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समाज को साधना सीखाने हेतु मंदिर के न्यासियों को संगठित होकर प्रयास करने चाहिए – पू. नीलेश सिंगबाळजी

  • हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से उत्तर एवं पूर्वोत्तर भारत के मठ-मंदिरों के न्यासी, पुजारी और पुरोहितों की ऑनलाइन बैठक

  • हिन्दू संगठन एवं धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु हिन्दू जनजागृति समिति

पू. नीलेश सिंगबाळजी

वाराणसी : एक ओर कोरोना की वैश्‍विक महामारी चल रही है, तो दूसरी ओर देश में आए चक्रवाती तूफानों के कारण आज संपूर्ण समाज आपातकाल का अनुभव कर रहा है । ऐसी कठिन स्थिति का सामना करने हेतु सभी को ईश्‍वर के प्रति श्रद्धा और भक्ति बढानी चाहिए । केवल साधना करने से ही हम में ईश्‍वर के प्रति श्रद्धा बढती है । ‘न में भक्त प्रणश्यति’ (मेरे भक्तों का कभी नाश नहीं होगा), वचन की भांति ईश्‍वर अपने भक्तों की सदैव ही रक्षा करते हैं । अतः हमें अधिकाधिक लोगों को नामजप एवं साधना का महत्त्व विशद करने के प्रयास करने आवश्यक हैं । हिन्दू जनजागृति समिति के पूर्व एवं पूर्वोत्तर भारत मार्गदर्शक पू. नीलेश सिंगबाळजी ने यह मार्गदर्शन किया । समिति की ओर से मठ-मंदिरों के न्यासी, पुजारी और पुरोहितों के साथ ऑनलाइन बैठक का आयोजन किया गया था । इस बैठक में ओडिशा के स्वामी अखिलानंद; ओडिशा की मानस मंदिर परिषद के श्री. राजकुमार शुक्ला; वाराणसी के कालभैरव मंदिर के श्री. अवशेष पाण्डेय; बिहार के गरीबनाथ मंदिर के महंत विनय पाठक, असम की कामाख्या मंदिर के श्री. कवींद्र प्रसाद शर्मा, साथ ही उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, असम, झारखंड एवं बंगाल के मंदिरों के प्रतिनिधि, पुजारी और पुरोहित उपस्थित थे ।

१. समिति के समन्वयक श्री. शंभू गवारे ने कहा, ‘कोरोना विषाणुओं के विरोध में स्वयं को आध्यात्मिक बल मिले; इसके लिए सनातन संस्था द्वारा बताए अनुसार नामजप करने से समाज को अच्छा लाभ मिल रहा है । आजकल अनेक चिकित्सालय और औषधियों की दुकानों में यह नामजप चलाया जा रहा है, जिससे रोगियों का मनोबल बढाने में सहायता मिल रही है ।’

२. समिति के समन्वयक श्री. विश्‍वनाथ कुलकर्णी ने कहा, ‘‘इस आपातकालीन स्थिति में मंदिरों का संगठन होने हेतु मंदिरों में इस कोरोना काल में आध्यात्मिक बल बढानेवाला नामजप चलाना, नियमितरूप से अग्निहोत्र करना, मंदिरों में धर्मशिक्षा प्रदान करनेवाली जानकारी लिखना और समाज धर्माचरण करे; इसके लिए ऑनलाइन प्रवचन आयोजित करना आदि माध्यमों से हम धर्मकार्य कर सकते हैं ।’’

क्षणिका

इस अवसर पर मंदिरों की ओर से कोरोनाग्रस्त लोगों की किस प्रकार सहायता की गई, इस संदर्भ में मंदिर प्रतिनिधियों ने जानकारी दी, साथ ही मंदिरों पर हो रहे आघात रोकने हेतु प्रभावशाली संगठन आवश्यक है, इसे ध्यान में लेकर संगठन बढाने हेतु प्रयास करना सुनिश्‍चित किया गया ।

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