनाव नहीं हो सकता ।

६. केवल परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की कृपा से ही मैं कोरोना जैसी बीमारी से बाहर निकल सका । परात्पर गुरुदेवजी को केवल भारत की ही नहीं, अपितु संपूर्ण विश्‍व की चिंता है । वे विश्‍वकल्याण चाहते हैं । उनके जैसे गुरु प्राप्त हुए; इसके लिए मैं उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता हूं ।

इस भीषण आपातकाल से पार होने हेतु ईश्‍वरीय कृपा और साधना की आवश्यकता ! – सद्गुरु नंदकुमार जाधवजी, धर्मप्रचारक, सनातन संस्था

कोरोना महामारी के कारण सर्वत्र भय का वातावरण है । कोरोना के कारण अनेक लोगों का शारीरिक और मानसिक कष्ट भी पहुंचे हैं । आनेवाले आपातकाल में इससे भी अधिक भयंकर हानि होनेवाली है । आनेवाले समय में तीसरा विश्‍वयुद्ध होनेवाला है । आज के समय अनेक राष्ट्रों की नीति तीसरे विश्‍वयुद्ध की दिशा में ही अग्रसर है । अतः आनेवाले भीषण आपातकाल से पार होने हेतु ईश्‍वरीय कृपा और साधना की आवश्यकता है । उससे ही हम सुरक्षित रह सकते हैं ।

व्यायसायी अपना उद्योग-व्यवसाय चलाते समय धन का त्याग कर धर्मकार्य में सम्मिलित हों ! – सुनील घनवट, महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य संगठक, हिन्दू जनजागृति समिति

आजकल राष्ट्र एवं धर्म पर हो रहे आघात प्रतिदिन बढते ही जा रहे हैं; परंतु हिन्दू जागृत और संगठित नहीं है । इसलिए हमे संगठित होना चाहिए । धर्मांतरण को रोकने हेतु भी हमें जागृत होना आवश्यक है । हिन्दू बडी मात्रा में धन अर्पण करते हैं; परंतु उसका विनियोग धर्मकार्य के लिए नहीं होता । हम अपना उद्योग-व्यवसाय चलाते हुए भी धन का त्याग कर इस कार्य में अपना योगदान दे सकते हैं ।

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